कोटा में ये क्या हो रहा है! 25 दिन में 4 बच्चों ने किया सुसाइड, एक लापता, कौन है जवाबदेह?

कोटा में पढ़ने आए छात्र तनाव में आकर अपनी जान दे बैठते हैं. पिछले 25 दिनों में 4 बच्चे मौत को गले लगा चुके हैं. छात्रों का इस तरह फांसी के फंदे पर लटक जाना या लापता हो जाना सभी को परेशान कर रहा है. प्रशासन लगातार छात्रों की काउंसलिंग और उन्हें मोटिवेट करने में लगा है, लेकिन इसका कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा है.

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Kota Students Suicide Kota Students Suicide

चेतन गुर्जर

  • कोटा,
  • 14 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST

मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए पहचाने जाने वाला शहर कोटा, स्टूडेंट सुसाइड के बदनाम होता जा रहा है. पिछले साल 29 और इस साल की शुरुआत में 25 दिनों के अंदर ही चार कोचिंग स्टूडेंट सुसाइड कर चुके हैं, जबकि एक छात्र लापता है और एक ने आत्महत्या का प्रयास किया था. माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए उन्हें अपने से दूर पढ़ाई करने भेजते हैं, लेकिन इस तरह का अंत उन्हें जीवनभर का दुख दे जाता है. तनाव में आकर छात्रों का इस तरह अपनी जान दे देना, सोचने पर मजबूर करता है. इसके पीछे की वजह क्या है? छात्रों के दिमाग में क्या चलता है, यह सभी सवाल कई सालों से सवाल ही बने हुए हैं. 

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परेशान करना है छात्रों का सुसाइड करना

कोटा में देशभर से आए स्टूडेंट मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग कर रहे हैं, लेकिन हालात ये हैं कि कई छात्र पढ़ाई के तनाव में आकर अपने आप को खत्म कर रहे हैं. छात्रों के मन में खुदकुशी की बात, हम सभी को सोचने पर मजबूर करती है. ताजा मामला मंगलवार का है. कोटा के जवाहर नगर थाना क्षेत्र में कोचिंग स्टूडेंट ने पंखे से लटक कर सुसाइड कर लिया. आज छात्र के परिजन छत्तीसगढ़ से कोटा पहुंचेंगे उसके बाद छात्र के शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा. 

कोटा में इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रहा छात्र रचित रविवार दोपहर से लापता है, उसकी आखिरी लोकेशन गडरिया महादेव चंबल नदी के पास मिली है. रचित के परिजन भी प्रशासन के साथ तलाश कर रहे हैं. नदी के पास रचित का बैग और मोबाइल फोन मिला है, बैग के पास ही रस्सी और एक चाकू भी परिजनों को मिला है. पुलिस लगातार नदी में गोताखोरों से तलाश करवा रही है.

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पंखे में नहीं थी हैंगिंग डिवाइस, प्रशासन का था सख्त आदेश

कोटा के एक छात्र शुभम ने फंदा लगाकर खुदकुशी की थी. उस कमरे के पंखे में हैंगिंग डिवाइस लगी हुई नहीं थी. गौरतलब है कि जिला प्रशासन की ओर से सभी हॉस्टल संचालकों को उनके कमरों के पंखों में हैंगिंग डिवाइस लगाने के सख्त निर्देश दिए हुए हैं, उसके बाद भी उसका पालन नहीं हो रहा है. हाल ही में राजीव गांधी नगर स्थित एक हॉस्टल को इस आधार पर सीज भी किया गया था.

शुभम के वार्डन ने बताया था कि शुभम का जेईई का रिजल्ट आने वाला था, इसलिए उसने रात को खाना भी नहीं खाया था. अगर पंखे में एंटी सुसाइड डिवाइस होता तो शायद शुभम को सुसाइड जैसा कदम उठाने के लिए जगह ही ना मिलती और सुबह तक हो सकता था परिस्थितियों बदल जाती. लेकिन प्रशासन की गाइडलाइन को ना तो प्रशासन फॉलो करवा पा रहा है और ना ही हॉस्टल संचालक फॉलो कर रहे हैं. इसी साल में अभी तक जो सुसाइड केस हुए हैं. तीन छात्रों के हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी है. तीनों हॉस्टल में यह डिवाइस नहीं लगा हुआ था. 

25 दिन में चार स्टूडेंट कर चुके हैं सुसाइड

इस साल डेढ़ महीने में से पिछले 25 दिनों में ही चार कोचिंग स्टूडेंट सुसाइड कर चुके हैं, इनमें 24 जनवरी को जवाहर नगर थाना क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद निवासी मोहम्मद जैद ने सुसाइड कर लिया था, जैद हॉस्टल में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था. 31 जनवरी 2024 को बोरखेड़ा थाना क्षेत्र में जईई की तैयारी कर रही छात्रा निहारिका ने सुसाइड किया था. 13 फरवरी को जवाहर नगर थाना क्षेत्र के महावीर नगर प्रथम में हॉस्टल में रहने वाले छत्तीसगढ़ निवासी छात्र शुभम कुमार चौधरी ने पंखे से लटक कर सुसाइड कर लिया, शुभम कोटा में 2 साल से रहकर JEE की तैयारी कर रहा था. उत्तर प्रदेश निवासी नूर मोहम्मद कोटा से ऑनलाइन बीटेक की कोचिंग कर रहा था लेकिन पढ़ाई की वजह से उसने भी अपनी जान दे दी थी.

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बदल गया कोटा का रूप

राजस्थान का कोटा जो डोरियां, साड़ी और कोटा स्टोन के नाम से जाना जाता था, उस नगरी में छात्रों के बढ़ते सुसाइड के मामले काफी डरावने हैं. शिक्षा नगरी अब सुसाइड नगरी की ओर बढ़ रही हैय प्रशासन के अथक प्रयास फिर भी यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोटा के जिला कलेक्टर खुद बच्चों के बीच जाते हैं और उनके साथ गाना गुनगुनाते हैं, उनकी समस्याएं सुनते हैं, उनको मोटिवेट करते हैं, और डिप्रेशन फ्री रहने के लिए टिप्स भी देते हैं पर शिक्षा नगरी में वह हर प्रयास फेल होता नजर आ रहा है. क्योंकि 25 दिनों में ही 4 स्टूडेंट ने मौत को गले लगा लिया है.

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