भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के ताजे आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की श्रम भागीदारी दर (LFPR) लगातार बढ़ी है. पिछली तिमाही में यह दर 33.4% से 33.7% तक हो गई है. यह महिला श्रमिकों के हिस्से में धीरे-धीरे बढ़ रही उपस्थिति को दर्शाता है.
ग्रामीण भारत में, महिलाओं की LFPR 37.0% से बढ़कर 37.5% तक पहुंच गई है. यह उछाल मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के श्रम बाजार में बढ़े प्रभाव का परिणाम रहा. अगर कुल वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (WPR) देखें तो कामकाजी व्यक्तियों का अनुपात 52.0% से थोड़ा बढ़कर 52.2% पर पहुंच गया. इस बदलाव में ग्रामीण महिला श्रमिकों का बड़ा योगदान रहा. इससे रोजगार में बढ़ोतरी के साथ-साथ लिंगानुपात भी बदला है.
क्या है बेरोजगारी का हाल?
बेरोजगारी दर (UR) की बात करें, तो 15 साल या उससे ऊपर के एज वर्ग में यह 5.4% से कम होकर 5.2% हो गई. ग्रामीण इलाकों में यह दर घटकर 4.4% रही, जो पिछले तीन महीनों में 4.8% थी. शहरी क्षेत्रों में पुरुषों की बेरोजगारी मामूली बढ़ी, जो 6.1% से 6.2% बढ़ गई है. महिलाओं के लिए भी यही रुझान रहा और ये डेटा 8.9% से 9.0% तक हो गई है.
ग्रामीण रोजगार में कृषि ने अहम भूमिका निभाई. खरीफ के मौसम में कृषि कामों में श्रमिकों की भागीदारी 53.5% से 57.7% तक पहुंच गई. शहरी क्षेत्र में, सेवा, शिक्षा और व्यापार जैसे सेक्टर में 62.0% लोग शामिल रहे; पहले यह आंकड़ा 61.7% था.
स्वरोजगार में भी ग्रामीण इलाकों में बदलाव दिखा. 60.7% से बढ़कर यह आंकड़ा 62.8% पर आ गया. शहरी इलाकों में नियमित वेतनभोगी और सैलरी वाले रोजगार 49.4% से 49.8% तक पहुंचे. यह इशारा करता है कि शहरों में भी कार्य अवसरों में इजाफा हुआ है.
PLFS की रिपोर्ट बताती है—जुलाई से सितंबर 2025 में 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लगभग 56.2 करोड़ लोग रोजगार में हैं. इनमें 39.6 करोड़ पुरुष और 16.6 करोड़ महिलाएं हैं. 5.6 लाख से ज्यादा लोगों से जुटाए गए डेटा से श्रम बाजार की स्थिरता की पुष्टि होती है.
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