शांत माना जाने वाला लद्दाख सुलग क्यों रहा है? पूर्ण राज्य समेत ये हैं प्रदर्शनकारियों की 4 डिमांड्स

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही लद्दाख सुलग रहा है. वहां के लोग अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर सड़कों पर हैं. अब ये आंदोलन उग्र हो चुका है. वहां के हालात के मद्देनजर जानते हैं - लद्दाख के लोगों के आक्रोश की वजह और उनकी मुख्य मांगें क्या-क्या हैं?

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लद्दाख में अलग राज्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन उग्र हो चुका है (Photo -PTI) लद्दाख में अलग राज्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन उग्र हो चुका है (Photo -PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटा दिया गया. इसके बाद इसे दो केंद्रशासित हिस्सों में बांट दिया गया. एक हिस्सा जम्मू-कश्मीर, जहां विधानसभा है और दूसरा हिस्सा लद्दाख, जिसमें लेह और कारगिल शामिल हैं. कुछ साल पहले लद्दाख में एक आंदोलन शुरू हुआ. वहां के लोग पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी राज्य का दर्जा देने की मांग करने सड़क पर उतर आए. 

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लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसकी अगुवाई  इनोवटर और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक कर रहे हैं. सोनम ने पहले भी लद्दाख में अलग राज्य की मांग को लेकर आयोजित रैलियों में कहा है कि इस हिमालयी क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों पर उद्योगपतियों की नजर है. केंद्रशासित प्रदेश रहने की वजह से इसका दोहन होगा. इसे रोकने का एक ही उपाय है कि इसे आदिवासी राज्य का दर्जा दिया जाए. 

ये हैं वो चारों मांगें
लद्दाख में हो रहे विरोध प्रदर्शन के केंद्र में चार मांगें हैं. इनमें पूर्ण राज्य का दर्जा, आदिवासी राज्य का दर्जा, यहां के लोकल को सरकारी नौकरी में आरक्षण मिले और लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीट हो. वहां के लोग चाहते है कि उन्हें  ज्यादा अवसर मिले. यही वजह है कि सरकारी नौकरी में रिजर्वेशन और वहां के स्थानीय लोगों को आदिवासी का दर्जा दिया जाए.  

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क्यों चाहिए अलग राज्य 
सोनम वांगचुक सहित वहां के लोगों की मांग है कि न सिर्फ अलग राज्य बल्कि संविधान की छटी अनुसूची के तहत इसे आदिवासी राज्य का दर्जा दिया जाए. क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यहां के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं हो पाएगा. 

कभी जम्मू-कश्मीर से अलग केंद्रशासित प्रदेश चाहते थे वहां के लोग  
एक समय था जब 2002-2003 में लेह जिला के लोग केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग शुरू की थी. क्योंकि वहां के लोग जम्मू-कश्मीर सरकार से खुद को उपेक्षित महसूस करते थे. 2019 में जब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया तो वहां के लोगों ने  अलग राज्य की मांग शुरू कर दी. 

पहले भी हो चुकी है केंद्र से बातचीत
वहां के लोगों की मांगों के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक 17 सदस्यीय सेंट्रल  कमेटी भी गठित की थी. इस कमेटी की 2023 में लद्दाख के कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी हुई, लेकिन कुछ निष्कर्ष नहीं निकाला था. 

इसके बाद से सोनम वांगचुक लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले साल उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी धरना देने की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्हें परमिशन नहीं मिली थी. इधर, पिछले 15 दिनों से अलग राज्य की मांग को लेकर सोनम भूख हड़ताल पर बैठे थे. 

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अब उग्र हो चुका है आंदोलन
सोनम वांगचुक के समर्थन में बड़ी संख्या में छात्र और युवा सड़क पर उतर आए. उन्होंने बीजेपी के दफ्तर को आग के हवाले कर दिया. सीआरपीएफ की गाड़ियां जला दी. वहां विरोध प्रदर्शन काफी उग्र हो गया है. आज सड़कों पर पुलिस और पब्लिक के बीच भी कई जगह झड़प हुए. सड़कों पर आगजनी कर आक्रोश दिखाते लोग नजर आएं. 

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