हिंदी के कई उपन्यास भाषा, विषय और कथानक के स्तर पर बहु रोचक और मार्मिक हैं. हमने हिंदी दिवस पर ऐसे ही 12 लोकप्रिय हिन्दी उपन्यासों का चुनाव किया है. यदि आप पुस्तक प्रेमी हैं, तो इन्हें जरूर पढ़ें.
गुनाहों के देवता: ये हिंदी के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासों में से एक है. इसके सौ से ज्यादा संस्करण छप चुके हैं. उपन्यास का आधार एक अव्यक्त प्रेमकथा है. यह एक युवक की कहानी है, जिसे अपने शिक्षक की बेटी से प्रेम हो जाता है. यह उपन्यास प्रेम को एक नई परिभाषा देता है. (लेखक: धर्मवीर भारती)
मैला आंचल: ग्रामीण अंचल को दर्शाने वाला ये हिंदी का बेहतरीन उपन्यास है. इसकी पृष्ठभूमि में उत्तर-पूर्वी बिहार का ग्रामीण इलाका है, जिसमें एक युवा डॉक्टर आकर रहता है और ग्रामीणों के लिए काम करता है.इस दौरान उसका सामना ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख, कष्ट, अभाव, अज्ञान और अन्धविश्वास से होता है. (लेखक: फणीश्वरनाथ रेणु)
गबन: यह हिंदी का एक कालजयी उपन्यास माना जाता है. यह भारतीय मध्यम वर्ग की उस मनोदशा का चित्रण करता है, जिसमें आमजन लालसा और लालच के कुचक्र में फंसे रहते हैं. इसका केंद्रीय पात्र जालपा है, जिसके बचपन से लेकर जवानी तक की कहानी लेखक ने रोचक ढंग से कही है. (लेखक: मुंशी प्रेमचंद)
अंधा युग: इस हिंदी उपन्यास में लेखक ने युद्ध की भयावहता और उसका आम जीवन पर पड़ने वाले असर के बारे में लिखा गया है. लेखक ने महाभारत का संदर्भ लेकर आज के आधुनिक जीवन की बात की है. इसमें काव्य और नाटक दोनों विधाओं का मिश्रण है. (लेखक: धर्मवीर भारती)
नदी के द्वीप: यह जीवन के द्वंद्वों में फंसे चार किरदारों की कहानी है. ओशो ने 160 ऐसी जरूर पढ़ी जाने वाली किताबों का चयन किया था, जिन्होंने उन पर सबसे ज्यादा असर डाला. ओशो ने इनमें हिंदी की सिर्फ एकमात्र किताब शामिल की और वह थी अज्ञेय की 'नदी के द्वीप.' (लेखक: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय )
तमस: भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की व्यथा पर लिखा गया यह बेहतरीन उपन्यास है. इसमें राजनीतिक हालात की बजाय उन आम लोगों की कहानी कही गई है, जो बंटवारे के कारण हर तरह से बर्बाद हुए. इस उपन्यास पर सीरियल और फिल्म भी बनाई जा चुकी है. (लेखक: भीष्म साहनी)
कितने पाकिस्तान: 'कितने पाकिस्तान' एक प्रयोगवादी हिंदी उपन्यास माना जाता है. इसे 2003 में साहित्य अकादमी से नवाजा गया था. इसमें अपने समय पर असर डालने वाली कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का लेखक ने अलग तरह से जिक्र किया है. इसका केंद्रीय पात्र अदीब है, जो साहित्यकार है और समाज के लिए चिंतित है. (लेखक:कमलेश्वर)
वैशाली की नगरवधू: यह एक क्लासिक उपन्यास माना जाता है, जिसमें बिहार के वैशाली की एक नगरवधू आम्रपाली की मार्मिक कहानी है. इस उपन्यास का जिक्र किए बिना हिंदी की बात अधूरी है. यदि आप हिंदी की गहराई और समृद्धता को समझना चाहते हैं तो ये उपन्यास आपके लिए है. (लेखक: आचार्य चतुरसेन)
मुझे चांद चाहिए: यह भी हिंदी के बेहद चर्चित और लोकप्रिय उपन्यासों में शामिल है. यह मध्यम वर्गीय पुरातनपंथी परिवार में जन्मी लड़की वर्षा के संघर्ष की कहानी है. वह अपने कला संसार को पाने के लिए जीवन की तमाम विषमताओं का सामना करती है. उसकी राह में जीवन के कई संघर्ष रोड़े बनकर आते हैं. (लेखक: सुरेंद्र वर्मा)
और अंत में प्रार्थना: यह उपन्यास एक ऐसे शख्स की कहानी है, जो किसी भी तरह की विषम परिस्थितियों में अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहता. आखिर में वह इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाता है. इस उपन्यास का नाटक के रूप में भी मंचन हुआ है. (लेखक: उदय प्रकाश)
आधा गांव: इसे हिंदी का बेहद सशक्त उपन्यास माना जाता है. इसमें उत्तरप्रदेश के गाजीपुर के पास स्थिहत गंगौली गांव की कहानी बताई गई है. इसमें पाकिस्तान बनने से पहले मुसलमानों की मनोदशा और हिन्दुओं से उनके रिश्तों का मार्मिक वर्णन किया गया है. इसे पढ़ना वाकई दिलचस्प अनुभव है. (लेखक: राही मासूम रजा)
कसप: समीक्षकों ने इस हिंदी उपन्यास को प्रेमाख्यानों में 'नदी के द्वीप' के बाद सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है. इस उपन्यास की खासियत है कि इसमें कुमाऊंनी भाषा का प्रयोग किया गया है. यह उपन्यास एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी है. उसकी टीसें और दुख-दर्द को बयां किया गया है. (लेखक: मनोहर श्याम जोशी)