ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अभी 25000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द न करने की अपील की है. पश्चिम बंगाल शिक्षा बोर्ड (WBBSE) ने सुप्रीम कोर्ट से शिक्षकों की नियुक्त रद्द करने वाले अपने फैसले में संशोधन की मांग को लेकर याचिका दायर की है. बोर्ड ने दलील दी है कि नियुक्ति रद्द करने से लाखों छात्र प्रभावित होंगे, उनकी पढ़ाई को नुकसान होगा.
शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि सोमवार को बोर्ड के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. दरअसल, बीते गुरुवार (3 अप्रैल 2025) भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने 2016 की पूरी चयन प्रक्रिया को "दूषित और दागी" करार देते हुए, नियुक्तियों को रद्द करने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय हाईकोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के आदेश को बरकरार रखा. कोर्ट ने राज्य की 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. इस फैसले के बाद पिछले कई साल से नौकरी कर रहे 25 हजार से अधिक लोगों की नौकरी चली गई. अब शिक्षा बोर्ड ने कोर्ट से अपने फैसले में संशोधन को लेकर एक याचिका दायर की है.
बोर्ड की मांग
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने यहां बताया कि बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में, बोर्ड के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह वर्तमान एकेडमिक ईयर के अंत तक या पदों पर नई नियुक्तियां होने तक, "जो भी पहले हो" तक, अयोग्य उम्मीदवारों को सेवा में बने रहने की अनुमति देनी चाहिए. पश्चिम बंगाल शिक्षा बोर्ड ने कहा कि फैसले के बाद मौजूदा शिक्षकों में से 11.3 प्रतिशत को बर्खास्त किया जाना है, जो राज्य के सभी स्कूलों के लिए बड़ा झटका साबित होगा. छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी.
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड ने कोर्ट को बताया है कि उसके अधीन 9,487 हाई स्कूल हैं, जिनमें से 6,952 में हायर सेकेंडरी सेक्शन हैं, जिनमें "कुल मिलाकर 78.6 लाख से अधिक छात्र रजिस्टर्ड हैं." बोर्ड 6,350 अपर प्राइमरी स्कूलों के लिए भी जिम्मेदार है, जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं.
अपील में कहा गया है, "वर्तमान आवेदनों के माध्यम से, अपीलकर्ता सबसे सम्मानपूर्वक निर्णय के उचित निर्देश/संशोधन की मांग करता है, ताकि छात्रों की शिक्षा में कोई परेशानी न आए. एकेडमिक ईयर खत्म होने तक या नई भर्ती प्रक्रिया होने तक उन चयनित उम्मीदवार को स्कूलों में अस्थानी तौर पर नौकरी करने की परमिशन देनी चाहिए, जो दागी नहीं पाए गए हैं. डब्ल्यूबीबीएसई ने कहा, राज्य में हेडमास्टर्स को छोड़कर 1,51,568 शिक्षकों की पहले से ही कमी है. ज्यादातर स्कूल 5वीं से 10वीं कक्षा तक प्रत्येक विषय के लिए एक ही शिक्षक से काम चला रहे हैं.
बता दें कि पश्चिम बंगाल शिक्षक और अन्य कर्मचारियों की भर्ती परीक्षा का परिणाम 27 नवंबर 2017 को घोषित हुआ था. नियुक्ति पाने वाले 25 हजार से ज्यादा उम्मीदवार नौकरी कर रहे थे. अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं. हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि प्रक्रिया में चयनित जो उम्मीदवार धोखाखड़ी और फर्जीवाड़े की श्रेणी से बाहर हैं वे उन नौकरियों के लिए फिर से अप्लाई कर सकते हैं, जो वे छोड़कर आए थे. कोर्ट ने कहा कि उन्हें अपने पिछले पदों पर आवेदन करने की अनुमति फिर से दी जानी चाहिए. साथ ही पिछली और इस भर्ती के बीच के समय को सेवा में विराम नहीं माना जाएगा.
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