रूस-यूक्रेन जंग या कोविड-19 कोरोना वायरस के दौरान वापस भारत लौटे मेडिकल ग्रेजुएट्स यानी फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स (FMGs) के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने गाइडलाइंस जारी की है. एनएमसी ने उन विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स (एफएमजी) की परेशानी को कम करने के लिए स्टेट मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड होने का मौका दिया है.
मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के साथ स्टाइपेंड का भी ऑप्शन
जिन FMGs स्टूडेंट्स ने आंशिक रूप से विदेशी मेडिकल संस्थानों में अपने मेडिकल कोर्स को ऑफलाइन पूरा किया और भारत लौट आए, भले ही उन्होंने इंटर्नशिप पूरी की हो या नहीं, उन्हें संबंधित स्टेट मेडिकल काउंसिल से प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन प्राप्त करना होगा. इसके बाद, उन्हें 2021 के सीआरएमआई विनियमन के तहत एक साल की क्लिनिकल रोटेटिंग इंटर्नशिप (सीआरएमआई) से गुजरना होगा. ये एफएमजी भारतीय मेडिकल स्नातकों द्वारा प्राप्त स्टाइपेंड के बराबर स्टाइपेंड के लिए भी पात्र होंगे.
एक साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने एफएमजी अपनी पढ़ाई जारी रखने का भी मौका दिया है. जिन स्टूडेंट्स की फाइनल ईयर की पढ़ाई कोविड-19 या रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह बंद हुई है और जिन्होंने अपना एफएमजी कोर्स व एग्जाम पूरी तरह से ऑनलाइन दिए हैं, उनके लिए देश के भीतर एक साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप (सीसी) अनिवार्य की है.
दो साल क्लिनिकल क्लर्कशिप
जिन एफएमजी को फाइनल ईयर के दौरान महामारी या युद्ध-संबंधी कारणों से रुकावटों का सामना करना पड़ा और उन्होंने अपनी पढ़ाई और परीक्षाएं ऑनलाइन पूरी कीं, उन्हें दो साल की क्लिनिकल क्लर्कशिप से गुजरना जरूरी है. लॉगबुक द्वारा प्रमाणित और कॉलेज प्राधिकारी द्वारा मान्यता प्राप्त इस क्लर्कशिप का मकसद प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की गैर-मौजूदगी की भरपाई करना है. पिछले परिदृश्यों के समान, भारतीय मेडिकल कॉलेज एफएमजी से अधिकतम 5,000 रुपये प्रति माह क्लर्कशिप फीस ले सकते हैं.
दूसरे देश से भी डिग्री पूरी करने का ऑप्शन
इसके अलावा एनएमसी ने यूक्रेन के एफएमजी को भारत को छोड़कर किसी दूसरे देश में अपनी पढ़ाई जारी रखने का भी ऑप्शन दिया है. हालांकि, इन छात्रों को डिग्रियां उस विश्वविद्यालय द्वारा ही प्रदान की जाएंगी जहां वे माइग्रेट करना चाहते हैं. ट्रांसफर, माइग्रेशन या गतिशीलता के लिए यह प्रावधान सार्वजनिक नोटिस जारी होने की तारीख से तीन महीने के भीतर शुरू किया जाना चाहिए.
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