जिस एयर डिफेंस सिस्टम पर भरोसा कर PAK ऑपरेशन सिंदूर में पिटा, उसे अब चीन ने ईरान को दिया

HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम एक शक्तिशाली हथियार है, लेकिन पाकिस्तान में इसकी नाकामी ने इसके बारे में कई सवाल खड़े किए. अब चीन ने इसे ईरान को देकर अपनी तकनीक को फिर से साबित करने की कोशिश की है. यह देखना दिलचस्प होगा कि ईरान इसका इस्तेमाल कैसे करता है. क्या यह मिडिल ईस्ट में नया बदलाव ला पाता है.

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ऑपरेशन सिंदूर में नाकाम हुए एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9B को चीन ने ईरान को दिया है. (फाइल फोटोः विकिपीडिया) ऑपरेशन सिंदूर में नाकाम हुए एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9B को चीन ने ईरान को दिया है. (फाइल फोटोः विकिपीडिया)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

चीन ने अपने HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम को ईरान को दे दिया है. यह वही सिस्टम है, जो पाकिस्तान में कई बार नाकाम साबित हुआ. आइए, समझते हैं कि यह सिस्टम क्या है? यह पाकिस्तान में क्यों फेल हुआ? अब ईरान को इसे देने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम क्या है?

HQ-9B एक आधुनिक हथियार सिस्टम है, जिसे चीन ने बनाया है. यह हवा में आने वाले खतरों, जैसे दुश्मन के विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और कुछ हद तक बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए बनाया गया है. इसे रूस के S-300 सिस्टम से प्रेरणा लेकर बनाया गया है, लेकिन इसमें कुछ अमेरिकी और इजरायली तकनीकों का भी इस्तेमाल हुआ है.

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कैसे काम करता है?

यह सिस्टम रडार की मदद से दुश्मन के विमानों या मिसाइलों को ढूंढता है. फिर यह अपनी मिसाइलें दागकर उन्हें हवा में ही नष्ट कर देता है. इसमें एक बार में 8-10 मिसाइलों को निशाना बनाने की क्षमता है.

  • रेंज: HQ-9B की रेंज 250-300 KM तक है, यानी यह इतनी दूरी तक हवा में मौजूद खतरे को नष्ट कर सकता है.
  • पाकिस्तान में स्थिति: पाकिस्तान ने 2021 में इस सिस्टम को अपनी सेना में शामिल किया था. इसे पाकिस्तान की वायु रक्षा का सबसे मजबूत हथियार माना गया था. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने कई यूनिट्स नष्ट कर दिए. 

पाकिस्तान में HQ-9B क्यों फेल हुआ?

पाकिस्तान ने HQ-9B को भारत की बढ़ती वायु शक्ति, खासकर राफेल जेट और ब्रह्मोस मिसाइलों से बचाव के लिए लिया था. लेकिन कई मौकों पर यह सिस्टम नाकाम रहा. खास तौर पर मई 2025 में भारत की ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा.

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ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ?

भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. इन हमलों में भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल, फ्रेंच स्कैल्प क्रूज मिसाइल और इजरायली हारोप ड्रोन का इस्तेमाल किया. लेकिन HQ-9B इनमें से किसी भी मिसाइल को रोक नहीं पाया. भारतीय हमले इतने सटीक थे कि लाहौर में मौजूद HQ-9B की एक बैटरी को भी नष्ट कर दिया गया.

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अन्य मौकों पर नाकामी

2024 में ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मिसाइल और ड्रोन हमले किए. उस वक्त भी HQ-9B ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की.  

क्यों फेल हुआ?

कई कारणों से HQ-9B पाकिस्तान में कामयाब नहीं रहा...

  • ट्रेनिंग की कमी: पाकिस्तानी सेना को इस जटिल सिस्टम को चलाने की पूरी ट्रेनिंग नहीं थी.
  • जैमिंग और स्टील्थ तकनीक: भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (जैमिंग) और स्टील्थ मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे HQ-9B के रडार धोखा खा गए.
  • तकनीकी कमियां: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि HQ-9B को तेज गति वाली मिसाइलों, जैसे ब्रह्मोस को रोकने के लिए पूरी तरह डिजाइन नहीं किया गया.
  • रखरखाव की समस्या: इस सिस्टम के रखरखाव का खर्च बहुत ज्यादा है. पाकिस्तान के पास स्पेयर पार्ट्स की कमी हो सकती है.

इन नाकामियों की वजह से पाकिस्तान में इस सिस्टम की बहुत आलोचना हुई. यहां तक कि चीन के सोशल मीडिया पर भी लोगों ने पाकिस्तानी सेना को मूक दर्शक कहा और HQ-9B की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए.

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चीन ने ईरान को HQ-9B क्यों दिया?

जुलाई 2025 में खबर आई कि चीन ने HQ-9B सिस्टम को ईरान को दे दिया है. यह सौदा तेल के बदले हुआ, क्योंकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से वह नकद भुगतान नहीं कर सकता.

ईरान को क्यों जरूरत?

ईरान का सामना इजरायल और अमेरिका जैसे मजबूत दुश्मनों से है. हाल ही में इजरायल ने ईरान पर हवाई हमले किए थे, जिसके बाद ईरान अपनी वायु रक्षा को मजबूत करना चाहता है. HQ-9B उसे लंबी दूरी तक हवाई खतरों से बचाने में मदद कर सकता है.

चीन का फायदा

  • तेल की आपूर्ति: चीन को ईरान से सस्ता तेल मिलेगा, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है.
  • हथियारों का बाजार: चीन अपने हथियारों को दुनिया भर में बेचना चाहता है. ईरान को HQ-9B देकर वह मिडिल ईस्ट में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है.
  • पाकिस्तान की नाकामी को ढंकना: पाकिस्तान में HQ-9B की नाकामी ने चीन की साख को नुकसान पहुंचाया. अब ईरान में इसका इस्तेमाल करके चीन अपनी तकनीक की विश्वसनीयता साबित करना चाहता है.
  • इजरायल की चिंता: इजरायल ने इस सौदे पर आपत्ति जताई है, क्योंकि HQ-9B ईरान की हवाई रक्षा को पहले से ज्यादा मजबूत कर सकता है.

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क्या ईरान में HQ-9B कामयाब होगा?

यह सवाल अभी अनसुलझा है. पाकिस्तान में HQ-9B की नाकामी का मतलब यह नहीं कि यह सिस्टम पूरी तरह बेकार है. अगर ईरान इसे सही तरीके से इस्तेमाल करता है, तो यह इजरायल और अमेरिका के लिए चुनौती बन सकता है. लेकिन कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी...

  • ट्रेनिंग और रखरखाव: ईरान को अपने सैनिकों को इस सिस्टम के लिए अच्छी ट्रेनिंग देनी होगी. साथ ही, उसे रखरखाव के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ सकता है.
  • दुश्मनों की तकनीक: इजरायल और अमेरिका के पास स्टील्थ जेट और मिसाइलें हैं, जो HQ-9B के रडार को चकमा दे सकती हैं.
  • पहले का प्रदर्शन: पाकिस्तान में इस सिस्टम की असफलता ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. ईरान को इसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना होगा.

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इसका भारत पर क्या असर होगा?

भारत के लिए यह खबर चिंता की बात हो सकती है, क्योंकि ईरान और भारत के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे. अगर ईरान HQ-9B का सही इस्तेमाल करता है, तो यह मिडिल ईस्ट में ताकत का संतुलन बदल सकता है. लेकिन भारत की मजबूत वायु रक्षा, जैसे S-400 और आकाश सिस्टम, उसे किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम बनाती हैं.

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