दिल्ली की पॉलिटिक्स में IPL ऑक्शन जैसा एक्शन, चुनाव से पहले टीम मजबूत करने में जुटी पार्टियां

पिछले दिनों आम आदमी पार्टी ने टीम बीजेपी और टीम कांग्रेस से और भी कई सारे नेताओं को अपने पाले में झटका है. इनमें पूर्वांचल बहुल माने जाने वाली किराड़ी सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक और छात्र राजनीति से आगे बढ़ने वाले अनिल झा का नाम शामिल है. वहां मौजूदा आम आदमी पार्टी के विधायक ऋतुराज कमजोर विकेट पर खेलते नज़र आ रहे थे.

Advertisement
सीएम आतिशी, देवेंद्र यादव, वीरेंद्र सचदेवा सीएम आतिशी, देवेंद्र यादव, वीरेंद्र सचदेवा

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद अब चुनावी हलचल दिल्ली की ओर मुड़ गई है. यहां फरवरी में विधानसभा चुनावों को लेकर जोर-शोर से माहौल बनने लगा है, लेकिन इससे पहले, आईपीएल स्टाइल में राजनीतिक भर्तियां चल रहीं हैं. धड़ाधड़ वैकेंसी हो रही हैं. न तो विचारधारा देखी जा रही है, न ही पुरानी पार्टी से ब्रेक-अप की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. बस ये देखा जा रहा है कि ऐन मौके पर कौन तुरुप का इक्का साबित हो सकता है. इसमें तीनों पार्टियां, बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पीछे नहीं छूटना चाहतीं हैं. ताज़ा उदाहरण आम आदमी पार्टी में शामिल किए प्रसिद्ध शिक्षाविद् और कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाने में महारत रखने वाले अवध ओझा हैं.

Advertisement

क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएगी AAP?
आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली की होम पिच पर तीसरी बार लगातार भारी अंतर से चुनाव जीतने का दबाव है. हालांकि, अरविंद केजरीवाल से पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित तीन बार लगातार चुनाव जीतने का करिश्मा कर चुकीं हैं. अरविंद केजरीवाल यूं तो दिल्ली वालों के लिए जाने-पहचाने हैं, लेकिन उन्हें इस चुनाव को जीतने के लिए एक नया नरेटिव देना होगा. फ्रीबीज़ के मुद्दे पर दो चुनाव ने वैतरणी तो पार करा दी, लेकिन हैट्रिक लगाने के लिए जो ट्रिक चाहिए थी वो शायद छात्रों को यूपीएससी परीक्षा पास करवाने वाले अवध ओझा लेकर आएंगे, ऐसी उन्हें उम्मीद है. 

चुनाव में खास होने वाली है युवाओं की भूमिका
युवाओं की भूमिका इन चुनावों में खास होगी, जिनपर ओझा जी का जादू चलता है क्योंकि वो सोशल मीडिया में भी छाए रहते हैं. साथ ही साथ उन्हें ऑलराउंडर बनाने में उनकी देसी अंदाज़ वाली पूर्वांचली छवि भी काम आएगी. दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों की तादाद भी 70 में से लगभग आधी सीटों पर ऐसी है कि वो जीत-हार का समीकरण तय कर सकते हैं. इसके अलावा केजरीवाल के फेवरेट विषयों में से एक शिक्षा में भी वो ताबड़तोड़ रन बना सकते हैं, यानि टीम AAP के लिए एक एसेट साबित होने के सारे गुण उनमें दिखाई देते हैं.

