केंद्र सरकार की NEP से कितनी अलग है तमिलनाडु की स्टेट एजुकेशन पॉलिसी!

SEP में हिंदी अनिवार्य नहीं है और 10वीं तक तमिल सभी बोर्ड में पढ़ना ज़रूरी है. कक्षा 3, 5 और 8 में पब्लिक परीक्षा नहीं होती और 10वीं तक किसी छात्र को फेल नहीं किया जाता. वहीं, NEP में 10वीं में बोर्ड परीक्षा होती है. NEP जहां राष्ट्रीय स्तर का ढांचा है, वहीं SEP तमिलनाडु का राज्य-विशेष शिक्षा मॉडल है.

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तमिलनाडु की स्टेट एजुकेशन पॉलिसी में छात्र सिर्फ दो भाषाएं पढ़ रहे हैं. (Photo: Pexels) तमिलनाडु की स्टेट एजुकेशन पॉलिसी में छात्र सिर्फ दो भाषाएं पढ़ रहे हैं. (Photo: Pexels)

अनघा

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

NEP VS SEP:  भारत सरकार ने NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) पूरे देश में लागू की है. इसका उद्देशय है कि देश में शिक्षा को आधुनिक और कौशल आधारित बनाया जाएगा. इस पॉलिसी में छात्रों को तीन भाषाएं पढ़ाने का प्रावधान है. इसमें बच्चे तीन भाषाएं पढ़ते हैं, जिनमें से हिंदी और अंगेज्री पढ़ना अनिवार्य है और तीसरा भाषा स्थानीय हो सकती है. तमिलनाडु ने NEP को स्वीकार करने से मना कर दिया है.

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वहीं, तमिलनाडु में State Education Policy लागू है. इस पॉलिसी के अंदर पूरे तमिलनाडु में सभी स्कूलों (CBSE, ICSE, State board) में छात्रों को सिर्फ दो भाषाएं पढ़ाई जाएंग, तमिल और अंग्रेज़ी.

एक में दो और दूसरी में तीन भाषाएं अनिवार्य

SEP में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है. देश के ज्यादातर राज्यों से अलग कुछ राज्यों के बोर्ड दो-भाषा फॉर्मूला अपना रहे हैं. तमिलनाडु उनमें से एक है, जहां राज्य के सरकारी स्कूलों में तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है.

केंद्रीय बोर्ड तीन भाषाएं पढ़ा रहे हैं, कुछ स्टेट बोर्ड में अब तक दो भाषाएं पढ़ाई जाती हैं. इसे लेकर देश में बवाल भी मचा हुआ है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का आरोप है कि यह तमिल भाषी राज्य में हिन्दी थोपने की कोशिश है.

SEP के अंदर 10वीं तक सभी छात्रों को तमिल पढ़नी ही होगी, चाहे वो किसी भी बोर्ड में पढ़ रहे हों. 3, 5 और 8 में कोई पब्लिक एग्जाम नहीं होता ताकि बच्चों पर शुरुआती क्लास में परीक्षा का दबाव न पड़े. इसके अलावा इसमें 10वीं तक छात्र को फेल करने का नियम नहीं है यानी हर छात्र को अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगा. 11वीं में बोर्ड या फाइनल एग्जाम का प्रेशर नहीं होगा, सीधे 12वीं में बोर्ड परीक्षा होगी.

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वहीं, नई शिक्षा नीति में 5 + 3+3 +4 का फॉर्मेट है यानी कि स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और क्लास 1 और 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल हैं. वहीं, स्टेट एजुकेशन पॉलिसी में ऐसा कोई स्ट्रक्चर नहीं है. 

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