7वीं में हुआ था फेल, आज है 100 करोड़ की कंपनी का मालिक

7वीं में ये व्‍यक्ति फेल तो जरूर हुआ लेकिन 100 करोड़ की कंपनी का मालिक बन दिखा दिया जिंदगी में सफल होने के लिए जरूरी नही हर क्लास में पास होना. पढ़ें पूरी कहानी.

Advertisement
विमल पटेल विमल पटेल

वंदना भारती

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

ऐसा हरगिज नहीं हैं अगर स्कूल में पढ़ने में कोई बच्‍चा अच्छा नहीं है, तो जिंदगी में कभी सफल नहीं होगा. सफल होने के लिए स्कूल की पढ़ाई में टॉप करने की नहीं बल्कि जिंदगी की लड़ाई को जीतकर आगे बढ़ने की जरूरत होती है. अक्‍सर हम ऐसा मान लेते हैं कि जो बच्चा बचपन में स्कूल में अच्छा नहीं पढ़ता या फेल हो जाता है वो आगे जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता. लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं वह एक बार विमल पटेल के बारे में जान लें. जिन्होंने आज अपनी मेहनत के दम पर 100 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है.

Advertisement

13 साल का शुभम बना GOLF की दुनिया का लिटिल टाइगर, जानें कैसे

कौन हैं विमल पटेल

गुजरात के आनंद जिले के रहने वाले विमल पढ़ने में अच्‍छे नहीं थे. जिस वजह से वह 7वीं कक्षा में फेल हो गए. मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाले विमल को ये बातें सुनने को मिलती थीं कि वह  जिंदगी में कुछ हासिल नहीं कर पाएगा. कक्षा में फेल हो जाने के बाद उनके माता-पिता ने कहा कि वे घर से चले जाएं और खुद कमाकर अपनी जिंदगी चलाएं. बता दें स्कूल से आने के बाद विमल दोस्तों के साथ घूमा करते थे. वहीं इस दौरान उन्होंने पिता से रत्नों की पॉलिश करने का काम सीख लिया था.

इस इंजीनियर ने छोड़ा लाखों का पैकेज, शुरू किया चाय बेचने का काम

संघर्ष भरे थे वो दिन

Advertisement

एक बच्चा, जो पढ़ाई में अच्छा नहीं है ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती थी कि वह आगे क्या करे? कैसे पैसे कमाएं? साल 1996 में वह पहली बार मुंबई आए. जहां से उनके जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ. उन्होंने सबसे पहले मजदूरी का काम मिला. मुंबई जैसे बड़े शहर में उन्हें सिर्फ 4 हजार रुपये मिलते थे, जिससे बड़ी मुश्किल से उनका खर्चा चल पाता था.विमल ये जान गए थे कि मुंबई जैसे महंगे शहर में रहना है मजदूरी से काम नहीं चलने वाला. मजदूरी छोड़कर विमल ने मुंबई के चीता मार्केट में हीरे की कई फैक्ट्रियों में पॉलिश का काम ढूंढ़ना शुरू किया क्योंकि वे इस काम को अच्छे से जानते थे. विमल ये जल्दी ही जान गए थे कि मजदूरी कर के वह अपनी तकदीर कभी नहीं बदल सकते. इसलिए उन्होंने अपनी तनख्वह से कुछ पैसे बचाने भी शुरू कर दिए.

जब खुद की कंपनी की शुरू

विमल के कुछ दोस्त उस वक्त बिना तराशे गए हीरे की मार्केटिंग किया करते थे. इससे उन्हें अच्छा-खासा कमीशन हासिल होता था. विमल ने भी धीरे-धीरे यह ट्रिक सीख ली और 1997 के बाद से खुद भी यही काम करना शुरू कर दिया. एक साल हीरे की पॉलिश करने के बाद विमल ने भी ब्रोकर के तौर पर काम किया और कुछ दिन के बाद उन्हें हर रोज 1 से 2 हजार रुपये मिलने लगे. फिर क्या था उन ब्रोकर के बचाए हुए पैसों से उन्होंने खुद की कंपनी खोल दी. जिसका नाम रखा 'विमल जेम्स'. शुरुआत में उनकी कंपनी में महज 8 लोग ही काम किया करते थे. लेकिन साल 2000 के आते-आते उनका कुल टर्नओवर 15 लाख हो गया.

Advertisement

मोबाइल लेकर क्लास में नहीं जा सकेंगे टीचर्स, जानें क्‍यों?

जब सहना पड़ा नुकसान

संघर्ष भरे इस करियर में उन्हें नुकसान भी हुआ. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनकी कंपनी को सबसे पडा झटका तब लगा जब एक कर्मचारी साल 2001 में 29 लाख का हीरा लेकर भाग गया था. इसके बाद भी विमल के हौसले डगमगाए नही. जैसे-तैसे उन्होंने साल 2009 में जलगांव में खुद का एक रत्न और आभूषणों का आउटलेट खोला.

विमल का आइडिया था कि वह एस्ट्रोलॉजर को हायर करेंगे और ग्राहक उस एस्ट्रोलॉजर की सलाह के मुताबिक रत्नों की खरीददारी करेंगे. देखते ही देखते विमल का ये शानदार आइडिया लोगों को पसंद आने लगा. फिर क्या इसके बाद विमल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अब अगर आप पढ़ाई में कमजोर बच्चे को देखें तो एक बार विमल के बारे में सोच लें जो 7वीं में फेल तो हुआ लेकिन आज महाराष्ट्र में 52 आउटलेट्स के मालिक है. जिनकी कंपनी में लगभग 550 लोग काम करते हैं. और आज ये कपंनी 100 करोड़ क्लब में शुमार की जाती है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement