घर में सांप निकले तो उसे मारें नहीं, हिफाजत करें...जानिए रेस्क्यू का पूरा प्रोसेस और हेल्पलाइन नंबर

अगर आपके घर में या आसपास कहीं सांप निकल आए तो आप उसे रेस्क्यू करा सकते हैं. इसके लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करना होता है. वन विभाग की टीम आकर सांप को रेस्क्यू करती है और फिर उसे जंगल में छोड़ा देती है. आइए इसका पूरा प्रोसेस जानते हैं.

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How to Rescue Snake How to Rescue Snake

पल्लवी पाठक

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

सांपों को लेकर कहावत है कि सांप मर जाए और लाठी भी ना टूटे...ये कहावत कहीं न कहीं सांपों के प्रति हिंसक व्यवहार को दर्शाती है. ग्रामीण इलाकों में भी घर में या कहीं सांप निकल आए तो लोग उसे मारने पर उतारू हो जाते हैं. लेकिन यह सरासर गलत है. अगर आपके साथ ऐसा कभी हो तो सांप को मारने से पहले दो बार सोंचे क्योंकि एक ऑप्शन रेस्क्यू का भी है.

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बरसात के मौसम में अधिकतर सांप अपने बिल से निकलकर बाहर आ जाते हैं. सांप का अचानक से दिखना हर किसी को डरा देता है. अगर आपके साथ कभी ऐसा हो तो आप उस सांप को रेस्क्यू कराने के लिए वाइल्डलाइफ वालों को कॉल कर सकते हैं. वन विभाग द्वारा सांपों को रेस्क्यू किया जाता है. इसके लिए बस आपको हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करना होगा. कॉल करने के बाद वन विभाग को अपनी लोकेशन बतानी होगी, इसके कुछ देर बाद ही रेस्क्यू टीम आकर सांप को ले जाएगी.

एक्सपर्ट करते हैं सापों को रेस्क्यू

वाइल्डलाइफ एसओएस टीम में कार्यरत नील भट्टाचार्य ने बताया कि वनविभाग के पास सांप को पकड़ने के एक्सपर्ट होते हैं. जब हेल्पलाइन नंबर पर कॉल आता है तब लोकेशन के सबसे नजदीकी एक्सपर्ट को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भेजा जाता है. इसमें इलाके की पुलिस और वनविभाग एक साथ मिलकर काम करते हैं. सांप पकड़ने वाले एक्सपर्ट के पास खास ट्रेनिंग होती है. इसके अलावा सांपों को पकड़ने के लिए स्पेशल औजार यानी कि स्नेक कैचिंग स्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने आगे बताया कि सांपों को अधिकतर थैले में बंद किया जाता है. 

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इन जिलों में करा सकते हैं रेस्कयू ऑपरेशन

सिर्फ सांप ही नहीं वाइल्डलाइफ एसओएस की तरफ से चिड़िया, सियार आदि जानवरों को भी पकड़ा जाता है. अगर जानवर या कोई मैमल बड़ा है तो उसे पकड़ने के लिए पिंजरे का इस्तेमाल किया जाता है. नील ने आगे बताया कि सांपों को पकड़ने के बाद उन्हें एक दो दिन के लिए ऑब्जरवेशन में रखा जाता है. अगर सांप बीमार है या उसे चोट लगी है तो टीम के डॉक्टर्स पहले उसे ठीक करते हैं इसके बाद सांप को असोलाभट्टी वाइल्डलाइफ में छोड़ दिया जाता है. इंडिया में यह काम दिल्ली एनसीआर, आगरा, मथुरा, बरोड़ा और जम्मू कश्मीर में किया जाता है. 

सांपों का गलत इस्तेमाल करने वालों पर होती है कार्रवाई

नील भट्टाचार्य ने यह भी बताया कि अगर टीम के पास खबर आती है कि सांप का कोई गलत इस्तेमाल कर रहा है, जैसे उसका जहर निकाला जा रहा है या फिर पकड़कर रखा जा रहा है तो टीम द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. नील ने बताया कि सावन के महीने में ऐसा ज्यादातर होता है. ऐसे केस में टीम लेकर पुलिस के साथ मिलकर सांप को रेस्क्यू करके जांच करती है फिर उसे जंगल में छोड़ देती है. 

सांप को रेस्क्यू कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर- 9871963535

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