CBSE की तरह अब वैदिक शिक्षा बोर्ड बनाने की तैयारी

सरकार संस्कृति विशेषज्ञों, वेद गुरूकुल और पाठशालाओं के प्रतिनिधियों की सलाह को ध्यान में रखते हुए वैदिक शिक्षा बोर्ड की संकल्पना को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है.

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Smriti Irani, Minister of Human Resource Development Smriti Irani, Minister of Human Resource Development

BHASHA

  • नई दिल्‍ली,
  • 23 मई 2016,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST

यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल वैदिक मंत्रोच्चार समेत वैदिक शिक्षा की प्राचीनतम धरोहर को आगे बढ़ाने की पहल के तहत सरकार संस्कृति विशेषज्ञों, वेद गुरूकुल और पाठशालाओं के प्रतिनिधियों की सलाह को ध्यान में रखते हुए वैदिक शिक्षा बोर्ड की संकल्पना को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है.

सरकार इस प्रस्तावित बोर्ड को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संस्था महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्यालय प्रतिष्ठान (MSRVVP) के तहत आगे बढ़ा सकती है. MSRVVP के सचिव देवी प्रसाद त्रिपाठी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति इस पर विचार कर रही है.

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इससे पहले, वैदिक शिक्षा बोर्ड स्थापित करने के योगगुरु रामदेव के प्रस्ताव को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा खारिज करने की खबर आई थी. 17 जनवरी को विभिन्न विशेषज्ञों और वेद विद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी हुई थी.

इसके साथ सरकार को विभिन्न संस्कृत विशेषज्ञों और वेद विद्यालयों ने ज्ञापन भी भेजा था जिसमें वैदिक शिक्षा बोर्ड स्थापित करने की मांग भी की गई थी. बहरहाल, इस पहल के बीच वैदिक शिक्षकों एवं छात्रों की खराब स्थिति को रेखांकित करते हुए केंद्र सरकार से मांग की गई है कि वैदिक शिक्षण पाठ्यक्रम एवं प्रमाणपत्रों को शिक्षण संस्थाओं में मान्यता प्रदान करने के साथ ही शिक्षकों के लिए व्यवस्थित वेतनमान की व्यवस्था की जाए.

महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद प्रतिष्ठान के तहत संचालित विद्यालयों में छात्र पांचवी कक्षा के बाद प्रवेश पाते हैं और इसमें दाखिले के पांच वर्ष बाद वेद भूषण एवं सात वर्ष पूर्ण करने पर वेद विभूषण प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है. वाराणसी के वैदिक शिक्षक पंडित दुर्गेश कुमार पांडे ने कहा कि लेकिन विडंबना यह है कि छात्र सात वर्ष सघन पढ़ाई पूरी करने के बाद इन प्रमाणपत्रों के साथ जब बाहर आते हैं तब उसके प्रमाणपत्रों को अन्य संस्‍थान मान्यता नहीं देते हैं. उसे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वेदों की प्राचीन परंपरा कैसे आगे बढ़ेगी.

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वाराणसी स्थित वेद विद्यालय के शिक्षक पंडित दुर्गेश पांडे ने कहा कि आर्यभट्ट, भस्कराचार्य, न्यूटन, आर्केमिडीज आदि विज्ञान के क्षेत्र में अनेक ऐसे नाम है जिन्होंने कोई औपचारिक डिग्री हासिल नहीं की लेकिन उनके आविष्कारों एवं शोधों से आज भी दुनिया लाभान्वित है और उन्हें उत्कृष्ट वैज्ञानिक का दर्जा हासिल है. ऐसे ही श्रेष्ठ एवं अनुभवी वैदिक गुरु हमारे देश में आज भी मौजूद हैं. इनके पास औपचारिक डिग्री नहीं है और वैदिक बोर्ड गठित करते समय इनका ध्यान रखा जाना चाहिए.

श्री राधाकृष्ण वेद विद्यालय के संरक्षक एवं उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ई सी अग्रवाल ने बच्चों एवं स्कूली छात्रों में नैतिक शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए मांग की है कि महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्यालय प्रतिष्ठान के नेतृत्व में वैदिक शिक्षा बोर्ड स्थापित किया जाए और शिक्षकों के वेतनमान एवं छात्रों के प्रमाणपत्रों की मान्यता से जुड़े विषयों का हल निकाला जाए.

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