Budget 2023: आसान शब्दों में समझें क्या है बजट? छात्रों को पता होनी चाहिए ये बातें

Budget 2023: अनुमान के आधार पर बजट को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है- संतुलित बजट, अधिशेष बजट और घाटे का बजट. छात्रों को बजट और उससे संबंधित जरूरी जानकारी का पता होना चाहिए.

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भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी 2023 को बजट पेश करेंगी. भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी 2023 को बजट पेश करेंगी.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:31 AM IST

सरकारी बजट, एक वार्षिक वित्तीय दस्तावेज होता है, जिसमें प्रत्येक मंत्रालय को आगामी वर्ष के लिए अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक निश्चित राशि दी जाती है. अनुमानों के आधार पर बजट को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है- संतुलित बजट, अधिशेष बजट और घाटे का बजट. छात्रों को बजट और उससे संबंधित जरूरी जानकारी का पता होना चाहिए. आइए जानते हैं बजट से जुड़ी जरूरी बातें.

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बजट कब पेश किया जाता है?
केंद्रीय बजट सरकार का वित्तीय विवरण होता है, जो सरकार की बैलेंस शीट को भी दर्शाता है. यह लोगों को देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान और आगामी वर्ष की अनुमानित स्थिति के बारे में बताता है. भारत सरकार 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट एक फरवरी 2023 को पेश करेंगी. आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) इससे एक दिन पहले 31 जनवरी को जारी किया जाता है.

बजट की अवधि
सरकार द्वारा हर साल अगले वर्ष होने वाले खर्च अनुमानित प्राप्तियों का ब्योरा पेश किया जाता है. साधारण शब्दों में यह अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना का ब्योरा होता है. वित्त वर्ष की अवधि मौजूदा वर्ष के 1 अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक होती है. सरकार की ओर से पेश वित्तीय ब्योरे में किसी खास वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और खर्चों को दिखाया जाता है.

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संतुलित बजट (Balanced Budget)
संतुलित बजट के मामले में, अनुमानित व्यय किसी विशेष वित्तीय वर्ष में अपेक्षित आय या राजस्व के बराबर होना चाहिए. एक संतुलित बजट आर्थिक मंदी या अपस्फीति के समय वित्तीय स्थिरता की गारंटी नहीं देता है क्योंकि इसकी कोई जगह नहीं होती है. इस प्रकार के बजट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह फिजूलखर्ची पर रोक लगाता है. हालांकि, इस तरह के बजट की सबसे बड़ी कमियों में से एक यह है कि यह आर्थिक विकास की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है और एक ही समय में सरकार की कल्याणकारी गतिविधियों के दायरे को सीमित कर सकता है.

अधिशेष बजट (Surplus Budget)
जब वर्ष के लिए प्रत्याशित राजस्व प्रत्याशित व्यय से अधिक हो जाता है उस बजट को अधिशेष बजट कहा जाता है. अधिशेष बजट सरकार की वित्तीय स्थिरता को प्रदर्शित करता है. सरकार अत्यधिक मुद्रास्फीति के समय में एक अधिशेष बजट योजना अपना सकती है, जो कुल मांग को कम करती है. अधिशेष बजट किसी देश की वित्तीय संपन्नता को दर्शाता है, अतिरिक्त धन का इस्तेमाल देय राशि का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है, जो देय ब्याज को कम करता है और लंबे समय में अर्थव्यवस्था के लिए सहायक होता है. हालांकि, आर्थिक मंदी के मामलों में सरकार के लिए अधिशेष बजट उपयुक्त विकल्प नहीं माना जाता है.

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घाटा बजट (Deficit Budget)
एक बजट को घाटे में कहा जाता है, जब किसी विशेष वित्तीय वर्ष में अनुमानित राजस्व की तुलना में अनुमानित व्यय अधिक होता है. इस तरह के बजट का मतलब यह है कि सरकार का राजस्व उसके खर्च से कम है. कई एक्सपर्ट्स की मानें तो घाटे का बजट भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए उपयुक्त है और मंदी के समय, विशेष रूप से इस प्रकार का बजट अतिरिक्त मांग उत्पन्न करने और आर्थिक विकास की दर को बढ़ाने में मदद करता है.

मोदी सरकार का 10वां बजट
मोदी सरकार साल 2014 से अब तक कुल 9 बजट पेश कर चुकी है और इस साल 10वां बजट पेश करने जा रही है. पहले कार्यकाल में पांच बार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था. वहीं 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया और फिर जुलाई 2019 में फुल आम बजट आया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2023 को संसद में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश करेंगी.

 

 

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