लव-ब्रेकअप, र‍िश्तों में रेड फ्लैग्स...DU में Gen-Z के लिए शुरू हो रहे ये अनोखे कोर्स, एक्सपर्ट बोले- ये वक्त की मांग

दिल्ली यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर नवीन कुमार इस कोर्स की ज़रूरत को आज के सामाजिक परिवेश में बहुत जरूरी मानते हैं. वो कहते हैं कि आज वर्किंग पेरेंट्स की तादाद बढ़ गई है और डिजिटल पेरेंटिंग का ज़माना आ चुका है. लोग आज़ादी को समझते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि इसकी बाउंड्रीज कहां तक हैं. यह आज़ादी कई बार दुख और तनाव का सबब बन जाती है.

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DU introduces ‘Negotiating Intimate Relationships’ to teach red flags and resilience (AI IMage) DU introduces ‘Negotiating Intimate Relationships’ to teach red flags and resilience (AI IMage)

मानसी मिश्रा

  • नई द‍िल्ली ,
  • 10 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

आजकल ड‍िजिटल युग में जब र‍िश्ते लिव इन से लेकर स‍िचुएशन‍श‍िप तक आ पहुंचे हैं. ड‍िज‍िटल मीड‍िया से प्यार पनपने लगा है. र‍िश्तों की उम्र छोटी होती जा रही है. ऐसे में दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने Negotiating Intimate Relationships, मीड‍िया साइकोलॉजी, साइकोलॉजी ऑफ एडजेस्टमेंट जैसे कई कोर्सेज शुरू किए हैं. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि ये कोर्स आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौती रिश्तों की जटिलताओं को समझने और सुलझाने के साथ साथ वर्कप्लेस से लेकर आम जिंदगी को संवारने में एक नया नजर‍िया देंगे. 

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अगर Negotiating Intimate Relationships कोर्स की बात करें तो ये 2025-26 शैक्षणिक सत्र से शुरू होगा और मनोविज्ञान विभाग के तहत सभी स्नातक छात्रों के लिए उपलब्ध होगा. यह कोर्स न केवल प्यार और दोस्ती की बारीकियों को पढ़ाएगा, बल्कि रिश्तों में छिपे खतरों (रेड फ्लैग्स) को पहचानने और स्वस्थ रिश्तों को बढ़ावा देने का हुनर भी सिखाएगा. इस पहल ने न सिर्फ छात्रों में उत्साह जगाया है, बल्कि यह समाज में बदलते रिश्तों के ताने-बाने पर गहरी रोशनी डालता है. 

ये कोर्सेज भी हैं खास 

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(ऊपर दी गई पीडीएफ में नये कोर्सेज के बारे में लेटेस्ट जानकारी है, स्टूडेंट अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुन सकते हैं)

डिजिटल दौर में रिश्तों की नई चुनौतियां 
दिल्ली यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर नवीन कुमार इस कोर्स की ज़रूरत को आज के सामाजिक परिवेश में बहुत जरूरी मानते हैं. वो कहते हैं कि आज वर्किंग पेरेंट्स की तादाद बढ़ गई है और डिजिटल पेरेंटिंग का ज़माना आ चुका है. लोग आज़ादी को समझते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि इसकी बाउंड्रीज कहां तक हैं. यह आज़ादी कई बार दुख और तनाव का सबब बन जाती है. आज का सामाजिक संदर्भ बहुत मायने रखता है. लोग बाहरी चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं चाहे वह रेडीमेड रिश्ते हों या ज़िंदगी. रिश्तों को निभाने की परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है. आज के रिश्ते गहरे प्यार के बजाय जुनून पर आधारित हैं, जो अक्सर टिकाऊ नहीं होते. 

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प्रोफेसर नवीन की यह बात टिंडर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स के दौर में रिश्तों की नाज़ुक स्थिति को बयान करती है जहां रिश्ते बनाना और तोड़ना आसान हो गया है. यह कोर्स इन चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने का रास्ता दिखाने की कोशिश करता है.वो आगे कहते हैं कि एक तरफ यूथ की आजाद मानस‍िकता है और दूसरी तरफ पेरेंट्स और समाज का दबाव, ऐसे हालात कई बार सोशल क्राइम को भी जन्म देते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां प्रेम संबंधों के कारण हत्या जैसी वारदातें सामने आ रही हैं. इंदौर में सोनम और राजा रघुवंशी का केस भी इसकी एक नजीर बन सकता है. इससे पहले एक मामला जब प्रेमी ने लिव इन में प्रेमिका के कई टुकड़े करके लाश फ्रिज में रखी थी. 

कोर्स की संरचना और पढ़ाई का तरीका
इनमें से कई कोर्स चार क्रेडिट के जनरल इलेक्टिव कोर्स है जो 12वीं पास किसी भी स्ट्रीम के छात्र चुन सकते हैं. इसे सप्ताह में तीन लेक्चर और एक ट्यूटोरियल के ज़रिए पढ़ाया जाएगा. ट्यूटोरियल्स में पढ़ाई को मज़ेदार और प्रैक्टिकल बनाया जाएगा. एक खास कोर्स में  छात्र कबीर सिंह जैसी फिल्मों में दिखाए गए हिंसक रिश्तों और टाइटैनिक जैसे रोमांटिक आदर्शों का विश्लेषण करेंगे. डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया के प्रभाव को समझने के लिए ग्रुप डिबेट्स होंगे और स्टर्नबर्ग के लव स्केल जैसे टूल्स से छात्र अपने अनुभवों का आकलन करेंगे. 

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