केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम के नागांव जिले में श्रीमंत शंकरदेव अविर्भाव क्षेत्र के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के योगदान को याद किया और कहा कि उन्होंने भक्ति आंदोलन के जरिए भारत की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत किया.
अमित शाह बटद्रवा स्थान पुनर्विकास परियोजना के उद्घाटन अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, मैं आज भारत रत्न गोपीनाथ बोरदोलोई को भी याद करना चाहता हूं. अगर गोपीनाथ ना होते तो हमारा ये असम और पूरा उत्तर-पूर्व भारत का हिस्सा ना होता. गोपीनाथ जी ही थे जिन्होंने असम को भारत में रखने के लिए जवाहरलाल नेहरू को मजबूर कर दिया.
शाह ने महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भक्ति के माध्यम से समाज को जोड़ा और भारत की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत किया. उन्होंने कहा कि श्रीमंत शंकरदेव केवल एक संत ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने समाज सुधारक के रूप में असम और पूरे पूर्वोत्तर को सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में पिरोया. उनका भक्ति आंदोलन आज भी सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का आधार है.
अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री ने भारत रत्न गोपीनाथ बोरदोलोई को भी याद किया. अमित शाह ने कहा, आज मैं भारत रत्न गोपीनाथ जी को याद करना चाहता हूं. अगर वह नहीं होते तो आज असम और पूरा पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा नहीं होता.
अमित शाह ने आगे कहा कि गोपीनाथ बोरदोलोई ने उस दौर में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर दबाव डालकर यह सुनिश्चित किया कि असम भारत का अभिन्न हिस्सा बना रहे. उन्होंने कहा कि गोपीनाथ बोरदोलोई के प्रयासों की वजह से ही आज असम भारत के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है.
बटद्रवा स्थान पुनर्विकास परियोजना को लेकर अमित शाह ने कहा कि यह परियोजना न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे असम की सांस्कृतिक पहचान को भी नया आयाम मिलेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे स्थलों का विकास आने वाली पीढ़ियों को अपनी परंपराओं और इतिहास से जोड़ने का काम करेगा.
कार्यक्रम के दौरान असम की सांस्कृतिक विरासत, भक्ति परंपरा और ऐतिहासिक योगदान को लेकर भी चर्चा हुई. अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
aajtak.in