अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध में अमेरिका ने आसमान से वहां अनगिनत हथियार गिराए. इनमें विनाशकारी बम से लेकर मिसाइल तक शामिल हैं. इन सबके बीच अफगानिस्तान की धरती पर अमेरिका ने चुपके से अरबों छोटे-छोटे बीज भी गिराए. ये अफीम के एक तरह के संसोधित बीज थे. इन बीजों ने दशकों तक रणनीतिक तरीके से अफगानिस्तान की एक मुख्य फसल को बर्बाद कर दिया.
द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक से भी ज़्यादा समय से सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) अफगानिस्तान में अफीम की फसल को गुप्त रूप से प्रभावित करने के लिए एक बेहद सीक्रेट मिशन चला रही थी.
नए तरह के बीज से खत्म कर दी अफीम की खेती
इस मिशन के तहत अफगानिस्तान के खेतों में विशेष रूप से संशोधित बीज बोए गए थे. इनसे ऐसे पौधे उगे जिनमें हेरोइन बनाने वाले रसायनों का लगभग कोई अंश नहीं था. इस सीक्रेट मिशन का पहले खुलासा नहीं किया गया था.
यह मिशन, अफगानिस्तान में 2001-2021 के अमेरिकी युद्ध और लैटिन अमेरिका से लेकर एशिया तक, दुनिया भर में नशीले पदार्थों से निपटने के अमेरिकी प्रयासों के लंबे, विवादास्पद इतिहास का एक अप्रकाशित अध्याय है.
दो दशक पहले शुरू हुआ था सीक्रेट मिशन
इस गुप्त अभियान के पहलुओं से परिचित 14 लोगों ने इसकी पुष्टि की. सभी ने नाम न छापने की शर्त पर एक गोपनीय परियोजना के बारे में बताया. इस कार्यक्रम का खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब नशीले पदार्थों के खिलाफ युद्ध एक बार फिर सुरक्षा एजेंडे पर हावी हो रहा है.अतीत में ऐसे ही ड्रग युद्धों में भाग लेने वाले पूर्व अधिकारियों के अनुसार, दो दशक पहले अफगानिस्तान में अफीम के खिलाफ अमेरिका ने सीक्रेट लड़ाई शुरू की थी.
अमेरिका के मिशन को कमजोर कर रही थी 'अफीम की खेती'
2000 के दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान में बढ़ता अफीम व्यापार अमेरिकी टारगेट को विफल कर रहा था. क्योंकि अमेरिकी सैनिक तालिबान को हराने, आतंकवादी समूहों का सफाया करने और कमजोर पश्चिमी समर्थित सरकार को स्थिर करने के लिए संघर्ष कर रहे थे.
अफीम से आता था तालिबान के हथियार का पैसा
वहीं अफगानिस्तान के हेरोइन, राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार और अन्य प्रांतों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे थे. अफगानिस्तान में उपजने वाले अफीम और इससे बनने वाले हेरोइन ने तालिबान के हथियारों और उपकरणों के लिए भुगतान में मदद कर रहा था. दुनिया भर में हेरोइन की आपूर्ति का बड़ा हिस्सा अफगानिस्तान के अफीम से निकलता था. यहां बने ज़्यादातर ड्रग्स यूरोप या पूर्व सोवियत संघ भेजे जाते थे.
अफीम की खेती को खत्म करने पर हुई थी काफी बहस
अमेरिकी सरकारी एजेंसियों के बीच इस बात पर तीखी बहस हुई कि कौन सी रणनीतियां करजई के लिए ग्रामीण अफगान समर्थन को कम किए बिना अफीम फसल को नुकसान पहुंचाएंगी. राजनयिकों और ड्रग प्रवर्तन अधिकारियों ने हवाई शाकनाशी छिड़काव से लेकर पूरी अफगान फसल खरीदकर उसे दवा बनाने के लिए विदेश भेजने तक, हर चीज़ पर बहस की.
11 साल तक चला था गुप्त मिशन
इसी समय सीआईए अपना गुप्त हेरोइन उन्मूलन कार्यक्रम चला रही थी. कार्यक्रम से परिचित तीन लोगों ने बताया कि संशोधित अफीम के बीजों को हवाई मार्ग से गिराने की शुरुआत 2004 की सरदी में हुई थी. इस अभियान से परिचित लोगों ने बताया कि लगभग 2015 में इस मिशन को समाप्त कर दिया गया.
