देश की पहली ट्रांसवुमन PhD होल्डर जेंसी ने रचा इतिहास, लोयोला कॉलेज में बनीं प्रोफेसर

जेंसी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. तिरुत्तनी के छोटे से गांव में पैदा हुईं जेंसी को ट्रांसवुमन होने की वजह से समाज और शुरुआत में परिवार का भी साथ नहीं मिला. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. पढ़ाई में जी-जान लगाकर UG और MA में गोल्ड मेडल जीता फिर PhD पूरी की. आज वो लोयोला कॉलेज में मैनेजमेंट स्टाफ के तौर पर पढ़ा रही हैं.

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प्रमोद माधव

  • नई द‍िल्ली ,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 8:55 PM IST

'पढ़ाई वो हथियार है, जो हर मुश्किल को चकनाचूर कर देता है!'ये दिल छू लेने वाले शब्द हैं डॉ. एन जेंसी के, जिन्होंने तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव से निकलकर देश की पहली ट्रांसवुमन PhD होल्डर बनकर इतिहास रच दिया. चेन्नई के मशहूर लोयोला कॉलेज में इंग्लिश डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर जेंसी ने सबको चौंका दिया. तमाम मुश्किलों को ललकारते हुए उन्होंने सपनों को सच कर दिखाया और ऊपर से तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ दिए. 

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गांव से प्रोफेसर तक का कमाल

जेंसी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. तिरुत्तनी के छोटे से गांव में पैदा हुईं जेंसी को ट्रांसवुमन होने की वजह से समाज और शुरुआत में परिवार का भी साथ नहीं मिला. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. पढ़ाई में जी-जान लगाकर UG और MA में गोल्ड मेडल जीता फिर PhD पूरी की. आज वो लोयोला कॉलेज में मैनेजमेंट स्टाफ के तौर पर पढ़ा रही हैं. उनकी इस कामयाबी पर CM स्टालिन ने X पर लिखा, 'डॉ. जेंसी को ढेर सारी बधाई! आपकी तरह और सैकड़ों लोग पढ़ाई से कामयाबी पाएं.शिक्षा की ताकत हर रुकावट को हरा दे!'

स्टालिन से मिलीं, दिल की बात कही

जेंसी ने CM स्टालिन से मिलकर उनका शुक्रिया अदा किया और उनकी सरकार के सामाजिक न्याय के कदमों की तारीफ की. उन्होंने कहा कि ये मेरी अकेले की जीत नहीं, मेरे ट्रांस कम्युनिटी की जीत है.  मैंने बहुत कुछ सहा लेकिन पढ़ाई ने मुझे यहां तक पहुंचाया. समाज से गुजारिश है कि ट्रांस लोगों को घर से न निकालें, उन्हें पढ़ने दें. मुझे ही देखो, मेरा परिवार पहले मुझे नहीं समझ पाया लेकिन मैंने गोल्ड मेडल जीते और आज प्रोफेसर हूं. प्रकृति को तो स्वीकार करते हो, फिर हमें क्यों नहीं?.  

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सरकार से एक खास मांग

जेंसी ने स्टालिन से एक खास गुजारिश भी की. उन्होंने कहा कि मेरे पास पिता नहीं हैं लेकिन मैं स्टालिन सर को पिता मानकर कहती हूं. मुझे तमिलनाडु के सरकारी कॉलेज में पक्की नौकरी दें. ये मेरे कम्युनिटी के लिए मिसाल बनेगा और उन्हें पढ़ाई की ओर बढ़ने की हिम्मत देगा. उनकी ये बात दिल को छू गई. जेंसी की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से जूझ रहा है. पढ़ाई को ताकत बनाकर उन्होंने न सिर्फ़ अपनी जिंदगी बदली बल्कि ट्रांस कम्युनिटी के लिए नया रास्ता दिखाया. अब सवाल ये है कि क्या समाज उनकी इस जीत को दिल से अपनाएगा?.

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