दिल्ली में सील हो गईं कई UPSC कोचिंग, सितंबर में है मेंस परीक्षा, कैसे पार लगेगी छात्रों की नैया?

राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे के बाद सितंबर में मेन्स की परीक्षा देने वाले छात्र परेशान हैं. इस स्थिति में शिक्षक पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने कोचिंग संस्थानों और बच्चों को काफी सुझाव दिए हैं ताकि इस हादसे का असर बच्चे की परीक्षा पर ना पड़े.

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ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत के बाद प्रदर्शन ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत के बाद प्रदर्शन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

राजेन्द्र नगर कोचिंग हादसे ने सभी को हिलाकर रख दिया है. बेसमेंट में पानी भरने से तीन बच्चों की मौत पर लोग प्रशासन पर तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं. ओल्ड राजेंद्र नगर में छात्रों का प्रोटेस्ट भी चल रहा है, बड़े-बड़े शिक्षाविद इसपर अपनी राय भी रख रहे हैं, पॉलिटिकल पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर बहस शुरू कर चुके हैं लेकिन इन सबके बीच एक चिंता उन कैंडिडेट्स की भी है, जिनका कुछ समय बाद UPSC का एग्जाम होना है.

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कोचिंग हादसा होने के बाद MCD ने RAO's आईएएस, Drishti आईएएस समेत कई कोचिंग को सील कर दिया है. कोचिंग पर लगा ताला उन बच्चों के लिए परेशानी बन गया है जिनकी सितंबर में मेन्स की परीक्षा होनी है. 16 जून को प्रीलिम्स की परीक्षा क्लियर करने के बाद सभी कैंडिडेट्स अपनी अपनी कोचिंग में मेन्स की तैयारी कर रहे थे. अब बच्चों के सामने यह मुसीबत है कि वह सितंबर में होनी वाली मेन्स परीक्षा की तैयारी कैसै करें. इसपर शिक्षक पुष्पेंद्र श्रीवास्तव ने बच्चों को कुछ सुझाव दिए हैं. 

बेसमेंट में पढ़ने से अब डरेंगे बच्चे

पुष्पेद्र श्रीवास्तव ने कहा कि UPSC Mains की परीक्षा होने में थोड़ा ही समय बचा है और ऐसे में इस हादसे का होना और कोचिंग सील हो जाने से बच्चे बेहद परेशान हैं. एमसीडी ने कोचिंग सील कर दी हैं, ऐसे में जिन बच्चों की कोचिंग या लाइब्रेरी बेसमेंट में थी उनकी पढ़ाई पर असर तो पड़ेगा. बेसमेंट में दोबारा बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके मन में एक डर बैठ गया है. यहां दोबारा पढा़ई करने पर बच्चे डर सकते हैं और बेसमेंट में पढा़ई करना या करवाना बिल्कुल भी सेफ नहीं हैं. बच्चे इस हादसे से मानसिक तौर पर प्रभावित हुए हैं. सब चीजें ठीक होने में समय लगेगा. 

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बच्चों के लिए इंतजाम करें कोचिंग संस्थान

इस स्थिति में कोचिंग संस्थानों को उन बच्चों के लिए व्यवस्था करनी चाहिए जो सितंबर में मेन्स की परीक्षा देने वाले हैं लेकिन वे बेसमेंट में नहीं होनी चाहिए. कोचिंग को बच्चों के लिए अस्थायी इंतजाम करना होगा क्योंकि कुछ बच्चे कोचिंग कर चुके हैं अब वे घर पर तैयारी कर रहे हैं लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोचिंग नहीं की है, ऐसे में अगर हो सकता है तो कोचिंग संस्थानों को इन बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ सोचना पड़ेगा. 

अब सेल्फ स्टडी पर फोकस करें मेन्स कैंडिडेट्स

मेन्स होने में ज्यादा समय नहीं बचा है. बच्चों को अब अपने स्तर पर अच्छे से पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए. समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए. हादसे का असर बच्चे अपनी पढ़ाई पर ना डालें. सितंबर में मेन्स की परीक्षा होनी है इसके लिए अपना एक टाइमटेबल तुरंत तैयार कर लें. अपने नोट्स बनाएं और किताबें लेकर पढ़ाई जारी रखें. जो बच्चे लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे वे अन्य सेफ लाइब्रेरी खोजे और वहां जाकर पढ़ाई करें. एग्जाम का ढेड़ महीना बचा हुआ है, ये मैक्सीमम टाइम देने का समय है. इसके अलावा अपने रूम पर बैठकर ऑनलाइन का सहारा भी ले सकते हैं. अपने आप को स्वस्थ रखते हुए जितना मैक्सीमम टाइम पढ़ाई को दे सकते हैं वो दें. शिक्षक ने आगे कहा कि जिस विषय में कमजोर हैं उन्हें ज्यादा टाइम दें. इस स्थिति में बच्चों को सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस करना पड़ेगा क्योंकि सभी चीजें ठीक में होने अभी टाइम लगेगा.

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