कोटा में कौन-सा छात्र तनाव में है? यूं पता लगाएगी पुलिस, हेड गर्ल-बॉय को सौंपी जिम्मादारी

कोटा में तनाव या डिप्रेशन से ग्रस्त छात्रों की पहचान के लिए कोटा पुलिस ने कमाल का आइडिया निकाला है. पुलिस की पहल है कि कोचिंग में 40-40 छात्रों का समूह बनाया जाएगा और उनकी मॉनिटिरिंग की जाएगी.

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Kota Kota

चेतन गुर्जर

  • कोटा,
  • 25 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

कोटा में स्टूडेंट सुसाइड और लापता मामलों को रोकने के लिए प्रशासन कई कदम उठा रहा है. चाहे छात्रों से सीधा संवाद करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करना हो या 'डिनर विद कलेक्टर' की पहल. बावजूद इसके शिक्षा से होने वाली कोटा की पहचान अब स्टूडेंट सुसाइड, डिप्रेशन और छात्रों के लापता होने से होने लगी है. इसे बदलने के लिए कोटा प्रशासन ने अब हॉस्टल और होटल चालकों के लिए गाइडलाइन जारी की है और डिप्रेशन का शिकार हो रहे छात्रों की पहचान करने के लिए कमाल का आइडिया निकाला है.

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40 छात्रों के ग्रुप में होगा एक हेड

कोटा में हर साल लाखों छात्र पढ़ने आते हैं. ऐसे में कोचिंग और हॉस्टल द्वारा तो छात्रों पर नजर रखी ही जाती है, लेकिन छात्रों के साथ पढ़ने या रहने वाले उनके दोस्त उन्हें सबसे अच्छे से समझते हैं. इसीलिए पुलिस द्वारा यह प्लान बनाया गया है कि 40-40 छात्रों का एक ग्रुप बनाया जाएगा. हर ग्रुप की एक हेड गर्ल या हेड बॉय होगा. इस तरह से छात्रों की मॉनिटिरिंग की जाएगी. बता दें कि शुक्रवार को आईजी रविदत्त गौड़ और एसपी डॉक्टर अमृता दुहन ने कोचिंग संस्थान संचालकों प्रतिनिधियों एवं पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग में यह आइडिया अमल लाने का फैसला किया है. मीटिंग के दौरान छात्रों के 40-40 का ग्रुप बनाने की सारी प्लानिंग की गई है.

कोचिंग इलाकों में भी लगाए जाएंगे सीसीटीवी

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इसके अलावा मीटिंग में यह भी तय हुआ कि कोचिंग संस्थानों हॉस्टल के बाहर शिकायत बॉक्स लेंगे जिसमें छात्र अपनी बात कह सकेंगे. साथ ही कोचिंग इलाके में सीसीटीवी भी लगाए जाएंगे. इसमें कोचिंग एरिया में आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने छात्र-छात्राओं की सुरक्षा में आत्महत्या के कारणों पर बात हुई है.

समय से खुलेंगी और बंद होंगी दुकानें

एसपी ने बैठक में कहा कि कोचिंग एरिया में बिकने वाले नशीली चीजों पर पूरी तरह से रोक लगाए जाएगी. कोचिंग एरिया में खुलने वाली दुकानों को समय से बंद करने की भी बात कही है. कोटा एसपी ने कहा कि 40 बच्चों के ग्रुप में अगर मॉनिटरिंग में कोई बच्चा तनाव में या डिप्रेशन में नजर आ आता है तो उसे पहचाननें में आसानी होगी. ऐसे छात्रों की जानकारी हासिल करना हमारी प्राथमिकता होगी.

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