JNU में छात्रसंघ चुनाव: किन मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं उम्मीदवार, लेफ्ट यूनिटी में दरार से क्या ABVP को होगा फायदा?

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) कैंपस में चुनावी नारे तो इस बार भी गूंज रहे हैं, लेकिन इस साल का चुनाव ज़रा अलग है, क्योंकि वाम गठबंधन में दरार आ गई है. ABVP का मानना है कि उन्हें इसका फ़ायदा भी मिलेगा.

Advertisement
JNU की सियासी जंग JNU की सियासी जंग

मोहम्मद साक़िब मज़ीद

  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 10:41 PM IST

दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में छात्रसंघ चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है और विश्वविद्यालय के तमाम संगठन अपने उम्मीदवारों के साथ कैंपस में घूम-घूमकर स्टूडेंट्स से मिल रहे हैं. जेएनयू के कैंपस में चुनावी नारे तो इस बार भी गूंज रहे हैं, लेकिन इस साल का चुनाव ज़रा अलग है, क्योंकि वाम गठबंधन में दरार आ गई है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का मानना है कि उन्हें इसका फ़ायदा भी मिलेगा. 

Advertisement

विश्वविद्यालय में चार मुख्य वामपंथी छात्र संगठन- अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), 25 अप्रैल को होने वाले चुनाव में एक साथ नहीं लड़ रहे हैं. जेएनयू की छात्र राजनीति में 2016 के बाद यह पहली बार हो रहा है.

क़िस्मत आज़माने निकले ये चेहरे...

17 अप्रैल को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था. AISA और DSF ने ‘संयुक्त वाम’ गठबंधन के तहत संयुक्त उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. इसमें अध्यक्ष पद के लिए नीतीश कुमार (AISA), उपाध्यक्ष के लिए मनीषा (DSF), सचिव के लिए मुंतेहा फ़ातिमा (DSF) और संयुक्त सचिव पद के लिए नरेश कुमार (AISA) के नाम शामिल हैं. 

(तस्वीर: AISA JNU)

दूसरी तरफ, SFI और AISF गठबंधन ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. छात्रों ने बताया कि प्रोग्रेसिव अलायंस (SFI-AISF) को BAPSA का भी समर्थन हासिल है, लेकिन जहां एक तरफ अध्यक्ष पद के लिए SFI से चौधरी तैय्यबा अहमद मैदान में हैं, वहीं BAPSA ने रामनिवास गुर्जर को उतारा है. बाकी तीन पदों के लिए गठबंधन के नामांकन रद्द हो गए, जिसके खिलाफ कैंपस में 17 अप्रैल की देर शाम तक प्रदर्शन भी चलता रहा. अगर प्रशासन छात्रों की मांगे पूरा करता है, तो कैंडिडेट्स को लेकर कुछ नए अपडेट भी आ सकते हैं.

Advertisement
देर रात तक प्रोटेस्ट

ABVP ने अपने पैनल में अध्यक्ष पद के लिए शिखा स्वराज, उपाध्यक्ष के लिए निट्टू गौतम, सचिव के लिए कुणाल राय और संयुक्त सचिव पद के लिए वैभव मीणा को मैदान में उतारा है. NSUI और फ़्रेटरनिटी मूवमेंट ने गठबंधन के तहत अध्यक्ष पद के लिए प्रदीप ढाका (NSUI), उपाध्यक्ष के लिए मोहम्मद कैफ़ (FM), सचिव के लिए अरुण (NSUI) और संयुक्त सचिव के लिए सलोनी (FM) को मैदान में उतारा है.

(तस्वीर: ABVP JNU)

इसके अलावा अध्यक्ष पद के लिए और भी कई संगठनों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है. छात्र राजद से आकाश रंजन, समाजवादी पार्टी छात्र सभा से अरविंद कुमार और दिशा संगठन से प्रेरित लोढ़ा के नाम का ऐलान किया गया है.

छात्रसंघ चुनाव में क्या मुद्दे?

AISA से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार, aajtak.in से बातचीत में कहते हैं, "हम सुबह उठने के बाद छात्रों के साथ सबसे पहले मेस कैंपेन करते हैं. उसके बाद हम ढाबा कैंपेन, क्लास कैंपेन और रूम-टू-रूम कैंपन के ज़रिए छात्रों से मिल रहे हैं. हम ABVP को शिकस्त देने के लिए तैयार हैं."

वे आगे चुनावी मुद्दों पर बात करते हुए कहते हैं, "साल 2016 से जेएनयू पर सरकार की तरफ़ से होने वाला हमला रुका नहीं है, वो अलग-अलग तरह से आज भी जारी है. कैंपस में आरएसएस और बीजेपी के लोगों को प्रोफ़ेसर के तौर पर भर्ती किया जा रहा है. जेएनयू एंट्रेंस एग्ज़ाम (JNUEE) को ख़त्म करके नई एडमिशन पॉलिसी बनाई गई है. क्लासरूम, हॉस्टल, हेल्थ सेंटर, लाइब्रेरी, ढाबा हर जगह इन्फ्रास्ट्रक्चर की समस्या है. हम इन सभी मुद्दों पर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं."   

