पूरा PAK और चीन का ज्यादातर हिस्सा रेंज में... भारत करने वाला है हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ET-LDHCM का परीक्षण

भारत जल्द ही ET-LDHCM हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण करेगा. यह मिसाइल 11000 km/hr की गति और 1500 किमी रेंज के साथ दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर सकती है. स्क्रैमजेट इंजन और स्टील्थ तकनीक इसे खास बनाती है.

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DRDO से हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण 2020 में किया था. (फाइल फोटोः PTI) DRDO से हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण 2020 में किया था. (फाइल फोटोः PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:17 PM IST

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) जल्द ही एक्सटेंडेड ट्रैजेक्टरी - लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (ET-LDHCM) का परीक्षण करने वाला है. यह मिसाइल प्रोजेक्ट विष्णु का हिस्सा है. इसे भारत की सबसे उन्नत हाइपरसोनिक तकनीक माना जा रहा है. इस मिसाइल की खासियत ऐसी है कि यह दुश्मनों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. आइए, जानें कि ET-LDHCM क्या है, इसकी खासियतें और यह भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है.

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ET-LDHCM क्या है?

ET-LDHCM यानी एक्सटेंडेड ट्रैजेक्टरी - लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल एक ऐसी मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से 5 गुना से भी ज्यादा तेज (मैक 5 से ऊपर) उड़ सकती है. यह मिसाइल हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) पर आधारित है, जिसका सफल परीक्षण 2020 में हो चुका है.

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  • परीक्षण की तारीख: नवंबर 2024 में ओडिशा के तट पर इसका पहला सफल परीक्षण हुआ. अगला परीक्षण जल्द होने की उम्मीद है.
  • स्थान: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा.
  • उद्देश्य: दुश्मन के ठिकानों को लंबी दूरी से तेजी से और सटीक निशाना बनाना.

ET-LDHCM की खासियतें

ET-LDHCM मिसाइल अपनी गति, रेंज, और तकनीक के कारण दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक है। नीचे इसकी मुख्य विशेषताएँ दी गई हैं... 

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तेज गति: यह मिसाइल मैक 8 (लगभग 11,000 किमी/घंटा) से ज्यादा की गति से उड़ सकती है. यानी यह 1 सेकंड में 3 किमी से ज्यादा दूरी तय कर सकती है. इतनी तेज गति के कारण दुश्मन के रडार इसे पकड़ नहीं पाते.

लंबी रेंज: इसकी मारक क्षमता 1,500 किमी से ज्यादा है. यह पूरे पाकिस्तान और चीन के बड़े हिस्से को निशाना बना सकती है. यह हवा, जमीन और समुद्र से दागी जा सकती है. 

स्क्रैमजेट इंजन: मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन है, जो हवा से ऑक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है. इससे यह लंबे समय तक हाइपरसोनिक गति पर उड़ सकती है. 2025 में DRDO ने 1000 सेकंड तक स्क्रैमजेट इंजन का सफल ग्राउंड टेस्ट किया. 

रडार से बचने की क्षमता: यह मिसाइल लो-एल्टीट्यूड (कम ऊंचाई) पर उड़ती है. रास्ता बदल सकती है, जिससे इसे ट्रैक करना या रोकना मुश्किल होता है. इसमें ऑक्सीकरण-रोधी कोटिंग और हीट-रेसिस्टेंट मटेरियल हैं, जो अत्यधिक गर्मी (2,000°C तक) सहन करते हैं. 

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विभिन्न पेलोड: यह मिसाइल परमाणु और गैर-परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जा सकती है. यह 1000-2000 किलोग्राम वजन के पेलोड को ले जाने में सक्षम है.

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स्वदेशी तकनीक: मिसाइल को हैदराबाद के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स में DRDO और उद्योग भागीदारों ने बनाया है. यह पूरी तरह मेक इन इंडिया का हिस्सा है.

ET-LDHCM का काम क्या है?

ET-LDHCM एक मल्टीरोल मिसाइल है, जो कई तरह के मिशन में काम आ सकती है. इसके मुख्य काम हैं... दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करना. यह मिसाइल दुश्मन के बंकर, रडार स्टेशन, जहाज और सैन्य ठिकानों को सटीक निशाना बना सकती है. इसकी तेज गति और रडार से बचने की क्षमता इसे एंटी-शिप और लैंड-अटैक मिशन के लिए आदर्श बनाती है.

रणनीतिक ताकत बढ़ाना: यह मिसाइल भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ रणनीतिक बढ़त देती है. यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है. 

आपदा प्रबंधन में मदद: मिसाइल की तकनीक से भविष्य में सैटेलाइट लॉन्च और मौसम निगरानी जैसे क्षेत्रों में भी मदद मिल सकती है. गगनयान मिशन की तरह यह भारत की अंतरिक्ष और रक्षा तकनीक को बढ़ावा देगी. 

ET-LDHCM क्यों महत्वपूर्ण है?

ET-LDHCM भारत के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण है... 

वैश्विक ताकत: इस मिसाइल के साथ भारत रूस, चीन और अमेरिका जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जिनके पास हाइपरसोनिक तकनीक है. यह भारत को पांचवां देश बनाता है, जिसके पास ऐसी मिसाइल है.

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रक्षा में आत्मनिर्भरता: ET-LDHCM पूरी तरह स्वदेशी है, जो मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. यह विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करेगी. 

पड़ोसियों के लिए चुनौती: इसकी 1,500 किमी रेंज और 11,000 किमी/घंटा की गति इसे चीन और पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बनाती है. यह कराची या बीजिंग जैसे शहरों को मिनटों में निशाना बना सकती है.

आर्थिक और तकनीकी लाभ: मिसाइल के विकास से हजारों नौकरियां पैदा होंगी. स्क्रैमजेट और हाइपरसोनिक विंड टनल जैसी तकनीकें भविष्य में सिविलियन और अंतरिक्ष क्षेत्र में काम आएंगी. 

रणनीतिक महत्व: भारत-चीन सीमा पर तनाव और अरब सागर में पाकिस्तान की मिसाइल टेस्टिंग के बीच ET-LDHCM भारत की ताकत दिखाती है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया था. 

पिछले परीक्षण और भविष्य

  • 2020: DRDO ने HSTDV का पहला सफल परीक्षण किया, जिसमें मिसाइल ने 7,500 किमी/घंटा की गति हासिल की.
  • 27 जनवरी 2024: ओडिशा तट पर HSTDV का दूसरा परीक्षण हुआ, लेकिन परिणाम गुप्त रखे गए.
  • 16 नवंबर 2024: ET-LDHCM का पहला उड़ान परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से हुआ.
  • 2025: DRDO अगले परीक्षण की तैयारी में है, जिसमें मिसाइल की रेंज और सटीकता को और बेहतर किया जाएगा.
  • भविष्य: DRDO ब्रह्मोस-2 जैसी अन्य हाइपरसोनिक मिसाइलों पर भी काम कर रहा है, जिसकी रेंज 600 किमी और गति 6,000-8,000 किमी/घंटा होगी. 
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