क्यों इस पेड़ के तेल को कहते हैं लिक्विड गोल्ड? कई हजार एक लीटर की कीमत

स्किन केयर और बालों के पोषण के लिए बाजार में मिलने वाले आर्गन ऑयल को 'लिक्विड गोल्ड' कहा जाता है. यह तेल अफ्रीका के सुदूर इलाकों में पाए जाने वाले एक पेड़ से निकाला जाता है. जानते हैं आखिर क्यों इसे लिक्विड गोल्ड कहते हैं और यह कैसे अफ्रीका से जंगलों से दुनियाभर के छोटे-बड़े शहरों तक पहुंच जाता है?

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अफ्रीका के मोरक्को में मिलने वाले आर्गन ट्री से दुनिया का सबसे महंगा वनस्पति तेल निकाला जाता है (Photo - AP) अफ्रीका के मोरक्को में मिलने वाले आर्गन ट्री से दुनिया का सबसे महंगा वनस्पति तेल निकाला जाता है (Photo - AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST

अफ्रीका के मोरक्को में एक पेड़ पर छोटे-छोटे फल उगते हैं. इन फलों से एक प्रकार का तेल निकाला जाता है. ये तेल बालों और त्वचा के लिए इतने ज्यादा फायदेमंद हैं कि पूरी दुनिया में इसकी भारी डिमांड है. इसे हम  'आर्गन तेल' के नाम से जानते हैं. 

इस आर्गन तेल का इस्तेमाल लक्जरी सौंदर्य प्रसाधनों, स्किन केयर और हेयर ऑयल के तौर पर किया जाता है. दुनियाभर में इसकी भारी डिमांड और काफी ज्यादा कीमत की वजह से इसे 'लिक्विड गोल्ड' भी कहा जाता है. इस तेल को बनाने की प्रक्रिया इतनी मुश्किल है और यह अफ्रीका के काफी सुदूर इलाके में पाए जाने वाले आर्गन वृक्ष के बीजों से बनता है. इसलिए यह काफी रेयर और महंगा है. 

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द इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार  मोरक्को के जंगलों में आर्गन फ्रूट्स के वृक्ष सबसे ज्यादा हैं. यही वजह है कि यहां की स्थानीय महिलाओं के लिए आर्गन वृक्ष एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा की तरह है. 

काफी मुश्किल है आर्गन तेल बनाने की प्रक्रिया
मोरक्को की महिलाएं जंगल से आर्गन के फलों को चुनकर लाती हैं और फिर पत्थर की चक्की में इसे पीसकर इसका बीज निकालती हैं. दो दिन की मेहनत के बाद एक किलोग्राम बीज इकट्ठा हो पाता है. एक किलो बीज की कीमत लगभग  3 डॉलर यानी 260 रुपये के करीब होती है.

सदियों से, आर्गन वृक्ष अटलांटिक महासागर और एटलस पर्वत के बीच शुष्क पहाड़ियों में जीवन को सहारा देते रहे हैं. अपने आसपास के लोगों और जानवरों को ये भोजन प्रदान करते रहे हैं. इसके साथ ही मिट्टी को अपने स्थान पर बनाए रखते हैं और रेगिस्तान को फैलने से रोकने में मदद करते रहे हैं.

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सहकारी समितियों के जरिए  तैयार होते हैं आर्गन के तेल
मोरक्कों में इन पेड़ों से बीज निकालने और इसे बाहर भेजने के लिए कई सहकारी समितियां काम करती हैं. इन्हीं कमेटियों के अंदर स्थानीय महिलाएं होती हैं, जो जंगल से जाकर आर्गन के फल चुनकर लाती हैं और फिर उससे बीज निकालकर समितियों में जमा करती है और इन बीजों के बदले इन्हें काफी कम पैसा दिया जाता है. 

काफी कम कीमत में समितियों से बड़ी कंपनियां खरीदती हैं तेल 
सहकारी समितियों का कहना है कि ज़्यादातर दबाव बढ़ती कीमतों से है. एक लीटर की बोतल 600 मोरक्कन दिरहम ($60) यानी 5000 रुपये में बिकती है, जो तीन दशक पहले 25 दिरहम ($2.50) थी. आर्गन युक्त उत्पाद विदेशों में और भी ज़्यादा क़ीमत पर बिकते हैं. सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां आर्गन को बाजार का सबसे महंगा वनस्पति तेल कहती हैं.

इसलिए इसे कहते हैं लिक्विड गोल्ड
आर्गन के इन बीजों को बड़ी-बड़ी सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियां मोरक्कों के गांव-देहात से खरीदकर ले जाती है. इसके बाद इससे आगर्न बीजों से तेल निकाला जाता है. इस तेल के 50 एमएल की कीमत  350 से लेकर 400 रुपये तक होती है. 250 ग्राम की कीमत 4000 से 4500 रुपये और एक लीटर की कीमत वैश्विक बाजार करीब 12000 रुपये है. 

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ऐसे में समझा जा सकता है कि यह ऑर्गन ऑयल को बनाने में अफ्रीका के सुदूर जंगलों में रहने वाली महिलाओं की क्या भूमिका है और इसे क्यों 'लिक्विड गोल्ड' कहा जाता है. 

विपरीत मौसम में भी फलते-फूलते हैं आर्गन के पेड़
ये कांटेदार पेड़ सालाना एक इंच से भी कम बारिश और 50 डिग्री सेल्सियस (122 फ़ारेनहाइट) तक के तापमान वाले इलाकों में भी जीवित रह सकते हैं. ये सूखे को भी झेल सकते हैं और इनकी जड़ें जमीन के नीचे 115 फ़ीट (35 मीटर) तक फैली होती हैं. बकरियां पेड़ों पर चढ़ती हैं, उनके फल खाती हैं और अंततः जंगल के पुनर्जनन चक्र के तहत बीज फैलाती हैं.

क्या है इसकी खासियत
आर्गन के तेल विटामिन ई से भरपूर होते हैं. इसे रूखे बालों और त्वचा पर लगाकर मुलायम किया जाता है. यह बालों को नुकसान से बचाते हैं. कुछ लोग इसका इस्तेमाल एक्जिमा को ठीक करने या चिकन पॉक्स के इलाज के लिए करते हैं.

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