Tulsi Gowda: 60 साल से पर्यावरण संरक्षण में जुटीं तुलसी गौड़ा कभी नहीं गईं स्कूल, नंगे पांव जाकर लिया पद्मश्री

Tulsi Gowda Padma Shri Award: 'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट' कही जाने वाली तुलसी गौड़ा को उनकी सादगी के लिए बेहद पसंद किया जा रहा है. पद्म सम्‍मान लेने के लिए वे अपने पारंपरिक आदिवासी लिबास में नंगे पैर ही राष्‍ट्रपति भवन पहुंचीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी तस्‍वीर को शेयर कर लोग उन्‍हें बधाई दे रहे हैं.

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Tulsi Gowda Padma Shree 2021: Tulsi Gowda Padma Shree 2021:

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 10 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST
  • कुल 73 हस्तियों को पद्म सम्‍मान दिए गए
  • तुलसी गौड़ा की तस्‍वीर वायरल हो रही है

Tulsi Gowda Padma Shri Award: राष्‍ट्रपति भवन में सोमवार (09 नवंबर) को पद्म सम्‍मान दिए गए. कुल 73 हस्तियों को इस मौके पर सम्‍मानित किया गया. इसमें एम सी मैरीकॉम, पीवी सिंधू और कंगना रनौत समेत अन्‍य हस्तियां शामिल हैं. इन्‍हीं हस्तियों के बीच शामिल रहीं कर्नाटक की पर्यावरण संरक्षक तुलसी गौड़ा. 'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट' कही जाने वाली तुलसी को उनकी सादगी के लिए बेहद पसंद किया जा रहा है. पद्म सम्‍मान लेने के लिए वे अपने पारंपरिक आदिवासी लिबास में नंगे पैर ही राष्‍ट्रपति भवन पहुंचीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी तस्‍वीर को शेयर कर लोग उन्‍हें बधाई दे रहे हैं.

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कर्नाटक के होनाली गांव की रहने वाली तुलसी कभी स्‍कूल नहीं जा पाईं. इसके बावजूद उन्‍होंने पेड़- पौधों और वनस्पति का इतना ज्ञान स्‍वयं से एकट्ठा किया कि उन्‍हें 'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट' कहा जाने लगा. उनकी शादी बेहद कम आयु में हो गई थी. जब वह 3 साल ही थीं तभी पिता का देहांत हो गया था. वह छोटी उम्र से ही अपनी मां के साथ नर्सरी में काम करती थीं. वहीं से उनके मन में पेड़-पौधों से लगाव पैदा हो गया था. उन्होंने पिछले 6 दशकों में 30 हजार से ज्‍यादा पेड़-पौधे लगाए हैं.

इससे पहले भी तुलसी गौड़ा को पर्यावरण संरक्षण के उनके प्रयासों के लिए 'इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड, 'राज्योत्सव अवॉर्ड' और 'कविता मेमोरियल' जैसे कई अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. वह वन विभाग की नर्सरी की देखभाल करती हैं. वह कई पौधों के बीजों को इकट्ठा करती हैं, गर्मियों के मौसम तक उनका रखरखाव करती हैं और फिर सही समय पर जंगल मो बीज बो देती हैं. अपना पूरा जीवन उन्‍होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया जिसके चलते उन्‍हें पद्म सम्‍मान से सम्‍मानित किया गया है.

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