UPSC Success Story: यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. इस एग्जाम को क्लियर करके सिविल सर्विस में जाने की इच्छा हर उम्मीदवार के मन में होती है. इस परीक्षा में प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा होती है कि कई बार तैयारी कर रहे अभ्यर्थी का हौसला टूटने लगता है. उनके मन में कई बार यह सवाल आता है कि इतने ज्यादा कॉम्पिटिशन में क्या मैं यह एग्जाम क्लियर कर पाऊंगा? प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू के तीन चरणों में होने वाली इस परीक्षा में बहुत कम ही उम्मीदवार अंतिम पड़ाव तक पहुंचते हैं. उनमें से कुछ ही ऐसे होते हैं जिन्हें मंजिल मिलती है.
यूपीएससी की तैयारी की पूरी जर्नी में जिस एक गुण की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वो है धैर्य. यह धैर्य, धीरज या पेशेंंस हर किसी मे नहीं होता. लेकिन इस धैर्य की जीती-जागती मिसाल जय गणेश जैसे उम्मीदवार होते हैं. कभी वेटर का काम करने वाले जय गणेश ने कठिन मेहनत, त्याग और सिर्फ धैर्य के बल पर सातवें अटेंप्ट में यूपीएससी क्लियर किया. अगर आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं और आपके हौसले जवाब देने लगें तो एक बार ठहरकर सोचें. इस जर्नी में आपको जय गणेश जैसे यूपीएससी में सफल हुए लोगों की कहानी प्रेरित करेगी, जिन्होंने जीवन की परेशानियों का सामने करते हुए सफलता हासिल की.
जब 6वे अटेंप्ट में भी नहीं निकला यूपीएससी
के. जयगणेश एक गरीब परिवार से थे. घर में इतनी गरीबी देखकर उन्हें यही लगता रहा कि जीवन में कुछ ऐसा करना है जिससे उनका परिवार खुशी से रह सके. इसीलिए जयगणेश ने इस परीक्षा को क्लियर करने का सोचा. जरा सोचिए कि जयगणेश के पास इतने संसाधन नहीं थे कि वह महंगी कोचिंग करें, नई किताबें खरीदें, इतनी गरीबी के बीच मैनेज करके उन्होंने अपनी पढ़ाई की है. 6 बार एग्जाम में फेल होने के बाद भी उन्होंने यह नहीं सोचा कि यह सब छोड़कर कोई नौकरी कर लेनी चाहिए.
जयगणेश के पिता लेदर फैक्ट्री में सुपरवाइजर का काम कर हर महीने सिर्फ 4,500 तक ही कमा पाते थे. परिवार में अक्सर पैसों की कमी रहती थी. चार भाई-बहनों में जयगणेश सबसे बड़े थे ऐसे में बड़े होने के कारण घर खर्च की जिम्मेदारी भी उन पर ही थी. कभी कहीं छोटा मोटा काम करके घर के खर्च उठाने में मदद करते थे. इस दौरान उन्होंने एक होटल में वेटर की नौकरी तक की, लेकिन उनकी निगाह अपनी मंजिल पर हमेशा टिकी रही.
काम के साथ साथ वो पढ़ाई कर रहे थे. इस तरह उन्होंने यूपीएससी के छह अटेंप्ट दे डाले, लेकिन एक भी बार सफल नहीं हुए. कभी प्री कभी मेंस, ऐसे कहींं न कहीं रुकावट आ जाती है. लेकिन, कुछ ही दिनों में वो दोबारा तैयारी में जुट जाते थे. इसका नतीजा यह रहा कि जब जय गणेश 7वीं बार परीक्षा में बैठे तो प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू तीनों चरण एक बार में क्लियर कर दिए. उनके लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं था. इस दौरान उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो में ऑफिसर की नौकरी का ऑफर मिला लेकिन IAS ऑफिसर बनने की अपनी जिद पर अड़े रहे और आखिर में वो मुकाम हासिल भी कर लिया.
दोस्तों में सिर्फ गणेश ने हासिल किया है ये मुकाम
aajtak.in से बातचीत में गणेश कह चुके हैं कि उनके गांव के अधिकतर बच्चे 10वीं तक ही पढ़ाई कर पाते थे और कई बच्चों को तो स्कूल का मुंह ही देखना नसीब नहीं होता था. जयगणेश बताते हैं, कि उनके गांव के दोस्त ऑटो चलाते हैं या शहरों में जाकर किसी फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. अपने दोस्तों में वह इकलौते थे जो यहां तक पहुंचे.
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