क्या है नॉर्मलाइजेशन? जिसका UPPSC के बाद BPSC के अभ्यर्थी कर रहे विरोध

अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन के बीच, बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने बीपीएससी 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. परीक्षा के लिए 4.83 लाख से अधिक अभ्यर्थी पहले ही आवेदन कर चुके हैं. 13 दिसंबर को होने वाली परीक्षा के लिए 1000 से अधिक केंद्रों पर लगभग 30,000 सीसीटीवी कैमरे और जैमर पहले ही लगाए जा चुके हैं. दूसरी ओर अभ्यर्थी नॉर्मलाइजेशन मेथड का विरोध कर रहे हैं.

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Candidates Protest for BPSC 70th Exam (Representational Image) Candidates Protest for BPSC 70th Exam (Representational Image)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST

UPPSC के बाद BPSC के अभ्यर्थी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे हैं. बीपीएससी 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू करने के खिलाफ अभ्यर्थियों ने बिहार की राजधानी पटना में बीपीएससी ऑफिस के पास प्रदर्शन किया. सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हो गए.

हाल ही में UP PCS और RO/ARO भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन मेथड लागू करने का विरोध किया था. हालांकि विरोध प्रदर्शन के बाद यूपीपीएससी ने इस फैसले को वापस ले लिया था. आयोग द्वारा मांग स्वीकार होने के बाद (पांच दिन बाद) अभ्यर्थियों ने अपना विरोध प्रदर्शन वापस लिया था. यूपीपीएससी ने घोषणा की थी कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 22 दिसंबर को दो पालियों में आयोजित की जाएगी.

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वहीं BPSC अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है. आयोग ने साफ कहा है कि बीपीएससी 70वीं सीसीई परीक्षा 13 दिसंबर को अपने पुराने फॉर्मेट (अलग-अलग शिफ्ट में) पर ही होगी. अगर बीपीएससी की यह परीक्षा अलग-अलग शिफ्ट में हुई तो अभ्यर्थियों के अंकों का मूल्यांकन नॉर्मलाइजेशन मेथड के आधार पर ही होगा. आइये जानते हैं आखिर यह नॉर्मलाइजेशन मेथड क्या है? 

नॉर्मलाइजेशन क्या है?

दरअसल, नॉर्मलाइजेशन फॉर्मेट के तहत किसी परीक्षा में मिले अंकों को सामान्य यानी नॉर्मलाइज किया जाता है. इसका इस्तेमाल विभिन्न सेटों में प्राप्त अंकों को एक ही पैमाने पर लाने के लिए किया जाता है. बीपीएससी परीक्षा में, विभिन्न एक से अधिक शिफ्ट में होने वाले पेपरों के अंकों का मूल्यांकन इसी मेथड से होना है, जिसका अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं. यह  दर्शाता है कि उस शिफ्ट में अन्य सभी उम्मीदवारों ने इस टॉप स्कोरर के बराबर या उससे कम स्कोर किया है. फाइनल मेरिट लिस्ट और रैंकिंग असल स्कोर से प्राप्त पर्सेंटाइल स्कोर द्वारा निर्धारित की जाएगी. 

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पर्सेंटाइल निकालने का फॉर्मूला

उदाहरण के लिए मान लीजिए अगर किसी अभ्यर्थी को परीक्षा में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत अंक मिले हैं और 70 फीसदी या उससे कम मार्क्स लाने वाले अभ्यर्थियों की कुल संख्या 15000 है, जबकि ग्रुप में कुल अभ्यर्थियों की संख्या 18000 थी तो पर्सेंटाइल ऐसे निकालेंगे-100x15000/18000=83.33% (यह प्रतिशत ही उस छात्र का पर्सेंटाइल होगा जिसने 70% अंक प्राप्त किए हैं.)

मान लीजिए दो शिफ्ट A और B हैं. शिफ्ट A का पेपर थोड़ा आसान है, जबकि शिफ्ट B का पेपर थोड़ा कठिन है. शिफ्ट A में औसतन उम्मीदवारों ने 150 में से 120 अंक प्राप्त किए हैं और शिफ्ट B में औसतन उम्मीदवारों ने 150 में से 100 अंक प्राप्त किए तो यहां नॉर्मलाइजेशन का उपयोग करके शिफ्ट B के उम्मीदवारों के अंकों को बढ़ाया जाएगा ताकि दोनों शिफ्टों के अंकों को एक समान पैमाने पर लाया जा सके. नॉर्मलाइजेशन के बाद, सभी उम्मीदवारों के अंक एक नए पैमाने पर तब्दील हो जाते हैं. अब, शिफ्ट A और शिफ्ट B के उम्मीदवारों के अंकों की तुलना एक ही पैमाने पर की जा सकती है.

क्यों किया जाता है नॉर्मलाइजेशन?

  • विभिन्न शिफ्टों में पेपर का कठिनता स्तर अलग-अलग होने के कारण, बिना नॉर्मलाइजेशन के एक ही अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों का प्रदर्शन समान नहीं हो सकता है.
  • नॉर्मलाइजेशन यह सुनिश्चित करता है कि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले और किसी भी उम्मीदवार को केवल इसलिए नुकसान न पहुंचे क्योंकि उसने एक कठिन शिफ्ट में परीक्षा दी थी.
  • नॉर्मलाइजेशन के माध्यम से अंतिम मेरिट सूची अधिक सटीक होती है.

 

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नॉर्मलाइजेशन का विरोध क्यों?

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि BPSC द्वारा परीक्षा के लिए जो नए नियम लागू किए गए हैं, वे उनके लिए अनावश्यक और भेदभावपूर्ण हैं. अभ्यर्थियों का आरोप है कि नियमों में अचानक बदलाव से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वे कहते हैं कि इस बदलाव से उनकी तैयारी पर असर पड़ा है, और यह न सिर्फ उनके मेहनत को नजरअंदाज करता है, बल्कि भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है.

बीपीएससी का मानना है कि पर्सेंटाइल और नार्मलाइजेशन मेथड से पेपर लीक को रोका जा सकेगा, क्योंकि इसके तहत आयोग अलग-अलग सेट के प्रश्न पत्र तैयार करेगा. हालांकि, विरोधी पक्ष का कहना है कि परीक्षा में केवल एक ही सेट का प्रश्न पत्र होना चाहिए, ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले. उनका तर्क है कि अगर अलग-अलग सेट में प्रश्न पत्र होंगे, तो कुछ सेट में कठिन सवाल होंगे, जबकि कुछ में सरल सवाल. इससे परीक्षा के निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं.

बीपीएससी ने कर ली परीक्षा की तैयारी

बीपीएससी ने पहले ही कहा है कि परीक्षा प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और पुराने फॉर्मेट को ही फॉलो किया जाएगा. बीपीएससी के अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई ने पहले ही साफ कर दिया है कि 13 दिसंबर की परीक्षा की तारीखों को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए चेयरमैन ने कहा, "इसे पहले ही 18 अक्टूबर (पहले की अंतिम तिथि) से बढ़ाकर 4 नवंबर कर दिया गया था. परीक्षा के लिए 4.83 लाख से अधिक अभ्यर्थी पहले ही आवेदन कर चुके हैं. यह उन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा जिन्होंने पहले ही आवेदन कर दिया है. 13 दिसंबर को होने वाली परीक्षा के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं. 1000 से अधिक केंद्रों पर लगभग 30,000 सीसीटीवी कैमरे और जैमर पहले ही लगाए जा चुके हैं." 

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