बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 'उपरोक्त में से कोई नहीं' (NOTA) विकल्प का चुनाव करने वाले मतदाताओं का प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले मामूली रूप से बढ़ गया है. हालांकि, यह हिस्सेदारी अभी भी 2015 के विधानसभा चुनावों की तुलना में काफी कम है.
यह जानकारी चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से सामने आई है.दो चरणों (6 और 11 नवंबर) में हुए मतदान के बाद जारी अंतिम आंकड़ों के अनुसार, 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए कुल मतदान में से 1.81 प्रतिशत या 6,65,870 वोट NOTA विकल्प को मिले हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में, लगभग 7,06,252 मतदाताओं ने NOTA को चुना था, जो कुल वोटों का 1.68 प्रतिशत था. इस प्रकार, इस बार NOTA के प्रतिशत में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है.
2015 की तुलना में गिरावट
2015 में, 9.4 लाख मतदाताओं ने NOTA का बटन दबाया था, जो उस वर्ष के कुल मतदान का 2.48 प्रतिशत था. इस हिसाब से, यह हिस्सेदारी 2015 के मुकाबले काफी कम है. NOTA का यह प्रतिशत 2024 के लोकसभा चुनावों में सबसे कम रहा था.
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इस बार बिहार में 66.91 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो 1951 के पहले बिहार चुनाव के बाद से सबसे अधिक था. कुल 3.51 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस चुनाव में बिहार ने अपने इतिहास में सबसे अधिक महिला मतदाता भागीदारी दर्ज की.
हालांकि, इन मतों के बावजूद, बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA 200 से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रहा, जबकि महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया.
आपको बता दें कि EVMs पर NOTA विकल्प को 2013 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जोड़ा गया था. इससे पहले, जो मतदाता किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते थे, वे फॉर्म 49-O भरकर अपनी अनिच्छा जताते थे, लेकिन इससे मतदाता की गोपनीयता भंग होती थी.
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