पैरालंपिक गेम्स में अलग होते हैं नियम? कैसे तय होता है कौन सा गेम कौन खेलेगा

Paralympics Games: पैरालंपिक गेम्स शुरू होने वाले हैं. पैरालंपिक गेम्स को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं तो जानते हैं इन सवालों के जवाब.

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पैरालंपिक गेम्स (फोटो- AP) पैरालंपिक गेम्स (फोटो- AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST

पैरालंपिक गेम्स का रण शुरू होने वाला है. इस बार भारत को अपने कई पैरालंपिक एथलीट से उम्मीद हैं कि वो इस बार मेडल के साथ घर लौटेंगे. दरअसल, इस बार कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जो अभी विश्व रैंकिंग में टॉप-5 में है. आपने देखा होगा कि पैरालंपिक में कई खिलाड़ी व्हीलचेयर पर तो कई किसी आंखों पर पट्टी बांधकर खेलते हुए नजर आते हैं.

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लेकिन, पैरालंपिक गेम्स को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, जिनके जवाब लोग जानना चाहते हैं. जैसे- पैरालंपिक गेम्स में क्या कोई भी दिव्यांग खिलाड़ी किसी भी गेम्स में हिस्सा ले सकता है? खिलाड़ियों के नाम के आगे एफ-46, एफ-64 आदि क्यों लिखे होते हैं? क्या पैरालंपिक के नियम ओलंपिक गेम्स से अलग होते हैं? तो जानते हैं इन सवालों के जवाब...

किसे माना जाता है दिव्यांग?

सबसे पहले आपको बताते हैं कि कौनसे खिलाड़ी पैरालंपिक में हिस्सा ले सकते हैं? दरअसल, पैरालंपिक में दिव्यांग खिलाड़ी ही हिस्सा लेते हैं. बता दें कि पैरालंपिक गेम्स के नियमों के अनुसार, 10 तरह की दुर्बलताओं को दिव्ंयाग कैटेगरी में शामिल किया गया है, जिसमें मांसपेशियों की दुर्बलता, किसी अंग का ना होगा, दोनों पैरों की लंबाई में फर्क होना, मांसपेशियों में जकड़न होना, शरीर के नियंत्रण में कमी, देखने में दिक्कत आदि शामिल हैं. अगर किसी खिलाड़ी में इन शर्तों में से कोई एक दुर्बलता होती है तो उसे पैरालंपिक में शामिल किया जा सकता है. 

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नाम के आगे इन नंबर का क्या है मतलब?

आपने देखा होगा कि हर खिलाड़ी के नाम के आगे एक कोड लिखा होता है, जैसे संदीप चौधरी (एफ़-64,जेवलिन थ्रो). इसका मतलब है कि पैरालंपिक गेम्स में कई कैटेगरी होती है और जो खिलाड़ी जिस कैटेगरी में आता है, उसका नंबर लिखा होता है. जैसे अगर किसी गेम में अलग अलग तरह के दिव्यांग हैं तो उनके कंपीटिशन को बराबर रखने के लिए एक गेम में भी दिव्यांगता के आधार पर कैटेगरी रखी जाती है. जैसे जेवलिन थ्रो में कुछ लोग व्हील चेयर का इस्तेमाल करते हैं, जबकि कुछ लोग नॉर्मल तरीके से फेंकते हैं. ऐसे में इनकी कैटेगरी अलग-अलग है. 

इनमें जो गेम खड़े होकर खेले जाते हैं, उनकी कैटेगरी S से शुरू होती है और उनकी दिव्यांगता के आधार पर उन्हें कैटेगरी में रखा जाता है. जितने ज्यादा नंबर होते हैं, उतने ही ज्यादा वो दिव्यांग होते हैं. ये नंबर ही उनकी दिव्यांगता के बारे में बताते हैं. जैसे अगर एस के आगे एल लिखा है, तो मतलब शरीर के निचले हिस्से (लोअर लिंब) में दिक्कत है और यू है तो ऊपरी हिस्से में दिक्कत है. 

कोई भी दिव्यांग कोई भी गेम खेल सकता है?

जी नहीं. हर एक गेम के लिए कुछ दिव्यांग कैटेगरी को तय किया गया है और वो कैटेगरी ही उस गेम में हिस्सा ले सकते हैं. जैसे कुछ गेम में व्हीलचेयर अलाउ नहीं है, ऐसे में व्हीलचेयर पर निर्भर खिलाड़ी इसमें हिस्सा नहीं ले सकते. हर एक गेम में एंट्री के लिए कुछ कैटेगरी को परमिशन है, जिसके दिव्यांग लोग ही उसमें हिस्सा ले सकते हैं.

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कुछ गेम ऐसे हैं, जिनमें सभी 10 तरह के दिव्यांग को हिस्सा लेने की परमिशन है. खिलाड़ी के एक बार एलिजिबल होने के बाद वो गेम में हिस्सा ले सकता है, लेकिन पैरालंपिक गेम्स में एंट्री हर देश के आधार पर होती है. बता दें कि गेम के बेसिक नियमों में कई बदलाव नहीं होता. पैरालंपिक एथलीट के लिए अलग कई नियम हैं, जैसे स्विमिंग में एथलीट किसी भी एसेसरीज का इस्तेमाल नहीं कर सकता. 

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