बिहार के बगहा में कई गांवों के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक और शिक्षिका अपनी जान जोखिम में डालकर गंडक नदी पार करने को मजबूर हैं. रोजाना उन्हें छह किलोमीटर की दूरी तय करने में एक घंटे से अधिक समय लग जाता है. क्योंकि बड़े नावों के अभाव में वे छोटी और असुरक्षित नावों का सहारा लेने को मजबूर हैं.
दरअसल, मधुबनी, पिपरासी और ठकरहा प्रखंडों में दर्जन स्कूल ऐसे हैं, जहां गंडक नदी को पार कर शिक्षकों और शिक्षिकाओं को पहुंचना पड़ता है. बड़े नावों की कमी के कारण इन्हें छोटी नावों पर निर्भर रहना पड़ता है. नदी पार करने के लिए गांव के लोगों के पास कोई भी सुरक्षा उपकरण नहीं है.
नाव स्कूल पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है
हर दिन शिक्षकों को बाढ़ग्रस्त इलाकों और पगडंडियों से होकर उफनती नदी पार करनी पड़ती है, जिसमें सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. लाइफ जैकेट जैसी बुनियादी सुरक्षा सुविधाओं के बिना यात्रा करना शिक्षकों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है. इसको लेकर शिक्षक आयुष कुमार का कहना है कि उनके स्कूल की दूरी केवल छह किलोमीटर है, जिसे बाइक से महज 10 मिनट में तय किया जा सकता है, लेकिन नदी पार करने के कारण यह सफर एक घंटे से अधिक लंबा हो जाता है.
तेज हवा के कारण डगमगा जाती है नाव
शिक्षक ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि स्कूल जाने के लिए केवल छोटे नाव ही उपलब्ध हैं. तेज हवा के कारण नावें कई बार डगमगा जाती हैं, जिससे उनके मन में डर बना रहता है. लेकिन उनके पास और कोई विकल्प नहीं है. स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग से बार-बार अनुरोध के बावजूद, अब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है. शिक्षक और ग्रामीण लगातार प्रशासन से बड़े नावों के परिचालन की मांग कर रहे हैं.
बगहा गांव के बच्चों को स्कूल से देरी से पहुंचने की छूट
ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार नदी पार कर विद्यालय जाने वाले शिक्षकों के लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाएंगी. उन्होंने बताया कि शिक्षकों के लिए सरकारी नाव, लाइफ जैकेट और गोताखोरों की व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए गए हैं. दानापुर में हाल ही में एक शिक्षक के नौका दुर्घटना का शिकार होने की घटना को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है. इसके अलावा, शिक्षकों को इन सुविधाओं के साथ विद्यालय पहुंचने के लिए एक घंटा अतिरिक्त समय छूट भी दी गई है.
अभिषेक पाण्डेय