शर्मीला होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, यह जेनेटिक्स स्वभाव से या बचपन के माहौल से भी जुड़ा हो सकता है. जहां बार-बार टोका जाना, आलोचना या रिजेक्शन का अनुभव मिला हो. कई बार यह झिझक बड़े होने पर भी विकसित हो सकती है, जैसे स्कूल या कॉलेज में साथियों से मजाक उड़ाया जाना, या टीचर्स से बार-बार आलोचना सुनना. ऐसे अनुभवों के बाद व्यक्ति भविष्य में अपमानित होने के डर से लोगों से दूरी बनाने की कोशिश कर सकता है और कुछ बोलने से पहले झिझक महसूस करता है. आइए जानते हैं शर्मिला होने या झिझक से बचने के टिप्स.
समस्या की पहचान करना
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आपको झिझक किस चीज से है. कई लोग शर्मीलापन, सोशल एंग्जायटी और इंट्रोवर्ट होने को एक ही चीज समझते हैं, जबकि ये अलग-अलग हो सकती है. शर्मीले लोग शुरुआत में बात करने से घबरा सकते हैं लेकिन एक बार घुल-मिल जाएं तो बातचीत करने में उनको ज्यादा परेशानी नहीं होती. वहीं, सोशल एंग्जायटी में व्यक्ति को लगातार जज किए जाने, रिजेक्ट होने या मजाक बनने का डर सता सकता है.
छोटी-छोटी गलतियों पर ध्यान नहीं देना
अगर आपको ऐसा लगता है कि बाकी लोग आपकी हर बात और हर मूवमेंट नोटिस कर रहे हैं तो आपको इससे बचना चाहिए. जब आपको ये चिंता होती है कि लोग आपकी गलती या छोटी-छोटी आदतों को नोटिस करके जज करेंगे, तो यह आपके लिए समस्या बन सकता है. सच्चाई तो यह है कि लोग खुद में इतने व्यस्त हो सकते हैं कि उन्हें कई बार आपकी छोटी गलतियां दिखाई ही ना दें. आपको खुद को जज करना बंद करना चाहिए और दूसरों की नजरों से खुद को देखने से भी बचना चाहिए.
बातचीत करते वक्त ध्यान देना
जब आप किसी नए इंसान से मिलते हैं या दोस्ती की शुरुआत करते हैं, तो जरूरी नहीं कि आप हर बात में एक्सपर्ट दिखने की कोशिश करें. अगर आपको किसी चीज की जानकारी नहीं है, तो ईमानदारी से कह सकते हैं कि मुझे इसका आइडिया नहीं है. यह कहना आपकी ईमानदारी दिखा सकता है.
आपको किसी से भी बातचीत के दौरान खुद पर नहीं, बल्कि सामने वाले की बातों पर ध्यान देना चाहिए. इससे बातचीत का फ्लो बेहतर हो सकता है और आपका अनावश्यक डर भी कम हो सकता है.
समस्या से भागना नहीं है
कई बार आपको सोशल इवेंट्स से दूर रहना या अकेले रहना सेफ लग सकता है. यह आपको रिजेक्शन से भी बचा सकता है, लेकिन इससे भागकर आपकी समस्या पूरी तरीके से हल हो यह जरूरी नहीं है. आप इस वजह से अकेलेपन का सामना कर सकते हैं. आपको अपनी क्लास, ग्रुप या ऑफिस में दोस्तों से बातचीत करनी चाहिए. खुद को दूसरों से कनेक्ट रखना आपकी मदद कर सकता है. बेहतर होगा कि आप अपनी रुचि के हिसाब से अपने साथी खोजें.
दोस्ती करना
आप नए दोस्त बनाने की कोशिश कर सकते हैं. इसके लिए आप किसी से बात करना शुरू कर सकते हैं. रोज थोड़ा-थोड़ा बात करने से आप दोस्ती की शुरुआत कर सकते हैं. आप हर दिन एक छोटा संवाद शुरू करना सीख सकते हैं. यह करना धीरे-धीरे आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद कर सकेगा.
जबरदस्ती बदलाव से बचना
अगर आपका शर्मीलापन आपकी लाइफ को प्रभावित नहीं कर रहा है, तो खुद को बदलने की जरूरत नहीं है. हो सकता है कि आपको नए लोगों से मिलने की खास इच्छा न हो, लेकिन जब कोई आपको किसी से इंट्रोड्यूस करता है, तो आप बिना परेशानी के बात कर लेते हैं. यह भी संभव है कि काम की बात करते समय आप शुरुआत में थोड़ा नर्वस महसूस करें, लेकिन जरूरत पड़ने पर बातचीत को अच्छे से हैंडल कर लेते हों तो ऐसे में इसे कमजोरी मानना सही नहीं होगा.
ध्यान दें, अगर आपको लगता है कि आपकी समस्या रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही है, तो किसी सर्टिफाइड थैरेपिस्ट से बात करना समझदारी हो सकती है. यह कोई कमजोरी नहीं, बल्कि ग्रोथ की दिशा में आपका पहला कदम बन सकता है.
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