JNU ने सस्पेंड किया तुर्की की यूनिवर्सिटी के साथ समझौता, कहा- हम देश के साथ खड़े हैं

JNU ने अपने आधिकारिक एक्स (X) हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से, JNU और इनोनू विश्वविद्यालय, तुर्की के बीच हुआ MoU अगली सूचना तक स्थगित किया जाता है. JNU राष्ट्र के साथ खड़ा है.' इस समझौता ज्ञापन पर 3 फरवरी 2025 को साइन किए गए थे और इसकी वैधता 2 फरवरी 2028 तक थी. 

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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (सांकेतिक फोटो) जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (सांकेतिक फोटो)

पीयूष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:49 AM IST

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते तुर्की के इनोनू (Inonu) विश्वविद्यालय के साथ अपने अकादमिक सहयोग को स्थगित कर दिया है. यह फैसला दोनों संस्थानों के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) की दोबारा समीक्षा के बाद लिया गया. यह कदम तब उठाया गया जब तुर्की के भारत-पाकिस्तान संघर्ष से जुड़ने की खबरें सामने आई हैं. रक्षा सूत्रों ने जानकारी दी है कि तुर्की की ओर से पाकिस्तान को ड्रोन और सुरक्षा कर्मी भेजे गए थे.

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JNU ने अपने आधिकारिक एक्स (X) हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से, JNU और तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के बीच हुआ MoU अगली सूचना तक स्थगित किया जाता है. JNU राष्ट्र के साथ खड़ा है.' इस समझौता ज्ञापन पर 3 फरवरी 2025 को साइन किए गए थे और इसकी वैधता 2 फरवरी 2028 तक थी. 

देशभर में जोर पकड़ रहा 'बॉयकॉट तुर्की' अभियान

इस समझौते का उद्देश्य दोनों विश्वविद्यालयों के बीच अकादमिक सहयोग और एक्सचेंज को बढ़ावा देना था. हाल ही में देश के कई हिस्सों में 'बायकॉट तुर्की' अभियान को भी काफी बल मिला है क्योंकि तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियां भारतीय हितों को नुकसान पहुंचा रही हैं.

तुर्की द्वारा पाकिस्तान का खुलेआम समर्थन करने के बाद देशभर में 'बॉयकॉट तुर्की' अभियान ने जोर पकड़ लिया है. महाराष्ट्र के पुणे से लेकर राजस्थान के उदयपुर तक व्यापारियों ने तुर्की से आयातित वस्तुओं का बहिष्कार कर तुर्की को आर्थिक मोर्चे पर जवाब देने का ऐलान कर दिया है. एजेंसी के अनुसार, महाराष्ट्र के पुणे में व्यापारियों ने तुर्की से आयात होने वाले सेबों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी है. स्थानीय बाजारों से ये सेब गायब हो गए हैं और ग्राहकों ने भी इसका बहिष्कार कर दिया है. गाजियाबाद के साहिबाबाद फल मंडी के व्यापारियों ने भी तुर्की से सेब और अन्य फलों के आयात का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

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तुर्की से मार्बल का आयात बंद

वहीं एशिया के सबसे बड़े मार्बल व्यापार केंद्र के रूप में पहचाने जाने वाले उदयपुर के व्यापारियों ने तुर्की से मार्बल का आयात बंद करने का फैसला किया है. इसका कारण है- तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन देना. उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स कमेटी के अध्यक्ष कपिल सुराना ने बताया कि कमेटी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि जब तक तुर्की पाकिस्तान का समर्थन करता रहेगा, तब तक उससे व्यापार नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि भारत में आयात होने वाले कुल मार्बल का करीब 70% हिस्सा तुर्की से आता है, लेकिन अब यह आयात बंद किया जा रहा है.

वैश्विक व्यापार पर राजनीतिक मतभेदों का असर

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के इस दौर में तुर्की के रुख ने भारतीय व्यापारियों को नाराज किया है. तुर्की अक्सर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है. ऐसे में उदयपुर के मार्बल व्यापारियों द्वारा उठाया गया यह कदम सिर्फ एक आर्थिक फैसला नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है कि भारत अब हर स्तर पर अपने विरोधियों को जवाब देने को तैयार है.

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