National Youth Day: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ही क्यों मनाया जाता है युवा दिवस? जानें वजह

National Youth Day: स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था. वे वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक मध्य परिवार में हुआ था. उनकी जयंती को देशभर में युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

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स्वामी विवेकानंद जयंती, युवा दिवस (फोटो सोर्स: freepik.com) स्वामी विवेकानंद जयंती, युवा दिवस (फोटो सोर्स: freepik.com)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

National Youth Day 2024: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर देश के युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय युवा दिवस (Yuva Diwas)  मनाया जाता है. भारत के महापुरुषों में से एक स्वामी विवेकानंद की आज (12 जनवरी) 161वीं जयंती है. उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक मध्य परिवार में हुआ था. वे औपनिवेशक भारत में हिंदुत्‍व के पुन: उद्धार और राष्‍ट्रीयता की भावना जागृत करने के लिए जाने जाते थे. 

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विवेकानंद की जयंती पर क्यों मनाया जाता है युवा दिवस?
भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का पूरा जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है, उन्होंने न सिर्फ अपने भाषणों से बल्क‍ि अपने पूरे जीवन काल में जैसे उद्धरण प्रस्तुत किए वो दुनिया को स‍िखाने वाले हैं. उनके काम और विचार युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं. युवाओं की विचारधारा और जीवन को सही दिशा देने के उद्देश्य 1985 में भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी. इस खास अवसर पर स्कूल-कॉलेजों में भाषण और प्रतियोगिताएं जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. ताकि युवाओं को अपनी प्रतिभा और विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखने का मौका मिल सके.

युवा दिवस की थीम
हर साल की तरह इस साल भी युवा दिवस युवा दिवस को एक विशेष थीम पर मनाया जा रहा है. इस साल की थीम है, 'इंट्स ऑल इन द माइंड' यानी जो भी है सबकुछ आपके दिमाग में है. अगर आप जीवन में सफल होने के लिए दिमाग में कोई टारगेट बना लेते हैं और उसे पाने की हर संभव कोशिश करते हैं तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता.

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बता दें कि स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था. वे वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. 25 साल की उम्र में विवेकानंद ने सांसारिक मोह माया त्याग दी थी और संन्यासी बन गए. 1881 में विवेकानंद की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई. जिसके बाद वे पूरे विश्‍व में दार्शनिक और विचारक के तौर पर लोगों को प्रेरित करने लगे. विवेकानंद को धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य का ज्ञान था. शिक्षा में निपुण होने के साथ-साथ वे भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी ज्ञान रखते थे.

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