Dhirubhai Ambani: 500 लेकर आए थे मुंबई, ऐसे खड़ा किया करोड़ों का साम्राज्य

आज भारत के सबसे सफल कारोबारी धीरूभाई अंबानी का जन्मदिन है. जानिए कैसे उन्होंने खड़ा किया करोड़ों का साम्राज्य...

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:36 AM IST

रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले  धीरूभाई अंबानी का आज 86वां जन्मदिन है. उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था. आज उनके द्वारा खड़ा किया हुआ बिजनेस उनके दोनों पुत्र मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी संभाल रहे हैं.  बता दें, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की. उन्होंने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की है. जिसके बाद अपने दृढ-संकल्प के बूते वह  भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति बनकर उभरें.  आइए जानते हैं कैसे की उन्होंने अपने बिजनेस शुरुआत की.

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धीरूभाई अंबानी की सफलता की कहानी कुछ ऐसी है कि उनकी शुरुआती सैलरी 300 रुपये थी. लेकिन अपनी मेहनत के दम पर देखते ही देखते वह करोड़ों के मालिक बन गए. बिजनेस की दुनिया के बेताज बादशाह के पद चिन्हों पर चलकर ही आज मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी सफल बिजनेसमैन की कतार में खड़े हो गए हैं

500 रुपये लेकर आए मायानगरी

धीरूभाई अंबानी गुजरात के छोटे से गांव चोरवाड़ के रहने वाले थे. उनका जन्म 28 दिसंबर 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था. उनके पिता स्कूल में शिक्षक थे. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिसके बाद उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही छोटे-मोटे काम शुरू कर दिए. लेकिन इससे परिवार का काम नहीं चल पाता था

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जब उनकी उम्र 17 साल थी. पैसे कमाने के लिए वो साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए. जहां उन्हें एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह सैलरी की नौकरी मिल गई. कंपनी का नाम था 'ए. बेस्सी एंड कंपनी'. कंपनी ने धीरूभाई के काम को देखते हुए उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया गया.

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कुछ साल यहां नौकरी करने के बाद धीरूभाई साल 1954 में देश वापस चले आए. यमन में रहते हुए ही धीरूभाई ने बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था. इसलिए घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए.

बाजार की थी बखूबी पहचान

धीरूभाई अंबानी बाजार के बारे में बखूबी जानने लगे थे और उन्हें समझ में आ गया था कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की. जिसके बाद बिजनेस का आइडिया उन्हें यहीं से आया.

उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी.

बने देश के सबसे अमीर व्यक्ति

2000 के दौरान ही अंबानी देश के सबसे रईस व्‍यक्ति बनकर उभरें. 6 जुलाई 2002 को सिर की शिरा फट जाने के कारण उनका मुंबई के एक अस्पताल में देहांत हो गया था.

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1 मेज, 3 कुर्सी, 2 सहयोगी

अपने ऑफिस के लिए धीरूभाई ने 350 वर्ग फुट का कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलिफोन के साथ की थी. वह दुनिया के सबसे सफलतम लोगों में से एक धीरूभाई अंबानी की दिनचर्या तय भी होती थी. वह कभी भी 10 घंटे से ज्यादा काम नहीं करते थे.

बता दें, इंडिया टुडे मैगजीन ने एक अपने एक लेख में लिखा है कि धीरूभाई अंबानी हर रोज 10 घंटे काम करते थे. मैगजीन के मुताबिक धीरूभाई कहते थे, '' जो भी यह कहता है कि वह 12 से 16 घंटे काम करता है. वह या तो झूठा है या फिर काम करने में काफी धीमा.''

नहीं पसंद था पार्टी करना

धीरूभाई अंबानी को पार्टी करना बिल्कुल पसंद नहीं था. वह हर शाम अपने परिवार के साथ बिताते थे. उन्हें ज्यादा ट्रैवल करना भी पसंद नहीं था. विदेश यात्राओं का काम ज्यादातर वह अपनी कंपनी के अधिकारियों पर टाल देते थे. वह तब ही ट्रैवल करते, जब ऐसा करना उनके लिए अनिवार्य हो जाता.

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