Advertisement

मकिन्होंने छोड़ी पार्टी? कौन नया हुआ शामिल
पिछले दिनों आम आदमी पार्टी ने टीम बीजेपी और टीम कांग्रेस से और भी कई सारे नेताओं को अपने पाले में झटका है. इनमें पूर्वांचल बहुल माने जाने वाली किराड़ी सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक और छात्र राजनीति से आगे बढ़ने वाले अनिल झा का नाम शामिल है. वहां मौजूदा आम आदमी पार्टी के विधायक ऋतुराज कमजोर विकेट पर खेलते नज़र आ रहे थे, ऐसे में उनके खिलाफ चुनाव हारने वाले अनिल को आगे बढ़ा दिया और ऋतुराज बोल्ड हो गए. सीलमपुर में कांग्रेस के सबसे मजबूत नेताओं में से एक चौधरी मतीन अहमद को टीम में लाने के लिए पहले बेटे को अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में शामिल करवाया और मतीन की जगह उनके बेटे जुबैर को टिकट देकर टीम में युवा ऊर्जा डालने की कोशिश की. सीमापुरी सीट से पूर्व कांग्रेस विधायक वीर सिंह धींगान को शामिल करवाया गया ताकि दलित वोटरों का मजबूत समर्थन अपनी पार्टी के लिए सुनिश्चित हो पाए.

" बीजेपी" ने भी इस बार मजबूत खिलाड़ियों को लपका
कैलाश गहलोत आम आदमी पार्टी के टॉप आर्डर के नेताओं में एक थे. पढ़े-लिखे और जाट बहुल ग्रामीण इलाकों में आम आदमी पार्टी के इस चेहरे को बीजेपी ने अपनी टीम में शामिल करवाकर इशारा दे दिया कि इस बार सिर्फ शहरी इलाकों में नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी पार्टी अपनी मजबूत रणनीति के साथ मैदान पर उतरेगी. बीजेपी इस बार अपनी टीम को विधानसभा चुनावों में मजबूती देने के लिए ऐसे सीनियर नेताओं को भी पिच पर उतारने की रणनीति बनाने में लगी है जो लोकसभा के बड़े मंच पर छक्के-चौके लगा चुके हैं. उनमें खास तौर पर सांसद रहे प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, रमेश बिधूड़ी और मीनाक्षी लेखी जैसे नामों को भी दिल्ली के लोकल पॉलिटिकल लीग में उतारा जा सकता है ताकि टीम केजरीवाल के धुरंधरों को होम ग्राउंड पर धूल चटाई जा सके. टीम बीजेपी के पास पहले से ही कांग्रेस के पुराने दिग्गज रहे कई खिलाड़ी टीम में जगह बनाने को बेताब हैं. उनमें शीला सरकार में मंत्री रह चुके अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान तो शामिल हैं ही, जिनके पास दिल्ली के पिच पर खेलने का लंबा अनुभव है. इनके अलावा पूर्व विधायक नसीब सिंह, नीरज बसोया, तरविंदर सिंह मारवाह जैसे खिलाड़ी भी स्टार्टिंग लाइन-अप में दिख सकते हैं.

Advertisement

पिछले दो बार से ज़ीरो पर आउट होने वाली "टीम कांग्रेस" का है क्या हाल?
इस समय कांग्रेस की टीम आम आदमी पार्टी और बीजेपी की तुलना में कमज़ोर नज़र आ रही है. लेकिन कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का दलित चेहरा रहे राजेंद्र पाल गौतम को अपनी टीम में शामिल करवाकर ये कोशिश की है कि केजरीवाल के सबसे धुरंधर सपोर्टरों में से एक दलित वापस कांग्रेस के समर्थन में लामबंद हो जाएं. आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम वोटरों में स्कोर करने के लिए मतीन परिवार का सहारा लिया, तो टीम कांग्रेस ने उसकी भरपाई तुरंत ही आम आदमी पार्टी से विधायक रहे हाजी इशराक से कर ली. इन दिनों कांग्रेस दिल्ली भर में यात्रा निकाल रही है, ताकि मैच शुरू होने से पहले मैदान के हालात को भांपा जा सके. कांग्रेस को पता है कि इस बार टिकट बंटवारे के बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को टीम में जगह मिलनी मुश्किल होगी और ऐसे में उनके पाले से कुछ मजबूत खिलाड़ी "टीम कांग्रेस" का रुख करेंगे. नए चेहरों और ऐसे खिलाड़ियों के दम पर पार्टी शायद इस पॉलिटिकल लीग में दोनों विरोधियों को जीत से दूर रख सके.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement