Drishti IAS ने UPSC में 216 बच्चों के सेलेक्शन का किया था झूठा विज्ञापन, लगा 5 लाख का जुर्माना

कोचिंग सेंटर के आसपास अक्सर बड़े-बड़े वादों वाले पोस्टर नजर आते हैं "सैकड़ों चयन, गारंटीड सफलता!" लेकिन हकीकत कुछ और ही निकलती है. यही वजह है कि अब उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने कोचिंग संस्थानों के ऐसे दावों पर सख्ती शुरू कर दी है. हाल ही में दृष्टि IAS पर जुर्माना लगाकर यह साफ संदेश दिया गया है कि छात्रों और अभिभावकों के भरोसे से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

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झूठा विज्ञापन चलाने के मामले में Drishti IAS पर दूसरी बार जुर्माना लगाया गया है. (Photo:\www.drishtilearningapp.com) झूठा विज्ञापन चलाने के मामले में Drishti IAS पर दूसरी बार जुर्माना लगाया गया है. (Photo:\www.drishtilearningapp.com)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

Drishti IAS Misleading Advertisement: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने दृष्टि IAS पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के परिणामों के बारे में भ्रामक विज्ञापन देने के आरोप में ₹5 लाख का जुर्माना लगाया है. CCPA के अनुसार, दृष्टि IAS ने अपने प्रचार में गलत दावा किया कि उसने 216+ उम्मीदवारों को चयनित कराया है

जबकि असल में इस सफलता में संस्थान की भूमिका और पाठ्यक्रम की जानकारी छिपाई गई थी. यह मामला पिछले वर्षों में इसी तरह की शिकायतों और जुर्मानों का दूसरा उदाहरण है, जिससे यह साफ होता है कि कोचिंग संस्थानों को अपने विज्ञापनों में पूरी और सही जानकारी देना अनिवार्य है.

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जांच गलत पाया गया दावा

जांच के बाद सीसीपीए ने पाया कि यह दावा गलत था और इसमें इन उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों के प्रकार और अवधि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी. जांच से पता चला कि दृष्टि आईएएस द्वारा दावा किए गए 216 उम्मीदवारों में से, 162 (75%) ने यूपीएससी सीएसई के प्री और मेन्स पास करने के बाद दृष्टि आईएएस के निःशुल्क इंटरव्यू प्रैक्टिस कार्यक्रम में ही भाग लिया था. इसके बाद केवल 54 छात्रों ने आईजीपी+ अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया था.

PIB के अनुसार, जानकारी को जानबूझकर छिपाने से अभ्यर्थियों और अभिभावकों को यह विश्वास हो गया कि यूपीएससी परीक्षा के सभी चरणों में उनकी सफलता के लिए दृष्टि आईएएस जिम्मेदार है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) के तहत एक भ्रामक विज्ञापन है.

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इससे पहले भी झूठा विज्ञापन चलाने के लिए दृष्टि आईएएस पर लग चुका है जुर्माना

सीसीपीए ने यह भी नोट किया कि इसी तरह के विज्ञापन के लिए दृष्टि आईएएस पर लगाया गया यह दूसरा जुर्माना है. इससे पहले, सितंबर 2024 में,  यूपीएससी सीएसई 2021 में 150+ बच्चे सेलेक्ट हुए ऐसा झूठा दावा भी किया गया था. संस्थान ने यूपीएससी सीएसई 2021 में 150+ चयन के अपने दावे के खिलाफ 161 उम्मीदवारों की डिटेल्स शेयर की थीं.

इसके बाद यह पाया गया कि इन 161 उम्मीदवारों में से 148 आईजीपी में नामांकित थे, 7 मेन्स मेंटरशिप प्रोग्राम में नामांकित थे, 4 जीएस फाउंडेशन प्रोग्राम में नामांकित थे, 1 वैकल्पिक पाठ्यक्रम में और शेष 1 उम्मीदवार का विवरण नहीं दिया गया था. इस मामले में सीसीपीए ने ₹ 3 लाख का जुर्माना लगाया और भ्रामक विज्ञापन को बंद करने का निर्देश दिया था. चेतावनी दिए जाने के बावजूद, दृष्टि आईएएस ने एक बार फिर 2022 के परीक्षा परिणामों के लिए एक बार फिर ढूठा दावा किया है.

जब कोचिंग संस्थान ऐसी अहम जानकारी छिपाते हैं, तो छात्र और उनके माता-पिता को सही जानकारी नहीं मिल पाती। इससे वे गलतफहमी में आकर फैसले कर लेते हैं. ऐसे विज्ञापन झूठी उम्मीदें जगाते हैं और छात्रों को सच बताए बिना ही बड़े-बड़े दावों से प्रभावित करते हैं.

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अब तक झूठे विज्ञापन के लिए 54 कोचिंग संस्थान को नोटिस

अब तक, सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए विभिन्न कोचिंग संस्थानों को 54 नोटिस जारी किए हैं. 26 कोचिंग संस्थानों पर ₹90.6 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है, साथ ही ऐसे भ्रामक दावे बंद करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सीसीपीए ने पाया कि ऐसे सभी संस्थानों ने अपने विज्ञापनों में सफल अभ्यर्थियों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन के समान है.

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