विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से आईआईटी दिल्ली ने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए बारिश की बूंदों में मौजूद काइनेटिक एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक चार्ज के जरिए बिजली बनाई जा सकती है. भारत में बारिश के पानी से बिजली बनाने को लेकर कई सालों से प्रयोग हो रहे हैं. अब ये नई तकनीक इस दिशा में काफी कारगर साबित हो सकती है.
इसके लिए डेमो डिवाइस को विकसित कर लिया गया है. इसे लेकर जल्द ही पेटेंट की प्रक्रिया शुरू होगी और आने वाले समय में छोटी मशीनें इन नैनो इलेक्ट्रिसिटी डिवाइस से चार्ज हो सकेंगी, यानी जब भारत में मॉनसून की मूसलाधार बारिश होगी, तब बिजली का निर्माण भी संभव हो पाएगा. चलिए- इसे थोड़ा विस्तार से इसे समझते हैं.
'Triboelectric Effect' के जरिए बारिश की बूंदों से होगा बिजली का निर्माण
यह लिक्विड सॉलि़ड इंटरफ़ेस से बनाया गया है उपकरण जिससे नैनो सेल चार्ज होंगे. इसमें Nanocomposite polymers से बने उपकरण से मिलीवॉट पावर के तौर पर मिलेगी. बता दें कि इस रिसर्च को पूरा होने में 3 साल का वक्त लगा है. इसमें आईआईटी दिल्ली के साथ मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉरमेशन, टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का भी सहयोग मिला है. भविष्य में बारिश की बूंदों की तरह ही समुद्री लहरों से भी बिजली बनाने की योजना है.
अभी तक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के जरिए बिजली का उत्पादन होता था, जिसे लेकर कई पर्यावरणविद भूस्खलन और भूकंप की आशंकाएं पहले ही जता चुके हैं. इससे इकोलॉजी में भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, ऐसे में आईआईटी दिल्ली की नई तकनीक गेमचेंजर साबित हो सकती है. इस तकनीक को वैज्ञानिक आगे और विकसित करके भविष्य में बिजली उत्पादन की दिशा में अमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं. तकनीक को पेटेंट मिलने के बाद इसे जमीनी स्तर पर उतारा जा सकेगा.
वरुण सिन्हा