मिलिए IIT के 'दानवीर' से... करियर चमकने के बाद अपने संस्थान को दिया 288 करोड़ का बड़ा दान

आईआईटी मद्रास को दान में 288 करोड़ की रकम का इस्तेमाल कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाएगा, जिसमें विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप के जरिये समर्थन, रिसर्च एक्सीलेंस ग्रांट, अंडरग्रेजुएट फेलोशिप प्रोग्राम, स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप प्रोग्राम और शास्त्र मैगजीन का विकास शामिल है.

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प्रमोद माधव

  • चेन्नई,
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), मद्रास  को अपने  प्रतिष्ठित पूर्व छात्र डॉ. कृष्णा चिवुकुला (एमटेक, 1970) से 228 करोड़ रुपये का अपना अब तक का सबसे बड़ा सिंगल दान प्राप्त हुआ है. यह दान भारत में किसी भी शैक्षणिक संस्थान को दिए गए अब तक के सबसे बड़े दानों में से एक है. संस्थान को दान में मिली इस रकम का इस्तेमाल कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाएगा, जिसमें विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप के जरिये समर्थन, रिसर्च एक्सीलेंस ग्रांट, अंडरग्रेजुएट फेलोशिप प्रोग्राम, स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप प्रोग्राम और शास्त्र मैगजीन का विकास शामिल है. इसके अलावा कृष्णा चिवुकुला ब्लॉक के रखरखाव और अन्य एक्टिविटी के लिए रकम का इस्तेमाल किया जाएगा.

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संस्थान ने कैंपस में एक कार्यक्रम के दौरान डॉ. कृष्णा चिवुकुला के सम्मान में एक शैक्षणिक ब्लॉक 'कृष्णा चिवुकुला ब्लॉक' का नामकरण किया. इस कार्यक्रम में डॉ. कृष्णा चिवुकुला, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटी, आईआईटी मद्रास के डीन (पूर्व छात्र और कॉर्पोरेट संबंध) प्रोफेसर महेश पंचाग्नुला, आईआईटी मद्रास के सीईओ, संस्थागत उन्नति कार्यालय के सीईओ कवीराज नायर और अन्य संकाय, शोधकर्ता, कर्मचारी और छात्र शामिल हुए. 

कौन हैं डॉ. कृष्णा चिवुकुला?
डॉ. कृष्णा चिवुकुला ने 1997 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक के साथ आईआईटी मद्रास से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1980 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया है. न्यूयॉर्क में हॉफमैन ग्रुप ऑफ कंपनीज में समूह अध्यक्ष और सीईओ के रूप में कार्य करने के बाद, डॉ. चिवुकुला ने लगातार दो “विश्व की नंबर एक” कंपनियों की स्थापना की. उन्होंने शिवा टेक्नोलॉजीज इंक और इंडो एमआईएम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की है. उन्होंने इंजीनियरिंग मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी में भी महत्वपूर्ण तरक्की हासिल की है.

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1997 में उन्होंने भारत में 'मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग (एमआईएम)' नामक एक अत्याधुनिक इंजीनियरिंग निर्माण तकनीक पेश की, जबकि यह अमेरिका में अभी भी एक उभरती हुई तकनीक थी. वर्तमान में उनकी कंपनी, इंडो यूएस एमआईएम टेक, क्षमता और बिक्री के मामले में एमआईएम तकनीक में दुनिया में नंबर एक स्थान पर है और इसका अनुमानित कारोबार लगभग 1000 करोड़ रुपये है.

आईआईटी मद्रास में इस मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटी ने कहा, "कई दशकों के बाद भी हमारे पूर्व छात्र अपने अल्मा मेटर को याद रखते हैं, यह इस बात की पुष्टि करता है कि शिक्षा ही एकमात्र अमर धन है जो हम मानव जाति को दे सकते हैं. कृष्णा चिवुकुला के बड़े योगदान के लिए आभारी हूं, जिससे ज्ञान की खोज में भविष्य की कई पीढ़ियों के छात्रों को लाभ होगा."

अपने अल्मा मेटर का समर्थन करने के अपने उद्देश्यों के बारे में बोलते हुए, इंडो-एमआईएम के संस्थापक और सीईओ डॉ. कृष्णा चिवुकुला ने कहा, "आईआईटी मद्रास में मेरी शिक्षा न केवल अत्यधिक यादगार और सुखद रही, बल्कि इसने मुझे जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में सक्षम बनाया और मुझे एक ऐसी स्थिति में रखा जहां मैं संस्थान को एक गिफ्ट दे सकता हूं - भारत में किसी विश्वविद्यालय को अब तक का सबसे बड़ा एकल दान!"

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डॉ. कृष्णा चिवुकुला को धन्यवाद देते हुए, आईआईटी मद्रास के डीन (पूर्व छात्र और कॉर्पोरेट संबंध) प्रोफेसर महेश पंचाग्नुला ने कहा, "डॉ. कृष्णा चिवुकुला न केवल एक सफल तकनीकी व्यवसायी हैं बल्कि एक आदर्श पूर्व छात्र भी हैं. उनका विनम्रता और उदारता आने वाली पीढ़ियों के पूर्व छात्रों के लिए अनुकरणीय विशेषता के रूप में काम करेगी."

आईआईटी मद्रास के इतिहास में सबसे बड़ा दान
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान आईआईटी मद्रास ने रिकॉर्ड 513 करोड़ रुपये जुटाए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 135% ज्यादा है. यह धनराशि पूर्व छात्रों, सीएसआर फंडों और कॉर्पोरेट फर्मों से अनुदान के माध्यम से जुटाई गई थी. संस्थान को 1 करोड़ रुपये से अधिक देने वाले दानदाताओं की संख्या 48 है (16 पूर्व छात्र दानकर्ता और 32 कॉर्पोरेट भागीदार). 2023-24 के दौरान अकेले पूर्व छात्रों के माध्यम से जुटाई गई कुल राशि 367 करोड़ रुपये थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 282% की वृद्धि है. 

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