प्लेन से गिराए जाते थे जीन एडिटेड अफीम के बीज
कार्यक्रम से जुड़े लोगों ने बताया कि इस सीक्रेट मिशन को चलाने वाले संचालकों ने, शुरुआत में ब्रिटिश सी-130 विमानों का इस्तेमाल करते हुए, अफगानिस्तान के विशाल अफीम के खेतों में अरबों विशेष रूप से विकसित अफीम के बीजों को बिखेर दिया. ब्रिटिश प्लेन रात में उड़ान भरते थे, ताकि लोगों को इसका पता न चल सके. मिशन से जुड़े लोगों ने बताया कि अफीम की खेती के केंद्र, अफगानिस्तान के नंगहार और हेलमंद प्रांतों में थे. यहीं हवाई जहाज से विशेष बीज गिराए गए.
इस विशेष बीज में क्या था ऐसा खास
इन बीजों को जीन एडिटिंग तकनीक से आनुवंशिक रूप से विकसित किया गया था. यह एक ऐसी तकनीक थी जो हाल ही में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं थी - बल्कि इन्हें समय के साथ उगाया और चुना गया, ताकि एक ऐसा पौधा तैयार किया जा सके जिसमें हेरोइन बनाने में इस्तेमाल होने वाले एल्कलॉइड रसायनों की मात्रा कम हो.
इन बीजों का विकास कब और कैसे हुआ, इसका विवरण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक व्यक्ति ने बताया कि इसकी खेती में कई साल लगे और इसमें प्राकृतिक अफीम के बीजों के साथ इनकी क्रॉस ब्रिडिंग कराई गई.
कैसे प्राकृतिक अफीम को बर्बाद किया गया
इस बीज को बोने के बाद, लक्ष्य यह था कि इनसे उगने वाले पौधे स्थानीय पौधों के साथ ब्रिडिंग करें और समय के साथ प्रमुख प्रजाति बन जाएं. इससे प्राकृतिक अफीम की फसल की क्षमता कम हो जाए और प्राकृतिक रूप से अफीम की ऐसी फसल पनपना शुरू हो जाए, जिससे हेरोइन ही न बन पाए.
इस कार्यक्रम के कई पहलू अभी भी गोपनीय हैं. इनमें इसका बजट, कितनी उड़ानें भरी गईं और इसकी प्रभावशीलता के बारे में ठोस आंकड़े शामिल हैं. यह कार्यक्रम इतना गोपनीय था कि राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा के कार्यकाल में अफगान नीति से जुड़े पेंटागन और विदेश विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी या उन्होंने केवल अफवाहें सुनी थीं.
बुश और ओबामा के टॉप ऑफिशियल को भी नहीं था पता
दो पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि सीआईए को उड़ानों और अभियान के अन्य पहलुओं को अंजाम देने के लिए बुश से एक सीक्रेट लिखित अनुमति, जिसे "खोज" के रूप में जाना जाता है, की आवश्यकता थी, जो जासूसी एजेंसी की गुप्त कार्रवाई शक्तियों के अंतर्गत आती थी. इस 'खोज' ने इस कार्यक्रम को वैध बना दिया, कम से कम अमेरिकी सरकार के संदर्भ में तो.
सीआईए के एक प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. जब एजेंसी को उन विशिष्ट जानकारियों की एक सूची दी गई, जिनकी रिपोर्ट द पोस्ट द्वारा की जानी थी. बुश और ओबामा प्रशासन के पूर्व प्रवक्ताओं ने भी इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
अफगान सरकार को भी नहीं थी मिशन की जानकारी
परिचित लोगों ने बताया कि करजई के नेतृत्व वाली अफग़ान सरकार को इस कार्यक्रम की शुरुआत के बारे में सूचित नहीं किया गया था. यह स्पष्ट नहीं है कि अफगानों को बाद में पता चला या नहीं. करजई ने एक सहयोगी के माध्यम से किए गए टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.
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