काका हाथरसी: 'ऊपर से हैं इंडियन, भीतर से अंगरेज'

जानें- मशहूर कवि प्रभुनाथ गर्ग के जीवन से जुड़ी कुछ बातें, जो काका हाथरसी के नाम से मशहूर हुए.

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काका हाथरसी काका हाथरसी

मोहित पारीक

  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

आज हाथरस में जन्में काका हाथरसी (प्रभुनाथ गर्ग) का जन्मदिवस और पुण्यतिथि है. 18 सितंबर को जन्में हाथरसी का देहांत भी 18 सितंबर को ही हुआ था. हिंदी व्यंग्य के मूर्धण्य कवि हाथरसी की शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेकों लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं.

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उनके व्यंग्य का मूल उद्देश्य मनोरंजन ही नहीं, बल्कि समाजिक दोष, कुरीतियां, भ्रष्टाचार और राजनीतिक कुशासन की ओर ध्यान आकर्षित करना है. 1946 में काका की कचहरी' उनकी पहली पुस्तक प्रकाशित हुई. इसमें काका की रचनाओं के अतिरिक्त कई अन्य हास्य कवियों की रचनाओं को भी संकलित किया गया था.

हास्य की टेक्स्ट बुक है 'बेस्ट ऑफ काका हाथरसी'

पढ़ें काका हाथरसी की हास्य रचनाएं

1. अंग्रेजी से प्यार है, हिंदी से परहेज,

  ऊपर से हैं इंडियन, भीतर से अंगरेज

2. अंतरपट में खोजिए, छिपा हुआ है खोट,

  मिल जाएगी आपको, बिल्कुल सत्य रिपोट

3. अंदर काला हृदय है, ऊपर गोरा मुक्ख,

  ऐसे लोगों को मिले, परनिंदा में सुक्ख

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