MPPSC Topper Priyal Yadav Success Story: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने राज्य सेवा परीक्षा 2021 का अंतिम परिणाम घोषित किया है. टॉप 10 सफल उम्मीदवारों में 7 महिला अभ्यर्थियों ने जगह बनाई है. इंदौर, हरदा के छोटे से गांव खिड़कियां की प्रियल यादव ने छठा स्थान हासिल किया है. एक किसान की बेटी, लगातार तीन बार राज्य सिविल सेवा परीक्षा क्रेक किया और इस बार डिप्टी कलेक्टर बन गई हैं.
तीसरी बार क्रैक किया MP PSC एग्जाम
किसान परिवार से आने वाली प्रियल बताती हैं कि कोरोना के समय पढ़ना बड़ा मुश्किल हो गया था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और इंटरनेट के जरिये पढ़ाई जारी रखी. प्रियल यादव ने तीसरी बार मध्य प्रदेश पीसीएस परीक्षा पास की है. फिलहाल वे जिला सब रजिस्ट्रार पद पर पदस्थ हैं. प्रियल ने 2019 में एमपीपीएससी परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल की और जिला रजिस्ट्रार के पद के लिए चुनी गई. 2020 में 34वीं रैंक मिली और उन्हें सहकारी विभाग में सहायक आयुक्त का पद मिला. अब 2021 की परीक्षा में प्रियल यादव ने 1500 में से 910.25 अंक लाकर टॉप 10 में जगह बनाई है.
कभी 11वीं क्लास में हो गई थीं फेल
बता दें कि ये वही प्रियल है जो 11वीं में एक बार फेल हो गई थीं. प्रियल 10वीं तक अपनी कक्षा में टॉप करती थीं, मगर पारिवारिक दबाव में 11वीं में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और मैथ्स सब्जेक्ट चुन लिया. प्रियल को इन विषयों में कोई रुचि नहीं थी, जिसकी वजह से वह 11वीं में भौतिक विज्ञान में फेल हो गई थीं. लेकिन इसके बाद उन्होंने मेहनत की न सिर्फ 11वीं में अच्छे मार्क्स हासिल किए बल्कि राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा में से एक पीसीएस परीक्षा तीन बार पास की है.
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जब अपने करियर को लेकर घबरा गई थीं प्रियल
उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी आया कि मैं घबरा गई थी, मेरे सभी दोस्त विदेश में सेटल हो गए थे, मैं रिजल्ट का इंतजार कर रही थी लेकिन में पढ़ती गई, मुझे अपने देश मे ही काम करना है यही रहना है और महिलाओं के लिए काम करना है.
शादी का दबाव डाल रहे थे रिश्तेदार, तब माता-पिता ने समझा
प्रियल ने बताया कि मेरी सफलता के पीछे मेरे माता पिता परिवार का बहुत बड़ा हाथ है. गांव में रहकर पड़ना बहुत ही कठिन है, रिश्तेदार शादी करने की बाद करते रहते हैं. मेरे पिता किसान हैं और मां गृहिणी ग्रामीण इलाके से आती हैं, जहां लड़कियों की शादी बहुत कम उम्र में हो जाती है लेकिन मेरे माता-पिता ने शादी के बजाय पढ़ाई करने की पूरी स्वतंत्रता दी. तभी में आज डिप्टी कलेक्टर हूं.
रोजाना 12 से 14 घंटे की पढ़ाई
प्रियल बताती हैं कि वे रोजाना 12 से 14 घंटे पढ़ाई करती थीं. उन्होंने कहा कि मां हमेशा मेरा ध्यान रखती थी. मेरे गांव से मैं पहली लड़की हूं जो यहां तक पहुंची है. उन्होंने कहा कि चाहे हालात कैसे भी हो हार नहीं मानना चाहिए. मैं वही करती रही, मैं जॉइन करने के बाद अवेर्नेस पर ध्यान देना चाहूंगी. हमारे देश मे अवेर्नेस कम है, मैंने एनजीओ में काम किया है. अब महिला और बच्चों के लिए काम करना चाहती हूं, खासकर महिला को सेनेट्री की जानकारी कम है उनका काम आसान बनना मेरा मकसद है. सिस्टम में रहकर काम करना होता है लेकिन चेलेंज तो है.
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प्रियल की मां का कहना है कि गांव में संघर्ष बहुत है पर आज खुशी ज्यादा मिली है. मैंने सिर्फ़ बच्चों की पढ़ाई पर धयान दिया है, रिश्तेदार तो बोलते रहते हैं, पर आज वो खुश हैं, सुबह से फोन आ रहे हैं, मेरी मेहनत सफल हो गई है. परिवार में पहली बार कोई अपर कलेक्टर बना है इसके लिए मैंने बहुत कुछ सुना है.
धर्मेंद्र कुमार शर्मा