छह साल के बच्चे का क्लास-1 में एड‍मिशन, जानिए- नये नियमों से जुड़े हर सवाल का जवाब

जल्द ही सरकारी स्कूलों में दाखि‍ले के लिए अब छह साल से अध‍िक उम्र का नियम लागू हो रहा है. इसके तहत छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाख‍िला पहली कक्षा में नहीं होगा. अब सवाल यह है कि अगर बच्चा छह साल का पूरा होने में एक दो या तीन महीने पीछे है तो ऐसे में उसे कैसे एडमिशन मिल पाएगा. एक्सपर्ट से जानिए.

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मानसी मिश्रा

  • नई द‍िल्ली ,
  • 23 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST

सीयूईटी के बाद अब सरकार नये सत्र से स्कूल स्तर पर नई श‍िक्षा नीति (NEP) को पूरी तरह लागू करना चाहती है. केंद्रीय श‍िक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल तय करने का निर्देश दिया है. ये नई पहल स्कूल स्तर पर दाख‍िले में ही नहीं स्कूली श‍िक्षा में कई तरह के बदलाव लाएगी. 

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इन नये बदलावों को लेकर अभ‍िभावकों के मन में कई सवाल हैं. इसमें सबसे बड़ा सवाल आयु सीमा तय करने को लेकर है. छह साल की उम्र सीमा का सीधा अर्थ यह है कि पहली कक्षा में दाख‍िला लेने के लिए बच्चे की उम्र जुलाई माह में छह साल पूरी होनी चाहिए. सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष व न्यू एजुकेशन पॉलिसी के सलाहकारों में रहे श‍िक्षाविद अशोक गांगुली से  aajtak.in ने इस नये नियम पर बातचीत की और उनसे जाना कि इस नये नियम का क्या फायदा होगा. इस नियम से जुड़े खास सवालों का जवाब भी जाना. 

उम्र का दायरा छह साल करने का फायदा क्या होगा 

अभ‍िभावकों के मन में सबसे पहले ये सवाल आता है कि यद‍ि उनका बच्चा जुलाई माह में छह साल का पूरा नहीं होता तो क्या उसका दाख‍िला नहीं हो पाएगा. आख‍िर उम्र को लेकर नियम बनाने के पीछे सरकार की क्या मंशा रही होगी. इन सवालों के जवाब में अशोक गांगुली कहते हैं कि सबसे पहले तो हमें इस टैबू को खत्म करना होगा कि बच्चा सात साल का हो गया तो पहली कक्षा के लिए उम्र बहुत ज्यादा हो जाएगी. भारत में इसे लेकर लोग बहुत बात करते हैं कि बच्चे किस उम्र में क्या पढ़ रहे. बच्चों को जल्दी स्कूल भेजने का जैसे ट्रेंड बन गया है.   

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उन्होंने कहा कि डेनमार्क, फिनलैंड जैसे देश जहां की एजुकेशन मॉडल दुनिया के कई देशों में सराहा जाता है, वहां भी पहली कक्षा में दाख‍िले के लिए उम्र का दायरा सात साल है. भारत में इसे छह साल रखा गया है जो कि काबिलेतारीफ है. छह साल का मतलब साढ़े पांच साल, सवा पांच साल बिल्कुल नहीं होता. सिक्स प्लस का मतलब है कि छह साल या उससे ज्यादा की उम्र के बच्चे का दाख‍िला पहली कक्षा में हो. 

अगर एक, दो या तीन महीने कम है तो... 
इसके जवाब में सीबीएसई बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि देश के कई प्रदेशों में शैक्षण‍िक सत्र अप्रैल से शुरू होता है. यदि बच्चा जुलाई में छह साल का होने वाला है तो उसकी उम्र की गणना अप्रैल से करनी चाहिए. यदि जुलाई में छह साल का होने में तीन माह कम है तो वो अप्रैल सेशन ज्वाइन कर ले. जुलाई में उसकी उम्र छह साल हो जाएगी. लेकिन आयुसीमा में तीन माह से ज्यादा की छूट नहीं दी जानी चाहिए. 

क्या यह नियम एकदम लचीला नहीं है... 
इस सवाल के जवाब में श्री गांगुली कहते हैं कि अभी एग्जीक्यूशन से पहले पॉलिसी के बारे में केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालयों के प्रिंसिपल्स और प्राइमरी श‍िक्षा अध‍िकारियों से सभी छोटे से छोटे बिंदुओं पर चर्चा होगी. फिर इसे लागू करने में जो भी तकनीकी सुधारों की जरूरत होगी, उसे फाइनल किया जाएगा. 
 

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हेड ऑफ स्कूल को भी मिलेंगे अध‍िकार

सर्वोदय विद्यालय रोह‍िणी की प्रधानाचार्य भारती कालरा ने कहा कि छह साल का नियम बच्चों के लिए बहुत लाभकारी होगा. पेरेंट्स को एज को लेकर बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए. हेड ऑफ स्कूल को कई अध‍िकार मिलते हैं कुछ अपवाद केसों में स्कूल प्राचार्यों को फैसले लेने का अध‍िकार दिया जाता है. न्यू एजुकेशन पॉलिसी के संदर्भ में भी उम्मीद है कि एचओएस के अध‍िकार सुरक्ष‍ित रहेंगे, वो अपवाद केसों जैसे कि कुछ दिन के एज गैप पर फैसला ले सकेंगे. 

भारती कालरा कहती हैं कि नई श‍िक्षा नीति में प्री-स्कूल से कक्षा 2 तक लर्निंग का पूरा पैकेज है. तीन साल की उम्र से छोटे बच्चों को आंगनवाड़ियों या सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और एनजीओ से संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चे छह साल में पहली कक्षा में आएंगे. ऐसे में प्री-स्कूल शिक्षा में सभी का रोल अहम है. इसको गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए पॉलिसी में सभी बिंदुओं को रखा गया है. 

NEP में कैसे बदलेगी बच्चों की पढ़ाई 

न्यू एजुकेशन पॉलिसी में बच्चे की शुरुआती सालों में सीखने पर जोर द‍िया गया है. इसमें तीन से पांच वर्ष की आयु के बच्चों की जरूरतें आंगनवाड़ियों की वर्तमान व्यवस्था में पूरी होंगी. फिर पांच से छह साल की उम्र में आंगनवाड़ी स्कूली प्रणाली से बच्चे को जोड़ेंगे. इसमें बच्चों को खेल आधारित पाठ्यक्रम के माध्यम से तैयार किया जाएगा. ये पाठ्यक्रम एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया जाएगा. 
इसमें श‍िक्षा मंत्रालय के साथ महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सहित अन्य मंत्रालयों का एक संयुक्त टास्क फोर्स बनेगा जो बच्चों की प्रारंभ‍िक श‍िक्षा को बल देगा. 

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