क्या डोनाल्ड ट्रंप का फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से भारतीय छात्रों को नुकसान हो सकता है? क्या फिर से ट्रंप सरकार विदेशी छात्रों के वीजा नियमों में बदलाव करने वाली है? क्या भारतीय छात्रों का अमेरिका में पढ़ाई करना मुश्किल हो जाएगा? अमेरिका की प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी की एक एडवाइजरी जारी होने के बाद यूएस में पढ़ाई को लेकर विदेशी (बाहरी) छात्रों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
20 जनवरी को राष्ट्रपति की शपथ लेंगे डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं. ट्रंप का शपथ ग्रहण 20 जनवरी 2025 को होगा. जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयारियों के बीच, अमेरिका में पढ़ाई और काम करने वाले भारतीय छात्रों समेत विदेशी छात्रों की मुश्किलें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. माना जा रहा है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल की तरह ही यात्रा प्रतिबंध, वीजा समस्याएं और पॉलिसी में बदलाव हो सकते हैं.
टॉप यूनिवर्सिटीज ने जारी की ट्रैवल एडवाइजरी
दरअसल, यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स, एमहर्ट्स ने कम से कम दो अन्य संस्थानों के साथ मिलकर यह एडवाइजरी जारी की है, जिसमें संभावित यात्रा प्रतिबंधों के डर के बीच अंतरराष्ट्रीय छात्रों से शपथ ग्रहण से पहले देश (अमेरिका) लौटने का आग्रह किया गया है. इसमें अंतरराष्ट्रीय छात्रों, स्कॉलर्स और स्टाफ को ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अमेरिका लौटने का आग्रह किया है.
ग्लोबल अफेयर्स ऑफिस की ट्रैवल एडवाइजरी में कहा गया है, "यह सलाह पूरी सावधानी बरतते हुए दी जा रही है, क्योंकि नया राष्ट्रपति प्रशासन अपने कार्यकाल के पहले दिन ही नई नीतियां लागू कर सकता है.", जैसा कि 2017 में हुआ था. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में (2017 में) कई देशों के लोगों पर ट्रैवल बैन लगाया था.
20 जनवरी से पहले वापस अमेरिका लौटने की सलाह
वेस्लेयन यूनिवर्सिटी के कॉलेज अख़बार वेस्लेयन आर्गस ने बताया कि यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय छात्र मामलों के कार्यालय (OISA) ने अपने छात्रों को इसी तरह का मार्गदर्शन जारी किया था. कथित तौर पर कार्यालय से एक ईमेल में लिखा था: "देश में फिर से वापस आने में कठिनाई से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका 19 जनवरी और उसके बाद के दिनों में अमेरिका में मौजूद रहना है."
MIT डीन की सलाह
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (MIT) के एसोसिएट डीन डेविड एल्वेल ने वीज़ा प्रक्रिया में संभावित देरी और नई नीतियों के लागू होने पर अमेरिका से बाहर रहने से जुड़े जोखिमों की चेतावनी दी. उन्होंने हाल ही में एक पोस्ट में लिखा, "हर चुनाव के साथ, नीतियों, विनियमों और कानून में बदलाव हो सकते हैं जो उच्च शिक्षा के साथ-साथ इमिग्रेशन और वीजा स्टेटस के मामलों को प्रभावित करते हैं."
2017 में क्या हुआ था, जिसकी वजह से सता रहा डर?
दरअसल, ट्रंप के पहले कार्यकाल में इमिग्रेशन पॉलिसी में बहुत ज्यादा बदलाव देखा गया है, जिसकी वजह से विदेशी छात्रों पर काफी असर पड़ा. जनवरी 2017 में ट्रंप ने अपने कार्यकाल के सातवें दिन ही एक कार्यकारी आदेश पर साइन किया, जिसके जरिए सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों की देश में एंट्री बैन कर दी गई. बाद में इस बैन के दायरे में वेनुजुएला और उत्तर कोरिया जैसे देश भी शामिल किए गए. इस वजह से एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मच गई और कई यूनिवर्सिटीज के स्टाफ विदेश में फंस गए.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्रालय ने अभी तक इस संबंध में कोई औपचारिक एडवाइजरी जारी नहीं की है, लेकिन स्थिति को स्वीकार किया है और अमेरिका में भारतीय नागरिकों से यात्रा नियमों पर अपडेट रहने का आग्रह किया है.
अमेरिका में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र
हायर एजुकेशन करने वाले भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका सबसे पसंदीदा देश बना हुआ है. 2023-2024 में चीन को पीछे छोड़कर अंतरराष्ट्रीय छात्रों के मामले में भारत पहले नंबर पर आ गया है. ओपन डोर्स 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 331,602 भारतीय छात्रों ने अमेरिकी संस्थानों में दाखिला लिया, जो पिछले साल की तुलना में 23 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि को दर्शाता है.
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