Advertisement

'विचार की लड़ाई...'

ABVP से अध्यक्ष पद की उम्मीदवार शिखा स्वराज कहती हैं, "यह विचार की लड़ाई है और हमारी स्थिति बहुत अच्छी है. इसके साथ ही, हमारे मुद्दे कैंपस से जुड़े हुए हैं, इनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुए भ्रष्टाचार, स्कॉलरशिप, कैंपस में हेल्थ और हाइजीन, महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हैं. कैंपस में लड़कियों का रेशियो बहुत कम है, हम चाहेंगे कि इसमें इज़ाफ़ा हो. हमारी मांग है कि लड़कियों को अलग से स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए." 

शिखा स्वराज, लेफ्ट पर आरोप लगाते हुए कहती हैं कि ये नफ़रत फैलाते हुए पाए जाते हैं. वे चाहते हैं कि कैंपस में लोग जाति के नाम पर बंट जाएं, वे हॉस्टल में जाति के नाम पर आरक्षण मांगते हैं लेकिन एबीवीपी का मैसेज एकता का है. 

'फ़ी स्ट्रक्चर में सुधार हो...'

SFI और AISF गठबंधन की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार चौधरी तैय्यबा अहमद कहती हैं, "हमारा सबसे बड़ा मुद्दा फ़ीस बढ़ोतरी को रोकना है, जिससे पब्लिक एजुकेशन को बचाया जा सके. कैंपस में हाशिए पर ज़िंदगी गुज़ारने वाले समुदाय से लोग पढ़ने के लिए आते हैं और जेएनयू का फी स्ट्रक्चर उनके लिए राहत की बात है, जिसको अब मुफ़्तखोरी भी बोला जाता है, लेकिन ये हमारा अधिकार है और हम देश की हर यूनिवर्सिटी के लिए ये मांग कर रहे हैं कि फी स्ट्रक्चर में सुधार किया जाए."

Advertisement

तैय्यबा आगे कहती हैं, "हमारा सबसे बड़ा मक़सद ABVP को हराना है क्योंकि ABVP जातिवादी और इस्लामोफोबिक है, ये लोग सेक्सिस्ट और मिसोजिनिस्ट हैं. ये संगठन यूनिवर्सिटी में आरएसएस के एजेंडे को लेकर आता है. एबीवीपी यहां के छात्रों के लिए अपने ही संस्था के ख़िलाफ़ कैसे लड़ाई लड़ सकेगा. कैंपस में बच्चों को नए हॉस्टल नहीं मिल रहे हैं. वॉटरकूलर नहीं चल रहे हैं. हम इन सभी मुद्दों को आगे लेकर जाएंगे."

तैय्यबा कहती हैं कि कैंपस में पहले 50 फ़ीसदी रेशियो में छात्राएं होती थीं, लेकिन अब यहां लड़कियां कम हो रही हैं. हाशिये पर आने वाले समुदायों से बच्चों में कमी देखी जा रही है. यूनिवर्सिटी में बार-बार प्राइवेटाइजे़शन का एजेंडा लाया जा रहा है. पीएचडी के वायवा में भेदभाव होता है. इन सब मुद्दों पर भी हम बात कर रहे हैं.

'कैंपस के अंदर लोकतंत्र ज़िंदा रहे...'

उपाध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरे फ़्रेटरनिटी मूवमेंट के छात्र मोहम्मद कैफ़ कहते हैं, "देश के अंदर एजुकेशन के फंड में कटौती हुई है. जेएनयू के एकेडमिक्स पर हमला हो रहा है. यहां के पदों पर ऐसे लोगों को नियुक्त किया जा रहा है, जो सरकार के हिसाब से काम करते हैं. कैंपस में इंफ्रास्टक्चर की हालत बिल्कुल ख़राब हो गई है. लाइब्रेरी में सीटों की कमी है, लोग परेशान होते हैं. यूनिवर्सिटी में आने वाली पत्रिकाएं कम कर दी गई हैं. हम इन सभी मुद्दों के लिए लड़ रहे हैं."

Advertisement

कैफ़ आगे कहते हैं, "इसके साथ ही हम चाहते हैं कि कैंपस के अंदर लोकतंत्र ज़िंदा रहे, सबको बोलने और पढ़ने की आज़ादी मिले. एससी/एसटी और मुसलमान होने की वजह से किसी के साथ भेदभाव ना हो. सभी को अपनी बात रखने का सही स्पेस मिले. हम सरकार के द्वारा बंद की गई मौलाना आज़ाद स्कॉलरशिप के मुद्दे पर भी आवाज़ उठाएंगे." 

'मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते छात्र...'

ABVP से संयुक्त सचिव पद के लिए मैदान में उतरे वैभव मीणा कहते हैं- "हमारा पहला एजेंडा है कि स्टूडेंट्स के लिए कैंपस में सुविधाएं बेहतर हों. जेएनयू के स्टूडेंट्स मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. लाइब्रेरी में बैठने की क्षमता, हॉस्टल्स में पानी और फर्नीचर, क्लासरूम के इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी तमाम सुविधाएं चरमराई हुई हैं. स्टूडेंट्स को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हम शिक्षा के लिए छात्रवृत्तियों की बात करेंगे, जो स्कॉलरशिप बंद हो चुकी हैं, हम उनको भी फिर से शुरू करने की मांग करेंगे."

वैभव कहते हैं कि दूसरे नंबर पर विचार की बात आती है. हमारी राष्ट्रवाद और देश को जोड़ने की विचारधारा है. कैंपस में छोटे-छोटे संगठन बने हुए हैं, जो जाति, क्षेत्र और वर्ग के नाम पर लोगों तोड़ने की बात करते हैं. एबीवीपी देश, समाज और राष्ट्र को जोड़ने की बात करता है. इस चुनाव में हम विभाजनकारी तत्वों के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए उतर रहे हैं. 

Advertisement

नेशनल और इंटरनेशनल मुद्दों का भी बोलबाला

जेएनयू के अंदर नॉर्मल दिनों के इवेंट्स और छात्रसंघ चुनाव की चर्चा पूरे देश में होती है. यह कैंपस हमेशा से स्पॉटलाइट में रहा है. यहां की आवाज़ दूर तक जाती है. छात्रों कहना है कि देश और दुनिया के लोग जेएनयू से उम्मीद रखते हैं, इसलिए हम हमेशा दबाए जाने वाले लोगों के साथ खड़े रहते हैं. 

AISA के उम्मीदवार नीतीश कुमार कहते हैं, "जेएनयू का मुद्दा बाहर के मुद्दों से अलग नहीं है. यहां जो कुछ भी हो रहा है, वो केवल आइसोलेटेड इवेंट नहीं है. अगर देश में वक़्फ़ संशोधन बिल लाकर मुसलमानों की ज़मीनों को हड़पा जा रहा है, अगर यूपी के किसी इलाक़े में दलितों की लिंचिंग हो रही है, अगर किसी ट्रेन में लंबी दाढ़ी वाले शख़्स की टिफ़िन का भोजन चेक करके मारा जा रहा है, तो कल जेएनयू का कोई छात्र भी इसका शिकार हो सकता है. इसलिए देश में जो भी टारगेट पर है, हम उनके साथ खड़े हैं और इस वजह से ही जेएनयू को भी टारगेट किया जाता रहा है."

ABVP की शिखा स्वराज कहती हैं, "कैंपस में नेशनल और इंटरनेशनल मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है लेकिन चुनाव कैंपस के ही मुद्दों पर होने चाहिए. जिस तरह से पटना का चुनाव, पटना के मुद्दे पर होना चाहिए, उसी तरह से जेएनयू कैंपस का चुनाव यहां के स्टूडेंट्स के मुद्दों पर होना चाहिए."

Advertisement

'वक़्फ़ बिल पर भी बात होगी...'

SFI की तैय्यबा कहती हैं, "हमें नहीं लगता है कि कैंपस की पॉलिटिक्स देश की राजनीति से अलग नहीं है. जेएनयू भी इसी समाज और देश का हिस्सा है. यहां वक़्फ़ संशोधन बिल के ख़िलाफ़ बात होगी और फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर भी बात होगी."

फ़्रेटरनिटी मूवमेंट के मोहम्मद कैफ़ कहते हैं, "हम फ़िलिस्तीन में हो रहे नरसंहार की निंदा कर रहे हैं. हमारे लिए उमर ख़ालिद, गुलफ़िशा फ़ातिमा, शरजील इमाम के अलावा हिंदुस्तान के राजनीतिक क़ैदियों के मुद्दे भी अहम हैं."

'फ़िलिस्तीन मुद्दे पर चुनाव नहीं...'

ABVP के वैभव मीणा का कहना है कि जेएनयू में नेशनल और इंटरनेशल मुद्दों पर बात होती है, अच्छे आंदोलन होते हैं, देश में जेएनयू से नैरेटिव चलता है, यहां पर एक बौद्धिक परिवेश है, ये ठीक बात है. लेकिन छात्रसंघ का चुनाव फ़िलिस्तीन और चीन के मुद्दों पर नहीं होना चाहिए.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement