गुरु तेग बहादुर: कश्मीरी पंडितों का समर्थन और धर्मांतरण का किया था विरोध, औरंगजेब की क्रूरता के आगे नहीं टेके घुटने

Prakash Parv 2022: मुगल शासन के समय में जब हिंदुओं का उत्पीड़न किया गया और मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया, तब गुरु तेग बहादुर जी ने गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया.

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Guru Teg Bahadur Guru Teg Bahadur

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:16 AM IST
  • विचारों और शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं
  • धार्मिक स्वतंत्रता के लिए किया अथक संघर्ष

Guru Tegh Bahadur: सिख गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज लाल किले से संबोधित करेंगे. गुरु हरगोविंद सिंह जी के पांचवें पुत्र गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे.

उन्हें योद्धा गुरु के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अथक संघर्ष किया. वह मानवता, बहादुरी, गरिमा आदि को लेकर अपने विचारों और शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कश्मीरी पंडितों का समर्थन किया और धर्मांतरण का जमकर विरोध किया.  

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गुरु तेग बहादुर जी का जन्म के बाद नाम त्याग मल रख गया था. मुगल शासन के समय में जब हिंदुओं का उत्पीड़न किया गया और मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया, तब उस समय उन्होंने गैर-मुसलमानों के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण का विरोध किया.

1675 में औरंगजेब ने क्रूरता दिखाते हुए तेग बहादुर से इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि वे शीश कटा सकते हैं, लेकिन केश नहीं. इसके बाद उनका सिर कटवा दिया गया.  

धर्म के प्रचार-प्रचार के लिए किए दौरे

उन्होंने धर्म के सत्य ज्ञान के प्रचार-प्रचार के लिए कई जगह का दौरा किया. उन्होंने आनंदपुर से कीरतपुर, रोपड़, सैफाबाद आदि का भ्रमण किया. इसके अलावा, वे कुरुक्षेत्र गए, जहां से कड़ामानकपुर भी गए. वहीं, प्रयाग, पटना, वाराणसी आदि जगह का भी गुरु तेग बहादुर ने भ्रमण करते हुए सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया. साल 1666 में पटनासाहिब में उनके पुत्र का जन्म हुआ, जिनको बाद में गुरु गोबिंद सिंह के नाम से पहचाना गया.

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गुरु तेग बहादुर ने 115 शब्द भी लिखे, जिसे पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा बनाया गया. इसके अलावा, साल 1665 में उन्होंने आनंदपुर साहिब शहर बनाया और बसाया था. गुरु तेग बहादुर की शहादत लाल किले के नजदीक शीशगंज गुरुद्वारे में हुई थी. उन्होंने करतारपुर के लगातार तीन दौरे भी किए.

 

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