ChatGPT के इस्तेमाल को लेकर सख्त हुए इस राज्य के शैक्षणिक संस्थान

इस AI टूल के नेचर ने उन शैक्षणिक संस्थानों के बीच आशंका पैदा कर दी है. ऐसा कहा जा रहा है कि छात्र चैटजीपीटी की सहायता से आसानी से अपना असाइनमेंट जमा कर सकते हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 01 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

आर्टीफिश‍ियल इंटेलिजेंस टूल चैट जीपीटी युवाओं के बीच अपनी जगह बना रही है. पूरी दुनिया के युवाओं को अपना दीवाना बना रहे इस टूल को बेंगलुरु में सख्ती का सामना करना पड़ सकता है. कर्नाटक में कई निजी विश्वविद्यालय युवाओं में हिट हो रहे चैट जीपीटी पर नकेल कसने में लगे हैं. OpenAI द्वारा विकसित ChatGPT नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया था. ये एक एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है, जो एक साधारण कमांड के बाद कागजात, लेख और निबंध को प्रवीणता के साथ लिख सकता है. इसकी सर्विसेज इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी व्यक्ति के लिए निःशुल्क उपलब्ध हैं. 

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स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के डीन डॉ. संजय चिटनिस ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चैट जीपीटी, गिटहब कोपिलॉट या ब्लैकबॉक्स जैसे एआई एजेंटों का उपयोग तब नहीं किया जाना चाहिए, जब छात्रों या फैकल्टी से मूल सबमिशन की उम्मीद की जाती है, जैसे कि प्रथम वर्ष के प्रोग्रामिंग कोर्स में कोड या मूल निबंध, प्रश्नों के उत्तर आदि लिखने हों. 

कर्नाटक के कई शैक्षण‍िक संस्थानो में इस एआई प्लेटफॉर्म को लेकर बहस छ‍िड़ गई है. ऐसा माना जा रहा है कि इसकी मदद से छात्र आसानी से अपने असाइनमेंट पूरे करके सबमिट कर सकते हैं. इसलिए कर्नाटक की कई यूनिवर्सिटीज अपनी ऐसी पॉलिसी तैयार कर रही हैं जिससे इस एआई प्लेटफॉर्म के कारण छात्रों की रचनात्मकता और उत्पादकता पर नकारात्मक असर न पड़े. 

विश्वविद्यालय का कहना है कि इस नई पॉलिसी के तहत इन साइट्स को लैब और ट्यूटोरियल सेशन के दौरान ब्लॉक किया जाएगा. लैब और ट्यूटोरियल सेशन के दौरान छात्रों से रैंडम सवाल भी पूछे जाएंगे. इसके पीछे यूनिवर्सिटी की मंशा सिर्फ किसी टूल के 'फेयर यूज' यानी सही इस्तेमाल की है. इस टूल के कारण बच्चों में रचनात्मकता की कमी नहीं होनी चाहिए. 

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