NDA और नेवल एकेडमी में महिलाओं को स्थायी कमीशन मिलने का रास्ता साफ, सरकार ने SC को बताया

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने केंद्र सरकार को एनडीए और नेवल अकादमी में महिला कैडेट्स के दाखिले की प्रक्रिया पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को दो हफ्तों की मोहलत दी है. इसके बाद ये पूूरी प्रक्र‍िया स्पष्ट हो जाएगी.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty) प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

संजय शर्मा / अनीषा माथुर

  • नई द‍िल्ली ,
  • 08 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST
  • कोर्ट ने महिला कैडेट्स के दाखिले की प्रक्रिया पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को दो हफ्तों की मोहलत दी
  • कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की
  • कोर्ट ने कहा कि सरकार और रक्षा प्रमुखों ने अपने तौर पर ही ये फैसला किया है. 

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानी एनडीए और नेवल अकादमी में महिला कैडेट्स के प्रवेश का रास्ता साफ करने को सरकार नीति व प्रक्रिया तय कर रही है. सरकार ने ये निर्णय तो कर लिया है कि महिला कैडेट्स को इन दोनों संस्थानों में दाखिला मिलेगा, लेकिन किस प्रक्रिया के तहत उसे अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. 

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मामले की सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने उत्साहित अंदाज में कोर्ट को बताया कि मेरे पास एक खुशखबरी है कि रक्षा  सेनाओं के प्रमुखों और सरकार ने आपसी बैठक में ये तय कर लिया है कि अब महिलाओं को एनडीए और नेवल अकादमी में प्रशिक्षण के बाद स्थाई कमीशन अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया जाएगा. बस जल्द ही प्रक्रिया को भी निर्णायक स्वरूप प्रदान कर दिया जाएगा. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने कहा कि ये बहुत अच्छा हुआ कि सरकार और रक्षा प्रमुखों ने अपने तौर पर ही ये फैसला किया है. 

बता दें कि कोर्ट ने केंद्र सरकार को एनडीए और नेवल अकादमी में महिला कैडेट्स के दाखिले की प्रक्रिया पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को दो हफ्तों की मोहलत दी है. साथ ही एएसजी ऐश्वर्या भाटी को इस बात की बधाई दी कि उन्होंने लैंगिक विभेद को दूर करने के मकसद से इस मामले में मोर्चा संभाले रखा. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की है. 

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बता दें कि बीते माह सेना में स्थायी कमीशन मिलने में हो रही देरी को लेकर महिला ऑफिसर्स ने सरकार को कानूनी नोटिस भेजा था. यह नोटिस रक्षा मंत्रालय को उन 72 महिलाओं ने भेजा था जिनको सेना में स्थाई कमीशन देने के लिए योग्य ठहराया गया था. महिला अफसरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए ऑर्डर में स्थायी कमीशन देने की बात हो चुकी है.

 

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