इंटरव्यू क्लियर हो जाए इसके लोग लोग ना जाने कितनी प्रैक्टिस और सवालों के जवाब रटकर रखते हैं, लेकिन अगर आपको वाकई इंटरव्यू में सफलता पानी तो सब छोड़कर 7-38-55 नियम समझ लीजिए. देश भर के नौकरी चाहने वालों के बीच एक पोस्ट वायरल हो रही है. इस पोस्ट में उद्यमी और लेखक अंकुर वारिकू ने बताया कि लोग सही उत्तर देने के बाद भी इंटरव्यू में फेल क्यों जाते हैं.
अंकुर वारिकू ने बताया कि किसी भी साक्षात्कार में सफलता पाने के लिए अपना 7-38-55 नियम भी साझा किया. वारिकू के अनुसार, साक्षात्कारों में सफलता इस बात पर कम निर्भर करती है कि आप क्या कहते हैं, बल्कि इस बात पर ज़्यादा निर्भर करती है कि आप इसे कैसे कहते हैं और कहते समय आप कैसे दिखते हैं. उन्होंने प्रसिद्ध 7-38-55 नियम का हवाला दिया, जो संचार मनोविज्ञान की एक अवधारणा है जो बताती है कि कैसे शब्द, लहजा और शारीरिक भाषा मिलकर धारणा को आकार देते हैं.
7-38-55 नियम: इसका क्या अर्थ है
यह नियम सबसे पहले मनोवैज्ञानिक अल्बर्ट मेहराबियन द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिन्होंने पाया कि जब मौखिक और अशाब्दिक संकेत परस्पर विरोधी होते हैं. जैसे कि जब कोई "मैं ठीक हूं" कहता है, लेकिन दुखी दिखता है, तो लोग स्वर और शारीरिक भाषा पर ज़्यादा भरोसा करते हैं.
केवल 7% अर्थ शब्दों के माध्यम से व्यक्त होता है.
38% स्वर, स्पष्टता और मुखर आत्मविश्वास से आता है.
55% शारीरिक भाषा, मुद्रा, चेहरे के भाव और हावभाव पर निर्भर करता है.
वारिकू ने कहा कि ये आंकड़े स्थिति पर निर्भर करते हैं, लेकिन ये दिखाते हैं कि नौकरी का इंटरव्यू एक ऐसा वक्त होता है जब माहौल काफी भावनात्मक और दबाव भरा होता है। यानी अगर आपकी आवाज़ और बॉडी लैंग्वेज में आत्मविश्वास नहीं झलके, तो चाहे जवाब कितना भी अच्छा क्यों न हो — असर कम हो सकता है.
ज़्यादातर इंटरव्यू क्यों असफल होते हैं
वारिकू ने अपनी पोस्ट में लिखा, "आपके इंटरव्यू की सफलता का सिर्फ़ 7% हिस्सा इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या कहते हैं. बाकी 93% गैर-मौखिक संकेतों से प्रभावित होता है, 38% स्वर, आत्मविश्वास और भाषण की स्पष्टता से, और 55% शारीरिक हाव-भाव से."
उन्होंने आगे कहा कि कई उम्मीदवार सिर्फ़ जवाबों की रिहर्सल पर ध्यान केंद्रित करते हैं, यानी 'क्या' - लेकिन दो ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं: 'कैसे' और 'कौन'. आम गलतियों में आंखों का ठीक से संपर्क न होना, कमज़ोर मुद्रा, हाथों के ज़्यादा इशारे या नीरस भाषण शामिल हैं.
आंकड़े बताते हैं कि 67% फेलियर आंखों के ठीक से संपर्क न होने के कारण, 45% ज़्यादा हिलने-डुलने के कारण, 30% कमज़ोर हाथ मिलाने के कारण और 40% खराब मुद्रा के कारण होती हैं. ये छोटे से लगने वाले संकेत सामूहिक रूप से आत्मविश्वास और प्रामाणिकता को कमज़ोर करते हैं. वारिकू ने कहा, "लक्ष्य आत्मविश्वास से भरा दिखना नहीं है - यह अधूरा रह जाता है. बल्कि इसे महसूस करना है, ताकि आपका शरीर स्वाभाविक रूप से उसका अनुसरण करे."
इसके पीछे का कारण विज्ञान से जुड़ा है. शोध बताते हैं कि इंटरव्यू लेने वाले लोग उम्मीदवार से मिलने के कुछ ही सेकंड में उसकी छवि बना लेते हैं, और वही उनकी आगे की राय को प्रभावित करती है.
जर्नल ऑफ बिज़नेस एंड साइकोलॉजी में छपे एक अध्ययन में पाया गया कि जो उम्मीदवार इंटरव्यू के दौरान आंखों में देखकर बात करते हैं, सीधे बैठते हैं और शांत हावभाव रखते हैं, उन्हें ज़्यादा आत्मविश्वासी और मिलनसार माना जाता है भले ही उनके जवाब बाकी लोगों जैसे ही क्यों न हों.
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