अंबेडकर यूनिवर्सिटी के 2 प्रोफेसर्स पर लगे गंभीर आरोप, नौकरी से निकालने पर छात्रों का प्रोटेस्ट

डॉ. भीम राव अंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली के दोनों प्रोफेसर्स को उच्च शिक्षा निदेशालय की जांच के बाद नौकरी से निकलाने का फैसला लिया गया है. जांच में पाया गया है कि दोनों प्रोफेसर्स ने साल 2019 में प्रशासनिक पदों पर रहते हुए नॉन-टीचिंग कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति की थी.

Advertisement
डॉ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (फोटो सोर्स: facebook@Dr B R Ambedkar University Delhi) डॉ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (फोटो सोर्स: facebook@Dr B R Ambedkar University Delhi)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

डॉ. भीम राव अंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली (AUD) में दो प्रोफेसरों को हटाने के फैसले के बाद कुछ छात्रों ने इसका विरोध किया है. यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रदर्शन कर रहे छात्रों का दावा है कि दोनों प्रोफेसरों को गलत तरीके से निकाला जा रहा है. विश्वविद्यालय के फैसले की आलोचना करते हुए प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रोफेसरों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि उन्होंने जांच प्रक्रिया की पारदर्शी समीक्षा की मांग की थी.

Advertisement

क्या है मामला?
दरअसल, यह मामला कथित तौर पर प्रोफेसरों द्वारा अपने पद के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिन्होंने 2019 में प्रशासनिक पदों पर रहते हुए नॉन-टीचिंग कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति की थी. साल 2019 में नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती में गड़बड़ी को लेकर यूनिवर्सिटी ने दो प्रोफेसरों को निकालने का फैसला लिया है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला एक जांच के आधार पर लिया गया है, जिसमें 2019 में नॉन-टीचिंग पदों को रेगुलर करने के लिए तय नीति को अनदेखा करके नियुक्तियां की गई थीं. जांच के बाद नॉन-टीचिंग स्टाफ पदों पर कथित गलत तरीके से हुई नियुक्तियों में दोनों प्रोफेसरों की भूमिका सामने आई है.

अंबेडकर विश्वविद्यालय ने क्या कहा?
शुक्रवार को डॉ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा शुरू की गई जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिसके बाद विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट बोर्ड (बीओएम) ने एक जांच समिति गठित की थी. जांच रिपोर्ट, लिखित रिपोर्ट और विजिलेंस डिविजन से मिले  इनपुट पर विचार करने के बाद, बीओएम ने दोनों प्रोफेसरों को तत्काल प्रभाव से सेवा से हटाने का फैसला लिया."

Advertisement

बयान में आगे कहा गया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1965 के तहत की गई थी, जो विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के आचरण को नियंत्रित करता है. हालांकि आरोपों पर प्रतिक्रिया के लिए संबंधित प्रोफेसरों से संपर्क नहीं किया जा सका. इस बीच, कई छात्र संगठनों ने दोनों प्रोफेसरों की बहाली की मांग को लेकर एयूडी परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. 

---- समाप्त ----
पीटीआई इनपुट के साथ

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement