बिहार (Bihar) में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का काम तेज़ी से चल रहा है. बिहार एसआईआर के तहत निर्वाचन आयोग की टीम ने 94.68 फीसदी वोटर्स के फॉर्म कवर कर लिए हैं, जबकि अभियान की घोषित अवधि पूरी होने में अभी भी 7 दिन बचे हैं.
चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के साथ उन प्रपत्रों की सूची साझा कर रहा है, जिन्हें एकत्र नहीं किया जा सका. आयोग के मुताबिक अब तक 41,10, 213 वोटरों यानी कुल वोटर्स के 5.2 फीसदी के फॉर्म अब तक नहीं मिले हैं. यानी 94.68 फीसदी यानी 7,48,59,631 वोटरों ने फॉर्म भरकर जमा कर दिए हैं.
SIR आदेश के मुताबिक, 1 अगस्त 2025 को निर्वाचक नामावली का मसौदा पब्लिश किए जाने के बाद राजनीतिक दलों/मतदाताओं को उसमें सुधार के लिए पूरा एक महीना दिया जाएगा.
जनता को दिया जाएगा मौका
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इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, एसडीएम लेवल के अधिकारी यानी निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) 1 अगस्त 2025 को मसौदा निर्वाचक नामावली प्रकाशित करेंगे और उसमें किसी भी प्रविष्टि में सुधार के लिए सुझाव/प्रस्ताव आमंत्रित करेंगे. 24 जून 2025 को जारी एसआईआर आदेश (पृष्ठ 2, पैरा 7) के मुताबिक, राजनीतिक दलों और आम जनता को मसौदा नामावली में सुधार या किसी छूटे हुए नाम को जोड़ने हेतु पूरे एक महीने का समय मिलेगा. इसके लिए मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मसौदा निर्वाचक नामावली की मुद्रित और डिजिटल प्रतियां फ्री में उपलब्ध कराई जाएंगी. यह आम जनता के लिए निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर भी डाली जाएगी. सबसे आखिरी में जनता आश्वस्त रह सकती है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटेगा नहीं.
उन मतदाताओं की सूचियां, जो संभवतः मृत हैं या स्थायी रूप से कहीं और स्थानांतरित हो गए हैं, या फिर एक से ज्यादा जगहों पर नामांकन कर चुके हैं, या कई बार बीएलओ के दौरे के बावजूद भरा हुआ ईएफ फॉर्म वापस नहीं किए हैं, उन्हें भी अब राजनीतिक दलों के ज़िला अध्यक्षों और उनके द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) के साथ साझा की जा रही हैं, जिससे 25 जुलाई 2025 से पहले ऐसे प्रत्येक मतदाता की वास्तविक स्थिति की पुष्टि की जा सके.
एसआईआर आदेश के मुताबिक, 1.5 लाख से ज्यादा बीएलए हर रोज 50 फॉर्म प्रमाणित कर जमा कर सकते हैं. यह कदम निर्वाचन आयोग की इस प्रतिबद्धता के अनुरूप है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं.
दावों और आपत्तियों को 25 सितंबर 2025 तक हल किया जाएगा और आखिरी निर्वाचक नामावली 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी. आखिरी नामावली की मुद्रित और डिजिटल प्रतियां भी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नि:शुल्क दी जाएंगी और यह निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी. अगर कोई मतदाता ERO के फैसले से असंतुष्ट है, तो वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत जिला मजिस्ट्रेट एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है.
संजय शर्मा