बिहार में मतदान संपन्न हो चुका है और नतीजों की बारी है. 14 नवंबर को मतगणना के बाद चुनाव नतीजे आने हैं, इससे पहले बात टर्नआउट और वोटिंग पैटर्न को लेकर भी हो रही है. बिहार में ऐतिहासिक मतदान के संदेश तलाशे जा रहे हैं, एक-एक वोट ब्लॉक के टर्नआउट के मायने निकाले जा रहे हैं.
ऐसा ही एक वोट ब्लॉक है महिलाओं का. 6 नवंबर को हुए पहले चरण के मतदान में महिलाओं का टर्नआउट 69.04 प्रतिशत रहा. इस फेज में 61.56 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था. मंगलवार को दूसरे और अंतिम चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़कर 74.03 प्रतिशत हो गया, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत भी पहले फेज के मुकाबले बढ़ा.
हालांकि, यह बढ़त मामूली ही रही और पुरुषों का टर्नआउट दूसरे फेज में 64.1 प्रतिशत रहा. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 71.6 प्रतिशत रहा. बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने फिर से पुरुषों से अधिक मतदान किया है. साल 2010 के बिहार चुनाव से चला आ रहा यह ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहा.
बिहार की महिला मतदाताओं के अधिक मतदान का यह ट्रेंड जारी रहा, तो इसके पीछे कई फैक्टर्स भी वजह माने जा रहे हैं. आइए, बात करते हैं ऐसे ही कुछ फैक्टर्स की...
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1-महिला सशक्तिकरण और महत्वाकांक्षा में इजाफा
महिला सशक्तिकरण और महत्वाकांक्षा में वृद्धि ने महिलाओं को सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक्टिव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आज की ग्रामीण महिलाओं की भूमिका सिर्फ घर तक सीमित नहीं रही; बेहतर शिक्षा और जागरुकता ने उन्हें परिवार और समाज के निर्णयों में प्रमुख बनाया है. इसके साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से महिलाओं के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं ने उनके मतदान व्यवहार को प्रभावित किया है.
2-महिला रोजगार योजना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने चुनाव से ऐन पहले एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खाते में10-10 हजार रुपये भिजवाए. महिलाओं को यह सहायता मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत दी गई थी. महिलाओं के मतदान व्यवहार में आए बदलाव के पीछे इस डायरेक्ट कैश बेनिफिट को भी एक अहम फैक्टर माना जा रहा है. सत्ताधारी एनडीए की ओर से सरकार बनने पर इस योजना के तहत दो लाख रुपये तक की सहायता का प्रावधान भी महिला मतदाताओं का उत्साह बढ़ाने वाला रहा.
3- जीविका दीदी
महिला मतदाताओं के बदले मतदान व्यवहार के पीछे बिहार की जीविका दीदी नेटवर्क का भी बड़ा योगदान है. ये महिलाएं न सिर्फ स्वयं सहायता समूहों में आर्थिक रूप से सक्रिय हैं, बल्कि महिला मतदाताओं को संगठित और प्रेरित करने में भी मुख्य भूमिका निभा रही हैं.
4- नीतीश कुमार ने बनाई नई जाति
बिहार के संदर्भ में कहा यह भी जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार ने एक और नई जाति बनाई है. सीएम नीतीश की बनाई यह नई जाति है महिला. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण और मुफ्त साइकिल योजना जैसी कल्याणकारी नीतियां भी महिलाओं के बीच एनडीए के समर्थन का आधार बनी हैं.
5- रोजगार और पलायन
बिहार जैसे राज्य में पलायन भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है. रोजगार की तलाश में पुरुष बड़ी संख्या में पलायन कर चुके हैं. रोजी-रोजगार की तलाश में पुरुष दूसरे राज्य, दूसरे शहर का रुख करने को मजबूर हैं. महिला मतदाताओं के बढ़े मतदान अनुपात के पीछे यह भी एक फैक्टर है.
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6- पीएम का कट्टा वाला बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक जनसभा के दौरान एक ऐसा बयान दिया, जिसने कई लोगों खासकर महिलाओं को गहराई से प्रभावित किया. पीएम मोदी ने कहा था, "फिर एक बार, नहीं चाहिए कट्टा सरकार." पीएम के इस आह्वान का भी असर हुआ और महिलाएं पहले फेज के मुकाबले दूसरे फेज में कहीं अधिक तादाद में वोट देनें निकलीं. पीएम के बयान ने राष्ट्रीय जनता दल की सरकार के समय की कानून-व्यवस्था और अपराध की यादें महिलाओं के जेहन में ताजा हो आईं.
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बिहार में महिलाएं टर्नआउट के मामले में पुरुषों से आगे रहीं, तो इसके पीछे इन फैक्टर्स के साथ ही कई अन्य कारक भी रहे. कुल मिलाकर, बिहार की महिलाएं लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
बिश्वजीत