'रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था,' यह पंक्ति सदियों पुरानी एक ऐसी घटना से जुड़ी है, जिसका इस्तेमाल आज भी उन संदर्भों में किया जाता है. जब किसी बड़ी त्रासदी के बाद भी जिम्मेदारों के कान पर जूं नहीं रेंगती. इस पंक्ति में जिस नीरो का जिक्र किया गया है. वो रोम के महान सम्राट थे. उससे जुड़ी कई कहानियां प्रचलित है. उनमें से ही एक है-उनके समलैंगिक विवाह की कहानी.
प्राचीन रोम में महिलाओं के साथ आम तौर पर होने वाला घिनौना व्यवहार या फिर रोमन दासों द्वारा सहे जाने वाले अत्याचार की कई कहानियां प्रचलित है. इनमें से ही एक है स्पोरस का किस्सा, जो रोमन सम्राट नीरो से जुड़ा हुआ है.
एक ऐसे लड़का जिसका चेहरा उसका दुर्भाग्य बन गया
बीबीसी के हिस्ट्री एक्स्ट्रा के मुताबिक, स्पोरस एक ऐसा लड़का था जिसने नीरो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. सम्राट ने उसे जबरन नपुंसक बना दिया और फिर उससे विवाह करके अपनी महारानी बना लिया, संभवतः अपनी पूर्व पत्नी की जगह लेने के लिए, क्योंकि स्पोरस का चेहरा उसकी पत्नी से काफी हद तक मिलता था.
स्पोरस ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके बारे में हम कभी सीधे सुन सकें. हम स्पोरस के बारे में केवल रोमन इतिहासकारों के लेखन के माध्यम से ही जानते हैं, जिनके पास नीरो को यथासंभव नकारात्मक और भ्रष्ट रूप में चित्रित करने का कारण था.
इतिहास में खो गई स्पोरस की आवाज
इतिहास में स्पोरस की अपनी आवाज पूरी तरह से खो गई. यह पता नहीं चलता कि उसके साथ जो हुआ उसके बारे में वह कैसा महसूस करता था या क्या वह खुद को आधुनिक अर्थों में समलैंगिक मानता था.उनका जीवन छोटा और दुखद था.
ये है स्पोरस की कहानी
स्पोरस असाधारण सुंदरता वाला एक युवा बालक था. हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि उस बालक का नाम स्पोरस बिल्कुल भी नहीं रहा होगा. यूनानी शब्द स्पोरोस का अर्थ 'बीज' होता है. इसलिए संभवतः यह एक अपमानजनक विशेषण था जो उस बालक को उसके साथ दुर्व्यवहार शुरू होने के बाद दिया गया था.
ऐसा कहा जाता है कि स्पोरस का चेहरा, नीरो की दूसरी पत्नी, पोपिया सबरीना से काफी मिलता-जुलता था. जिनकी मृत्यु 65 ईस्वी में हुई थी. सुएटोनियस के अनुसार, उसने अपने पति से कुछ शिकायत की थी. इसके बाद गुस्से में आकर नीरो ने उसे लात मारकर मार डाला था. इस वजह से उसकी पत्नी और उसके अजन्मे बच्चे, दोनों की मृत्यु हो गई थी.
स्पोरस को देखते ही मोहित हो गया था नीरो
कहा जाता है कि स्पोरस को देखते ही नीरो उस पर मोहित हो गया था. 67 ई. में, सम्राट ने लड़के का बधियाकरण करने का आदेश दिया और उसे नपुंसक बना दिया. रोमन काल में बधियाकरण के कई तरीके थे.
नीरो की 'पत्नी' के रूप में स्पोरस का जीवन कैसा था?
जब नीरो ने स्पोरस से शादी की उस समय तक, नीरो की एक नई पत्नी पहले से ही मौजूद थी. उसकी तीसरी पत्नी, स्टैटिलिया मेसालिना नाम की एक कुलीन महिला थी. साथ ही नीरो का एक 'पति' भी था. उसका नाम पाइथागोरस था. वह एक आज़ाद गुलाम था. उसके साथ नीरो 'दुल्हन' की भूमिका निभाता था.
