DUSU Election 2023: दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव (DUSU Election) 2023 की तैयारी जोरो पर हैं. तीन साल बाद हो रहे डूसू चुनाव में ABVP, NSUI, SFI और AISA दल घोषणापत्र (Manifesto) के जरिये छात्रों को अपनी ओर खींचने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. एबीवीपी और एनएसयूआई के बाद अब ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) ने भी अपना मैनिफेस्टो जारी कर दिया है. आइसा ने अपनी ओर से ज्यादातर लड़कियों को चुनाव लड़ने का मौका दिया है.
आइसा की ओर से केवल एक लड़के को प्रत्याक्षी (सचिव पद के लिए) बनाया गया है, जबकि बाकी तीन पदों के लिए प्रत्याक्षी लड़कियां हैं. AISA के चार प्रत्याशियों का पैनल इस चुनाव में इस प्रकार है-
अध्यक्ष पद के लिए आयशा अहमद खान
आयशा अहमद खान मिरांडा हाउस कॉलेज में एलएलबी की छात्रा हैं, जोकि पटना से आती हैं. वह FYUP के पहले बैच का हिस्सा है और इस प्रोग्राम के दंश को झेला है. FYUP से होने वाली दिक्कतों की वजह से उन्होंने DU में anti - FYUP मूवमेंट खड़ा किया था. IP कॉलेज और मिरांडा हाउस में बढ़ रही गुंडागर्दी और छेड़खानी के खिलाफ भी उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया. आयशा कैंपस परिसर में लैंगिक न्याय के मुद्दों पर हमेशा मुखर रही हैं और वर्तमान में जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी की सदस्य भी है. जब पिछले 6 महीने में दो बार ऐसी घटनाएं हुई है जिसमें बाहरी तत्वों ने मिरांडा हाउस की दीवार फांद कर परिसर में गुंडागर्दी और छेड़खानी की ऐसे में आयशा परिसर में महिलाओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा की आवाज बनकर उभरी हैं.
उपाध्यक्ष पद के लिए अनुष्का चौधरी
अनुष्का चौधरी, दिल्ली विश्वविद्यालय की विधि विभाग की विद्यार्थी हैं जो बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार से आती हैं. वह किसान आंदोलन में गाजीपुर बॉर्डर पर बहुत सक्रिय रही है. उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई ASRD कॉलेज से की है और कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने विद्यार्थियों को सस्ते बस पास और बढ़ते रूम रेंट और सस्ते परिवहन के सवाल पर गोल बंद किया. DU से उनके लंबे जुड़ाव ने उन्हें 77 दिनों के अनिश्चितकालीन आंदोलन जो कि DU को खुलवाने के लिए था, में हिस्सा लेने के लिए एक महत्वपूर्ण वजह रहा.
सचिव पद के लिए आदित्य प्रताप सिंह
आदित्य प्रताप सिंह ने 2019 में विश्वविद्यालय में प्रवेश किया. वह उत्तर प्रदेश के एक ऐसे परिवार से आते हैं, जहां उनकी मां अकेली घर चलाती हैं. उन्होंने DU से अपने जुड़ाव के साथ ही हॉस्टल की संख्या बढ़ाने और परिसर के आसपास रूम रेंट को नियंत्रित करने के आंदोलन का नेतृत्व किया. 2022 में जब डीयू प्रशासन OBC आरक्षण को सही से लागू नहीं कर रहा था तब आदित्य और हमारे अन्य साथियों ने एक बड़ा आंदोलन कैंपस में खड़ा किया. साथ ही, यह सुनिश्चित किया कि विश्वविद्यालय ओबीसी तबके से आने वाले विद्यार्थियों के लिए उचित आरक्षण की व्यवस्था लागू हो. उन्होंने DU को फिर से खुलवाने के आंदोलन में भी केंद्रीय भूमिका निभाई और CUET के प्रवेश प्रक्रिया में भी सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मुखर प्रतिवाद दर्ज किया.
संयुक्त सचिव पद के लिए अंजली कुमारी
अंजली कुमारी मिरांडा हाउस से फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हैं और बिहार के गया से आती हैं. कैंपस में वह एक युवा दलित आवाज बन रही हैं. वह एक हाशिए के समुदाय से आती हैं और विश्वविद्यालय में अपने पहले ही दिन से ANTI - FYUP मूवमेंट से जुड़ी रही है. उन्होंने प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को DU में FYUP के खिलाफ संगठित किया है.
DUSU चुनाव में आइसा के मुद्दे-
ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया है कि AISA ने घोषणा पत्र के माध्यम से FYUP द्वारा गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा पर हो रहे हमले, महिलाओं और अन्य लैंगिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, स्वायत्तता और उनके लिए लोकतांत्रिक माहौल की मांग, सस्ते और गुणवत्ता पूर्ण हॉस्टल और कमरों की जरूरत और दिल्ली के लोकल विद्यार्थियों के लिए मेट्रो का किराया लगातार बढ़ने से आ रही दिक्कत सहित अन्य मांगों को उठा रहा है. डूसू चुनाव में आइसा सभी विद्यार्थियों से परिसर में लोकतंत्र बरकरार रखने और गुंडागर्दी और भय के माहौल को नकारने की अपील करता है. चुनाव चार साल बाद हो रहे हैं और इस बीच शिक्षा व्यवस्था काफी सारे बदलावों से गुजर रही है. इस बीच AISA अपना घोषणा पत्र जारी किया है जिसमें विद्यार्थियों के हित में और सस्ती, गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और समावेशी शिक्षा हर उस विद्यार्थी को मिले जो दिल्ली विश्वविद्यालय आ रहा है को शामिल किया है.
आइसा का मानना है कि DUSU चुनाव के बीच 4 साल के अंतराल ने छात्र राजनीति और कैंपस के लोकतांत्रिक माहौल को प्रभावित किया है NEP 2020 के आने के बाद से DU ने छात्रों पर 4 YEAR UNDER GRADUATE PROGRAMME (FYUP) जैसी पॉलिसी को जबरदस्ती थोपे जाते देखा है. NEP 2020 के परिणामस्वरुप कई कॉलेजों में कई गुना फीस वृद्धि हुई है. वहीं दूसरी ओर इससे विद्यार्थियों के हॉस्टल की कमी जैसे मुद्दों में कोई सुधार नहीं हुआ है. साथ ही महंगाई के बढ़ते रहने से छात्रों के सामने बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है. जिस वजह से हम लंबे समय से चलती आ रही फ्री मेट्रो पास की मांग को दोहराते हैं. इस साल का चुनाव विद्यार्थियों के हित के लिए और कैंपस में लोकतंत्र बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
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