कैसे होती है सेंटिनल द्वीप पर जनगणना, जहां जाने वालों को वहां के लोग मार देते हैं!

उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर आजतक जिन लोगों ने भी जाने की कोशिश की, वो जिंदा नहीं बच पाए. अगर वहां जाकर कोई उनलोगों से संपर्क कर भी लेता है तो उनमें बीमारी फैल सकती है. क्योंकि उनमें सामान्य छोटी बीमारियों के प्रति भी इम्युनिटी नहीं होती है.

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उत्तरी सेंटिनल आईलैंड पर जनगणना में आने वाली चुनौतियां (Photo - Getty and AFP) उत्तरी सेंटिनल आईलैंड पर जनगणना में आने वाली चुनौतियां (Photo - Getty and AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

अंडमान-निकोबार के नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर दुनिया के सबसे अलग-थलग लोग रहते हैं. ये सेंटेनलीज आदिवासी हैं. इन आदिवासियों का आजतक आधुनिक दुनिया से संपर्क नहीं हो पाया है और न ही कोई इंसान इस द्वीप पर जा सकता है. ऐसे में जानते हैं भारत में होने वाली जनगणना के तहत क्या सेंटनलीज की भी गिनती होगी? क्या ऐसा पहले हुआ है और अगर वहां जनगणना होती है तो कैसी होगी?

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उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर आजतक जिन लोगों ने भी जाने की कोशिश की, वो जिंदा नहीं बच पाया. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि जनगणना करने के प्रयासों से गिनती करने जाने वाले किसी भी शख्स की वहां हत्या हो सकती है.  

उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर कैसे होगी जनगणना
उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर आजतक जिन लोगों ने भी जाने की कोशिश की, वो जिंदा नहीं बच पाया. वहीं भारत में एक दशक से भी अधिक समय के बाद राष्ट्रीय जनगणना होने जा रही है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि ऐसे में सेंटेनलीज की गिनती करने की कोशिश से या तो उनके विलुप्त होने का खतरा पैदा हो सकता है, या फिर वहां जाकर जनगणना करने की कोशिश करने वालों की हत्या हो सकती है. 

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बाहरी दुनिया से नहीं रहा कभी संपर्क
उत्तरी सेंटिनल द्वीप के सेंटेनली लोग बाहरी दुनिया से संपर्क रखने से बचते रहे हैं.अब अधिकारियों को इस दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि वे उन लोगों की गिनती कैसे करें? वहां बिना हिंसा भड़काए या आदिवासियों को उन बीमारियों के संपर्क में लाए बिना, जिनके प्रति उनमें कोई प्रतिरक्षा नहीं है, आखिर कैसे जनगणना संभव है?

द्वीप के पास जाने पर भी लोगों को मार देते हैं ये आदिवासी
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि विश्व की सबसे अलग आदिवासी समुदाय की जनसंख्या की गणना करने का प्रयास भी रक्तपात या मानवीय आपदा का कारण बन सकता है. क्योंक 2006 में, दो भारतीय मछुआरों को तब अपनी जान गंवानी पड़ी थी, जब उनकी नाव गलती से उस संरक्षित द्वीप के बहुत करीब आ गई. पास की एक मछली पकड़ने वाली नाव पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों की कुल्हाड़ियों से बेरहमी से हत्या कर दी गई.

तीर से हेलीकॉप्टर पर कर दिया था हमला
घटना का विवरण साझा करने वाले एक भारतीय पुलिस प्रमुख के अनुसार, हत्याओं के कुछ दिनों बाद, उनके शवों को कथित तौर पर 'एक प्रकार के बिजूका' की तरह बांस की छड़ियों पर लटका दिया गया था. वहीं 2004 में हिंद महासागर में आई विनाशकारी सुनामी के बाद, यह जनजाति वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में तब आई जब एक अकेले आदिवासी योद्धा ने कल्याण जांच कर रहे एक सैन्य हेलीकॉप्टर पर तीर चला दिया.

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सेंटिनल द्वीप पर रहने वाले सेंटेनलीज आदिवासी द्वीप के पास जाने पर भी लोगों को मार देते हैं.                                     Photo - AFP

पिछले जनगणना में सेंटेनलीज को रखा गया था अलग
अब, 2027 में होने वाली अगली जनगणना के साथ, भारत में गिनती करने वाले लोगों को सेंटेनलीज की गणना करने के कठिन और संभावित रूप से लाइफ थ्रेट वाले काम का सामना करना पड़ सकता है. पिछली बार जब 2014 में  जनगणना के दौरान सेंटेनली लोगों को इससे अलग रखने और उनके सब चीजों से अलग रहने 
के अधिकार को मान्यता देने का निर्णय लिया गया था. 

भारत ने निषिद्ध क्षेत्र कर रखा है घोषित
उन्हें संरक्षित रखने के लिए उनके अलगाव को सुरक्षित बनाने के मकसद से और  उन्हें बाहरी लोगों से होने वाली संभावित बीमारियों से बचाने के लिए भारत सरकार ने द्वीप के निकट जाने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है.द्वीप और इसके आसपास के जल क्षेत्र को नौसेना गश्ती दल द्वारा लागू किया जाने वाला निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. यहां  अनाधिकृत प्रवेश अवैध है तथा जनजाति के साथ संपर्क वर्जित है.

गिनती के लिए सेटेलाइट या ड्रोन से तस्वीर लेने पर विचार
अब, भारत दूर से जनसंख्या गणना करने के लिए ड्रोन या उपग्रह चित्रों के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है. लेकिन इससे भी नैतिक चिंताएं पैदा होती हैं. भारतीय मानव विज्ञान सोसायटी के संयुक्त निदेशक डॉ. एम. शशिकुमार ने कहा कि उनकी जनसंख्या का मानचित्रण करने के लिए कुछ प्रौद्योगिकी के उपयोग की बात चल रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इससे सटीक अनुमान मिल सकेगा या ऐसा अभ्यास करना नैतिक भी है या नहीं.

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सेंटेनलीज के अलावा इस आदिवासी समुदाय की गिनती भी मुश्किल
सर्वाइवल इंटरनेशनल के जोनाथन माज़ोवर ने कहा कि ऐसे लोगों के साथ कोई भी संपर्क, जिनमें सामान्य बाहरी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का अभाव है, उनके लिए घातक हो सकता है. सेंटिनलीज ही एकमात्र ऐसी जनजाति नहीं है जो निशाने पर है. ग्रेट निकोबार द्वीप पर, शोम्पेन लोग - एक अर्ध-खानाबदोश जनजाति, जिनकी संख्या लगभग 200 मानी जाती है. ये भी जनगणना के लिए एक पहेली बने हुए हैं.घने जंगलों में, आधुनिक जीवन की पहुंच से दूर, उन्हें भी सरकार के डेटा अभियान से खत्म होने का खतरा है. 

दूर से ही द्वीप की ताक-झांक कर की गई थी अनुमानित गिनती
2011 में, अधिकारी शोम्पेन की केवल आंशिक गणना ही कर पाए थे तथा सेंटिनलीज़ की गणना कभी नहीं की जा सकी. अधिकारी उनकी संख्या का अनुमान लगाने के लिए समुद्र में सुरक्षित दूरी से ली गई झलकियों पर निर्भर थे. उस समय, उन्होंने अनुमान लगाया था कि वहां केवल 15 लोग थे - 12 पुरुष और तीन महिलाएं.

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