स्पोरस के साथ, ऐसा लगता है कि वह फिर से भूमिकाएं बदलना चाहता था. सुएटोनियस ने लिखा है कि स्पोरस ने महिलाओं के कपड़े पहनता था और एक महारानी के अनुरूप आभूषणों से सुसज्जित रहता था. उसकी शादी में भी उससे एक दुल्हन की तरह सारी रस्में निभाई गई.
नीरो खुद भी किसी की पत्नी बनता था
डियो कैसियस ने इस बात की पुष्टि करते हुए लिखा है कि नीरो पहले से ही एक स्वतंत्र व्यक्ति पाइथागोरस से 'विवाहित' थे. फिर भी उन्होंने औपचारिक रूप से स्पोरस से 'विवाह' किया और रोमनों के साथ-साथ अन्य लोगों ने भी सार्वजनिक रूप से उनकी शादी का जश्न मनाया.
हालांकि, यह कहना असंभव है कि स्पोरस ने इस सब के बारे में क्या सोचता था. सुएटोनियस ने 'विवाह' से जुड़ा एक दिलचस्प सुराग दिया है. स्पोरस ने नीरो को एक उपहार दिया था. वह एक अंगूठी थी, जिस पर एक पत्थर पर प्रोसेरपीना के साथ दुष्कर्म की घटना का दृश्य खुदा हुआ था.
रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी प्रोसेरपीना का अपहरण पाताल लोक के देवता ने कर लिया था. उन्होंने प्रोसेरपीना को हर साल छह महीने अपने साथ रहने के लिए मजबूर किया था. उस दृश्य को दर्शाने वाली अंगूठी किसी रोमांटिक उपहार के लिए बिलकुल उपयुक्त नहीं थी. इसलिए यह उपहार शायद यह स्पोरस की वास्तविक भावनाओं को व्यक्त करती थी.
नीरो के बाद स्पोरस का क्या हुआ?
ज़्यादा समय नहीं बीता कि स्पोरस का जीवन फिर से उजड़ गया. 68 ई. में, नीरो को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और रोम से भागकर उसने आत्महत्या कर ली. इसके बाद मची अफरा-तफरी के बीच, स्पोरस को निम्फिडियस सबिनस नामक एक प्रेटोरियन प्रीफेक्ट ने ले लिया. जिसने उसे पत्नी की तरह माना और उसे 'पोप्पेया' कहकर पुकारा.
निम्फिडियस की अपने ही सैनिकों द्वारा तब हत्या कर दी गई. जब वह सम्राट बनने की कोशिश कर रहा था. तब स्पोरस को ओथो को दे दिया गया, जो बाद में रोम के सम्राट बने. ओथे और स्पोरस के साथ विचित्र संयोग ये था कि नीरो से पहले पोपिया सबरीना का विवाह ओथे से हुआ था. यह वही पोपिया सबरीना थी, जिसका चेहरा स्पोरस से मिलता था.
सार्वजनिक शर्म से बचने के लिए कर ली आत्महत्या
ओथो के बाद विटेलियस आया, जिसने आठ महीने तक शासन किया और स्पोरस पर और भी मुसीबतें ढा दीं. उसने स्पोरस को ग्लैडीएटर के अखाड़े में सार्वजनिक मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया और प्रोसेरपीना के दुष्कर्म का पुनः मंचन करने की योजना बनाई. इस घृणित आयोजन से बचने के लिए, स्पोरस ने 69 ई. में आत्महत्या कर ली.
स्पोरस और नीरो के वृत्तांत दर्शाते हैं कि रोम में समलैंगिक पुरुषों के प्रति व्यापक सहिष्णुता मुख्यतः सामाजिक वर्ग पर निर्भर थी. स्पोरस का जीवन हमें प्राचीन रोम में समलैंगिकता और लिंग विभेद के बारे काफी जानकारी देता है.
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