दिल्ली यूनिवर्सिटी के 800 स्टूडेंट्स का एडमिशन अधर में लटका

बार काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट आने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी मे एडमिशन के लिए चुने गए करीब 800 स्टूडेंट्स का एडमिशन अधर मे लटक गया है. इसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी की इवनिंग क्लासेज को बंद करने के लिए कहा गया है.

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पूनम शर्मा

  • नई दिल्‍ली,
  • 08 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी मे एडमिशन के लिए चुने गए करीब 800 स्टूडेंट्स का एडमिशन अधर मे लटक गया है. इसकी वजह है बार काउंसिल ऑफ इंडिया की वो रिपोर्ट है जिसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी की इवनिंग क्लासेज को बंद करने के लिए कहा गया है.

स्‍टूडेंट ने किया कड़ा विरोध
आज बड़ी संख्या में तमाम स्टूडेंट्स हाई कोर्ट के बाहर इकट्ठा हुए जिनको अभी भी यूनिवर्सिटी ने यह साफ- साफ नहीं बतया है कि एडमिशन की कॉल आने के बाद भी उनका एडमिशन इस सत्र में होगा या नहीं.

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दरअसल पिछले साल तक दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी मे करीब 2300 लॉ स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाता था. इस बार भी एडमिशन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद यूनिवर्सिटी ने 2300 स्टूडेंट्स को चुन लिया. लेकिन बार काउंसिल की रिपोर्ट सिफारिश करती है कि फ़िलहाल लॉ फैकल्टी के पास जो इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर मौजूद है उसमें  करीब 1500 स्टूडेंट्स को ही पढ़ाया जा सकता है. इसलिए इवनिंग क्लासेज को बंद कर दिया जाए.

भरना पड़ सकता है 30 लाख जुर्माना
बार काउंसिल ने साफ कर दिया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी लीगल एजुकेशन रूल 2008 के नियमों का पालन नहीं कर रही है. लिहाज़ा 2011 से अब तक 2016 का वो नियम पालन न करने का 30 लाख का जुर्माना भी भरे.

800 छात्रों का भविष्य खतरे में
इन तमाम चीजों के बीच उन 800 छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है जों यहां लॉ फैकल्टी मे पढ़ाई के लिए अपनी सीट पक्की कर चुके थे. लेकिन अब यहां एडमिशन न मिलने के बाद उनके पास इस साल रास्ते बंद हो गए हैं क्योंकि बाकी यूनिवर्सिटी के यहां भी एडमिशन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है और प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फीस इतनी ज़्यादा है कि वहा एडमिशन लेना सबके बस की बात नहीं है.

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लिहाजा ये छात्र अब कानूनी लड़ाई के विकल्पों पर विचार कर रहे है. अभी तक दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है. इसलिए छात्रों की दुविधा और बढ़ गयी है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास नई बिल्डिंग मे इवनिंग क्लासेज कराने का विकल्प है लेकिन ये इस सत्र में करना भी आसान काम नहीं है क्योंकि उसके लिए कई तरह की NOC की ज़रूरत होती है. शायद इस मामले मे कोर्ट के दख़ल के बाद कोई समाधान निकल पाए.

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